-कमलेश भारतीय प्रार्थना और संशय एकसाथ नहीं चल सकते । जहां अपने इष्ट के प्रति विश्वास है , वहीं सफलता है । यह कहना है आचार्य रूपचंद्र का , जो आज हिसार के मानव मंदिर में प्रवास के लिए पधारे और उपस्थित लोगों को संबोधित करते यह बात कही । उन्होंने कहा कि जब एक बार बारिश नहीं हुई तब गांव के सभी लोग एक मंदिर में प्रार्थना के लिए एकत्रित हुए । इनके बीच एक बच्चा भी था जो छाता लेकर आया था । जब छाता लाने का कारण पूछा तो बच्चे ने कहा कि प्रार्थना करने पर बारिश आएगी तो लौटते समय कहीं भीग न जाऊं, इसलिए पहले ही छाता लेकर आया हूं । अपने इष्ट के प्रति प्रार्थना करते समय इतना ही विश्वास होना चाहिए , किसी प्रकार का संशय नहीं होना चाहिए तभी प्रार्थना सफल होती है । हमें अपने इष्ट के प्रति उसके होने का विश्वास भी होना चाहिए । इष्ट दिखाई नहीं देता जैसे फूलों में सुगंध दिखाई नहीं देती , दूध में मकान दिखाई नहीं देता । इसी प्रकार गुरु द्रोणाचार्य व अर्जुन की कथा सुनाते कहा कि अपने जीवन के लक्ष्य को अर्जुन की तरह साधना चाहिए जैसे उन्हें सिर्फ और सिर्फ चिड़िया की आंख ही दिखाई देती थी , जिससे वे लक्ष्य बेधने में सफल रहे । हमें भी अपना लक्ष्य निर्धारित कर उसी पर सारा ध्यान एकाग्र करना चाहिए । आचार्य रूपचंद्र कोरोना संकट के कारण पूरे दो साल हिसार प्रवास पर आ नहीं पाये थे । उन्होंने बताया कि सुबह के समय योगा होगा और चिकित्सा उपचार भी किया जायेगा । प्रारम्भ में हिसार की पूर्व मेयर शकुंतला राजलीवाल ने उनका अभिनंदन व स्वागत् किया जबकि विभा , रश्मिता और हिना ने स्वागत् गीत प्रस्तुत किया । रश्मि ने भी एक भजन सुनाया तो शशिकांत ने भी कविता के माध्यम से स्वागत् किया । कार्यक्रम का संचालन हरियाणा ग्रंथ अकादमी के पूर्व उपाध्यक्ष कमलेश भारतीय ने किया । Post navigation सोशल मीडिया सब पर भारी, पर किसकी जिम्मेदारी ? कहानी………. कठपुतली