दिल्ली, 12 मई, 2022 – आज जब देश प्रजातांत्रिक, आर्थिक और सामाजिक “संक्रमणकाल” के दौर से गुजर रहा है, तब भारत की आज़ादी के संकल्पों की कोख से जन्मी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस एक बार फ़िर देश को प्रगति, समृद्धि और उन्नति के पथ पर लाने के लिए एक ‘‘नव संकल्प’’ का दृढ़ संकल्प ले रही है। देश की अपेक्षाओं के अनुरूप कांग्रेस पार्टी उदयपुर में आगामी 13, 14 और 15 मई 2022 को आत्मचिंतन, आत्ममंथन, आत्मावलोकन करेगी। ‘नव संकल्प का चिंतन क्यों’: देश में बढ़ती आर्थिक असमानता के चलते 142 सबसे बड़े अमीरों की सम्पति तो एक साल में ₹30 लाख करोड़ बढ़ गई पर देश के 84% घरों की आय घट गई। 15 लाख हर खाते में आना तो दूर, बचत का पैसा भी लुट गया। गर्त में गिरती अर्थव्यवस्था के चलते 1 अमेरिकी डॉलर के मुक़ाबले हमारे रुपये की क़ीमत गिर कर ₹77.56 हो गई, जो 75 साल में सबसे बड़ी गिरावट है। दूसरी और देश का क़र्ज़ साल 2014 में ₹ 55 लाख करोड़ से बढ़ कर साल 2022 में ₹135 लाख करोड़ हो गया। मोदी सरकार हर रोज़ ₹4,000 करोड़ का क़र्ज़ लेती है। देश के हर नागरिक पर ₹1,00,000 का क़र्ज़ है। महंगाई ने आम जनजीवन नर्क बना दिया है। साल 2014 में ₹410 में मिलने वाला रसोई गैस सिलेंडर अब ₹1,000 का हो गया; पेट्रोल ₹71/लीटर था, आज ₹105.41/लीटर हो गया; डीज़ल ₹56/लीटर था, आज ₹95.87/लीटर हो गया। अकेले पेट्रोल-डीज़ल पर टैक्स लगा मोदी सरकार ने तो ₹27 लाख करोड़ कमाये, पर जनता को क्या मिला? यही हाल आटा, दाल, खाने का तेल, सब्ज़ी, साबुन, टूथपेस्ट, TV, फ्रिज और रोज़ ज़रूरत की हर वस्तु का है। देश में बेरोज़गारी की दर 8% से अधिक है। भारत सरकार, सरकारी उपक्रमों व प्रांतीय सरकारों में मिलाकर 30 लाख से ज्यादा पद ख़ाली पड़े हैं। सेनाओं में 2,55,000 पद ख़ाली हैं। निजी क्षेत्र में लघु और छोटे उद्योग तालाबंदी की कगार पर हैं। 2 करोड़ रोज़गार हर साल देना तो दूर, करोड़ों रोज़गार चले गए हैं। किसान व खेती को प्राइवेट कंपनियों को सौंपने का षड्यंत्र जारी है। पहली बार खेती पर GST लगाया गया – खाद हो, ट्रैक्टर व खेती के उपकरण हों, कीटनाशक दवाई हो। खाद की सब्सिडी काटी जा रही है और DAP व यूरिया की क़ीमतें आसमान छू रही है। MSP गारंटी क़ानून पर चर्चा ही नहीं। मनरेगा का बजट काट दिया है। किसान की आय साल 2022 तक दुगना होना तो दूर, उपज की क़ीमत भी नहीं मिल रही। दलित व आदिवासी सब प्लान ख़त्म कर दिया गया। उनके आरक्षण व दलित पक्षधर क़ानूनों पर हमला बोला जा रहा है। PSU’s बेच कर दलितों व पिछड़ों का आरक्षण ख़त्म किया जा रहा है। दलितों पर अत्याचार चरम सीमा पर है। यहां तक कि दलित कल्याण को टारगेटेड केंद्रीय योजनाएं कुल बजट का मात्र 4.4प्रतिशत रह गई हैं। अब तो केंद्र सरकार पिछड़े वर्गों की संख्या का सेन्सस तक जारी करने से इनकार कर रही है। देश की भूभागीय अखंडता पर हमला बोला गया है। चीन ने दुस्साहस कर लद्दाख़ में भारत माता की सरज़मीं पर क़ब्ज़ा कर रखा है। अरुणाचल की सीमा पर अतिक्रमण कर चीन आए दिन नये ठिकाने बना रहा है। डोक़लाम में चीन द्वारा किए नए सड़क निर्माण, तोपख़ाने व सैनिक ठिकानों का निर्माण हमारी अखंडता को सीधी चुनौती है। पर मोदी सरकार चीन को हमारी सरज़मीं से वापस खदेड़ने में असक्षम साबित हुई है। सरकार केवल चीनी ऐप बैन कर झूठी वाहवाही लूट रही है और उल्टा चीन से वस्तुओं का आयात बढ़कर 97 बिलियन डॉलर हो गया है। देश व समाज की इन समस्याओं पर पर्दा डालने के लिए मोदी सरकार ने चौतरफ़ा धर्मांधता-रूढ़िवादिता का अंधकार फैला अल्पसंख्यक वर्गों, ख़ास तौर से मुस्लिम, ईसाइयों व सिखों को निशाना बना रखा है। रोज़ नया हिंदू-मुस्लिम पैदा कर देश की आँखों पर पट्टी बांधी जा रही है। समाज में हिंदू-मुस्लिम विभाजन के बीज बो कर व तुष्टिकरण की इस राजनीति को आधार बना भाजपा चुनावी जीत तलाशती है। चुनावों में अब तरक्क़ी-विकास-सड़क-स्कूल-शिक्षा-अस्पताल-उद्योग-रोज़गार-खेती-बढ़ोत्तरी मुद्दे नहीं रह गए हैं। भाजपा प्रायोजित मुद्दे हैं- श्मशान-क़ब्रिस्तान, बुलडोज़र, लाउडस्पीकर, गर्मी निकालना, मंदिर बनाम मस्जिद बनाम गिरिजाघर बनाम गुरुद्वारा, सड़कों के नाम बदलना, खाने-पहनने के नाम पर बँटवारा आदि। दुर्भाग्य यह है कि नफ़रत की खेती परोसने में भाजपा द्वारा मीडिया के एक बड़े वर्ग को भी इस्तेमाल किया जा रहा है। देश व देशवासियों के सामने यही सबसे बड़ी चुनौती है। क्या देश ऐसे चल सकता है? क्या देश ऐसे तरक्क़ी कर सकता है? क्या देश ऐसे आगे बढ़ सकता है? क्या भविष्य के भारत का निर्माण धार्मिक, जातिगत व आर्थिक बँटवारे पर होगा? क्या यह गाँधी-नेहरू-पटेल-बोस-तिलक-अंबेडकर-मौलाना आज़ाद-राजेंद्र प्रसाद-भगत सिंह-बिस्मिल-अश्फ़ाक आदि करोड़ों स्वतंत्रता सेनानियों के सपनों का भारत है? जब देश इतनी गहरी वेदनाओं की चिंता में डूबा हुआ है तब स्वाभाविक है कि कांग्रेस पार्टी देश की चिंताओं के प्रति अपने दायित्वों का निर्वाह करते हुए उसका समाधान करने के लिए प्रतिबद्ध होगी। हम जानते हैं कि देश की अपेक्षाओं के अनुरूप उसे अपनी संगठनात्मक क्षमता, दक्षता, कार्यकुशलता और कार्यशैली का न सिर्फ़ मूल्यांकन करना होगा अपितु वर्तमान चुनौतियों व परिस्थितियों के अनुरूप ढालना भी होगा । इसी के दृष्टिगत कांग्रेस पार्टी ने राजस्थान प्रांत के उदयपुर में चिंतन शिविर का आयोजन किया है। “नव संकल्प के चिंतन में क्या” भाजपा सरकार द्वारा निर्मित देश के विकास व भाईचारे पर बुलडोज़र चला देश को पिछड़ेपन के अंधकार में धकेलने वाली परिस्थितियों का कांग्रेस पार्टी ने मूल्यांकन कर उससे देश को उबारने के लिए 6 विभिन्न विषयों को चिन्हित किया तथा उन विषयों पर समूहों का गठन किया, जिन्होने अपनी प्राथमिक रिपोर्ट्स दी हैं, जो राजनैतिक, सामाजिक न्याय – सशक्तिकरण, अर्थव्यवस्था, कांग्रेस की संगठनात्मक व्यवस्था, किसान और खेत मज़दूर, युवा सशक्तिकरण जैसे विषयों पर केंद्रित है। यह समूह अपना प्राथमिक अध्ययन चर्चा व नीति निर्धारण हेतु चिंतन शिविर में रखेंगे। चिंतन शिविर में जिन 430 चिंतकों को आमंत्रित किया गया है, वे सब अलग अलग समूहों में इस प्राथमिक अध्ययन पर लगातार अलग अलग सत्रों और समूहों में लगातार तीन दिन चिंतन मंथन करेंगे तथा इस व्यापक चिंतन मंथन का जो निष्कर्ष निकलेगा उसे कांग्रेस अध्यक्षा के सम्मुख रख और फिर उसे अंततः कांग्रेस वर्किंग कमेटी में रखकर अंतिम रूप प्रदान किया जाएगा। अतः जो निष्कर्ष निकलेगा वो भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को न सिर्फ़ वर्तमान चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों से उबार एक नई दिशा देगा अपितु भारत के गौरवशाली भविष्य का मार्ग भी प्रशस्त करेगा । Post navigation अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस- 12 मई …… नर्सिंग मानव समाज को देखभाल और स्नेह के बंधन से बांधती है। आखिर विरोधियों को जाने क्यों नहीं देते ?