– युवाओं को शिक्षा व रोजगार से वंचित रखना चाहती है भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार – विश्वविद्यालयों को ग्रांट की जगह लोन देने का निर्णय सरकार की गहरी चाल- शिक्षा विभाग में 38 हजार से अधिक टीचर्स के रिक्त पदों पर भर्ती क्यों नहीं करती सरकार – कुंडू महम, 12 मई : जनसेवक मंच के संयोजक एवं महम से निर्दलीय विधायक बलराज कुंडू ने विश्वविद्यालयों को ग्रांट बन्द करके लोन देने के सरकार के फैंसले पर गंभीर सवाल उठाते हुए इसे शिक्षा विरोधी फैंसला करार दिया है।बलराज कुंडू ने कहा कि भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार प्रदेश के शिक्षा तंत्र को पूरी तरह बर्बाद करने की नीति पर उतारू हो चुकी है। यूनिविर्सिटीज को कर्ज के जाल में फंसाकर प्रदेश के युवाओं को शिक्षा और रोजगार से वंचित रखने की साजिश रची गयी है। इसी के तहत विश्वविद्यालयों को ग्रांट बन्द करी जा रही है और स्कूलों में टीचर्स की भर्ती नहीं की जा रही जबकि उनके द्वारा पिछले विधानसभा सत्र में सवाल उठाए जाने पर खुद राज्य के शिक्षा मंत्री ने विधानसभा में स्वीकार किया था कि प्रदेश के सरकारी स्कूलों में 38 हजार से अधिक टीचर्स के पद रिक्त पड़े हैं। बावजूद इसके सरकार अध्यापकों की भर्ती क्यों नहीं कर रही ? इसका मतलब साफ है कि सरकार शिक्षा को लेकर जरा भी गंभीर नहीं है और अब विश्वविद्यालयों की ग्रांट रोककर लोन देने के फैसले ने सरकार की मंशा को बिल्कुल साफ कर दिया है कि सरकार प्रदेश के युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने पर आमादा हो चुकी है। बलराज कुंडू ने कहा कि सरकार की ऐसी ही गलत नीतियों से परेशान होकर आज न केवल छात्र वर्ग बल्कि तमाम कर्मचारी संगठनों को भी अपने हकों के लिए सड़कों पर आकर चिलचिलाती धूप में धरने-प्रदर्शन करने पर मजबूर होना पड़ रहा है। इससे बड़े दुर्भाग्य की बात और क्या हो सकती है कि खुद मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के निर्वाचन क्षेत्र करनाल में छोटे-छोटे स्कूली बच्चों को भी सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन करना पड़ रहा है। बलराज कुंडू ने कहा कि प्रदेश सरकार की गलत नीतियों ने स्कूली शिक्षा का बेड़ा गर्क करके रख दिया है और अब सरकार की नजर कालेज एजुकेशन पर पड़ गयी है। सरकार हमारे बच्चों को कॉलेज एजुकेशन से महरूम करना चाहती है और इसीलिए सरकार ने विश्वविद्यालयों को ग्रांट रोककर लोन देने का फैसला लिया है। इसका मतलब तो यही है कि सरकार विश्वविद्यालयों को पहले कर्जदार बनाएगी और फिर उनको नीलाम करके प्राईवेट हाथों में सौंपने की तैयारी हो रही है। इस तरह से प्रदेश में शिक्षा और भी महंगी होती चली जायेगी जिससे गरीब और मध्यम वर्ग के बच्चे कॉलेज व विश्वविद्यालय स्तर की शिक्षा से ही वंचित हो जाएंगे। इसलिए सभी को एकजुटता के साथ सरकार के इस शिक्षा विरोधी निर्णय का डटकर विरोध करना चाहिए। सरकारी स्कूलों में टीचर्स क्यों नहीं ? बलराज कुंडू ने कहा कि प्रदेश के 60 से अधिक स्कूल ऐसे हैं जहां पर एक भी अध्यापक तक नहीं है और करीब 40 स्कूल ऐसे हैं जो सिर्फ 1 टीचर के भरोसे चल रहे हैं। सीएम मनोहर लाल खट्टर के जिले करनाल में 30 फीसदी से अधिक लेक्चरर्स के पद खाली पडे हुए है और पूरे हरियाणा की बात करें तो लगभग 50 प्रतिशत स्कूलों में हेड टीचर्स के पद खाली हैं लेकिन सरकार नई भर्ती नहीं कर रही। Post navigation जेल जाएँगे, जान दे जाएँगे…….. लेकिन ज़मीन नही दे पाएँगे सरकार – जयहिन्द राष्ट्र के नवनिर्माण में युवाओं की भूमिका महत्वपूर्ण : पवन जिंदल