हरियाणा के दो वरिष्ठ अधिकारियों अशोक खेमका व संजीव वर्मा द्वारा एक-दूसरे पर सार्वजनिक रूप से लगाये जा रहे भ्रष्टाचार व पद दुरूपयोग के आरोपों की जांच सीबीआई से करवाई जाये : विद्रोही

11 मई 2022 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष वेदप्रकाश विद्रोही ने मांग की कि हरियाणा के दो वरिष्ठ अधिकारियों अशोक खेमका व संजीव वर्मा द्वारा एक-दूसरे पर सार्वजनिक रूप से लगाये जा रहे भ्रष्टाचार व पद दुरूपयोग के आरोपों की जांच सीबीआई से करवाई जाये ताकि निष्पक्षता व स्वतत्रंता से आरोपों की जांच होकर सच सामने आ सके।

विद्रोही ने कहा कि अशोक खेमका व संजीव वर्मा द्वारा एक-दूसरे के खिलाफ एक माह  से पंचकूला पुलिस में एफआईआर दर्ज करवाने के बाद भी पुलिस जांच का मामला एक इंच भी आगे नही बढा। उल्टा हरियाणा भाजपा सरकार मंत्रीमंडल में आरोपों के प्रति खुली खेमाबंदी भी सामने आ चुकी है। प्रदेश का गृहमंत्री अनिल विज खुलेआम एक आईएएस अधिकारी के प्रति हममर्दी ही नही दिखा चुके है अपितु एक अधिकारी को साथ लेकर उसकी एफआईआर दर्ज करवाने पंचकुला पुलिस आयुक्त दफ्तर में भी जा धमके थे। गृहमंत्री के इस रवैये के बाद पुलिस कितनी दबाव में होगी और कैसी स्वतंत्र-निष्पक्ष जांच होगी, यह बताने की जरूरत नही। 

विद्रोही ने आरेाप लगाया कि इन दो अधिकारियों के एक-दूसरे पर भ्रष्टाचार व पद दुरूपयोग मामले में हरियाणा मुख्यमंत्री कार्यालय व गृहमंत्री अपने-अपने चहते अधिकारी के पक्ष में पुलिस पर जब दबाव बना रहे हो तो निष्पक्ष जांच संभव ही नही है। जब प्रदेश के दो वरिष्ठ अधिकारी इस तरह खुलेआम एक-दूसरे पर भ्रष्टाचार व पद दुरूपयेाग के आरोप लगाये तो उन आरोपों को व्यक्तिगत लडाई बताकर ठंडे बस्ते में डालकर जांच से भागना किसी भी तरह उचित नही। दोनो अधिकारियों के आरोपों को देखकर व मुख्यमंत्री कार्यालय और गृहमंत्री के इस मामले में अपनाये जा रहे रवैये के मध्यनजर हरियाणा पुलिस, विजिलैंस विभाग या हरियाणा की कोई भी जांच एजेेंसी इन आरोपों की ठीक से जांच कर ही नही सकती। ऐसी स्थिति में विद्रोही ने मुख्यमंत्री खट्टर से आग्रह किया कि शुचिता, पारदर्शिता व ईमानदारी का तकाजा है कि दोनो आईएएस अधिकारियों के आरोपों की जांच सीबीआई को सौंपी जाये ताकि इस मामले में दूध का दूध व पानी का पानी हो सके। यदि इन आरोपों की स्वतंत्र-निष्पक्ष सीबीआई जांच करवाने की बजाय दबाया जायेगा तो आईएएस व अन्य प्रदेश के उच्च अधिकारियोंं में अपने-अपने पद के दुरूपयोग से भ्रष्टाचार करने की प्रवृत्ति तो बढेगी ही, साथ में सत्ताधारियों से मिलकर घोटाले करके लूट की गलत परम्परा भी कायम होगी।   

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