.भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक गुरुग्राम। कल गुरुग्राम में जिला कष्ट निवारण समिति की अध्यक्षता करने के बाद मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि मनोहर लाल भ्रष्टाचार का काल। इस बात से दिमाग में एक प्रश्न उठा कि कौन-से भ्रष्टाचार का काल? भ्रष्टाचार तो अनेक प्रकार का होता है। भ्रष्ट+आचार=भ्रष्टाचार, अर्थात जिसके आचार-विचार गलत हों। इसमें एक व्यक्ति अपने कार्य को कुशलता से नहीं करता, वह भी भ्रष्टाचार है। जिस व्यक्ति के पास जो काम है, उसका काम को वह किसी प्रलोभन में न करे या देर करे तो वह भी भ्रष्टाचार है। या कोई आदमी अपना कार्य कर रहा है और उसका उच्च अधिकारी उसके कार्य उचित तरीके से न करने की कहे और वह अपने उच्च अधिकारी की बात मान ले, वह भी भ्रष्टाचार है। इसी प्रकार जनप्रतिनिधि की जिम्मेदारी अपने क्षेत्र का समान विकास करने की होती है। वह विकास तो करता है लेकिन केवल अपनों का, वह भी भ्रष्टाचार है। ऐसे ही किसी अधिकारी की ड्यूटी गलत काम रोकने की है और वह देखते हुए उसे नहीं रोकता तो उसे क्या कहेंगे? मेरी दृष्टि में तो वह भी भ्रष्टाचार है। अर्थात अनुचित कार्यों को देखकर आंख बंद कर लेना भ्रष्टाचार की ही श्रेणी में आता है। इसी प्रकार यदि किसी अधिकारी की ड्यूटी है कि वह अनुचित कार्यों को देखे और उसे सुधारे, यदि नहीं सुधार सकता तो अपने उच्च अधिकारियों तक शिकायत पहुंचाए। तात्पर्य यह कि भ्रष्टाचार के सैकड़ों रूप हैं। अब मुख्यमंत्री जी भ्रष्टाचार के किस रूप का काल हैं, यह मुख्यमंत्री ही बेहतर बता पाएंगे। पृथ्वी दिवस पर बड़ा प्रश्न: आज पृथ्वी दिवस है और हम भ्रष्टाचार की बात कर रहे हैं तो मेरे संज्ञान में गुरुग्राम के एक स्कूल द्वारा ग्रीन बैल्ट पर पार्किंग स्थापित कर रखी है। मैं उसका घटना को बताता हूं और उससे देखेंगे कि उसमें भ्रष्टाचार के कितने स्वरूप हैं। बात है गुरुग्राम के सैक्टर-4 स्थित सीसीए पब्लिक स्कूल की। धनवापुर की तरफ सड़क के साथ बनी ग्रीन बैल्ट पर वर्षों से स्कूल ने अपनी पार्किंग बना रखी है और उस पार्किंग पर लिख भी रखा है कि सीसीए स्कूल पार्किंग। साथ में रैलिंग भी लगा रखी है। इसी के बारे में जो घटित हो रहा है, वह वर्णित करता हूं। उसे मुख्यमंत्री, स्थानीय निकाय मंत्री, गृहमंत्री, कानून मंत्री, गुरुग्राम के सांसद, विधायक, मेयर, कमिश्नर, उपायुक्त ये सभी देखकर बता पाएं कि मेरी सोच के अनुसार इसमें भ्रष्टाचार ही भ्रष्टाचार है या मेरी सोच गलत है। लगभग चार वर्ष पूर्व जब यशपाल यादव यहां निगम कमिश्नर होते थे, तब मैंने स्वयं इसकी शिकायत कमिश्नर यशपाल यादव से की थी। उसके पश्चात वर्तमान मेयर मधु आजाद को वह स्थान मैंने खुद दिखाया था। संयुक्त आयुक्त वैशाली शर्मा के साथ इस क्षेत्र की पार्षद सीमा पाहूजा भी थीं, जब मैंने यह बात उनको भी बताई थी। गुरुग्राम में वर्तमान में पर्यावरण संरक्षण विभाग के प्रदेश प्रमुख नवीन गोयल को भी यह बात मैंने बताई थी। वह तब बताई थी जब वह दावा कर रहे थे कि मैंने बरसात में हर ग्रीन बैल्ट को पेड़ों से भर दिया। आज याद आई जब वह कह रहे हैं कि यह समय जमीन-जयदाद नहीं अपितु पृथ्वी में निवेश करें। आपको बता दें कि गुरुग्राम के विधायक और पर्यावरण संरक्षण विभाग के प्रदेश प्रमुख एवं अन्य भाजपा के अनेक नेता इस स्कूल के कार्यक्रमों में आते रहते हैं लेकिन इस पर नजर किसी की पड़ती नहीं या देखकर अनदेखा करते हैं और सुनकर अनसुना करते हैं। इसी पर याद आया कि मुख्यमंत्री ने अपने एमिनेट मैंबर बना रखे हैं। उनको भी मैंने इसकी सूचना दी लेकिन स्थिति जस की तस। गुरुग्राम में समय-समय पर डीटीपी अपनी कार्यवाही करते रहते हैं। निगम ने हर क्षेत्र में अपने अधिकारी लगा रखे हैं, जो उन चीजों का ध्यान रखते हैं। पुलिस विभाग भी सक्रिय है और सीसीए स्कूल से लगभग 100 गज की दूरी पर पुलिस पोस्ट भी बनी हुई है तो प्रश्न फिर वही है कि किसी एक्सइएन, किसी एसडीओ, किसी पार्षद को यह क्यों नहीं दिखता? और जो पुलिस पोस्ट बनी है, उस पर कार्यरत व्यक्ति भी अधिकारियों को सूचित तो करते ही होंगे, क्योंकि वह पोस्ट सुरक्षा और यातायात को कुशलता से चलाने के लिए बना रखी है। यातायात पर याद आया कि स्कूल खुलने और छुट्टी के समय समर्थ कोई भी अधिकारी वहां जाकर देख सकता है कि सड़क की स्थिति क्या है, क्योंकि पार्किंग तो बना ही रखी है। उसके अतिरिक्त सड़क पर अनेक बसें खड़ी रहती हैं। इस प्रकरण से सवाल शायद पाठकों के मन में भी खड़े हुए होंगे कि आखिर ऐसा क्या है सीसीए स्कूल में, जो इतना कुछ होते हुए कोई अधिकारी, कोई नेता उस पर ध्यान नहीं दे रहा? कुछ का कहना है कि स्कूल मालिक के मुख्यमंत्री या केंद्रीय नेताओं से संबंध हैं। इस वजह से कार्यवाही नहीं हो रही। शायद मैं गलत चला गया। आज का विषय यह नहीं है, आज का विषय तो यह है कि जो अधिकारी उस क्षेत्र में कार्यरत हैं, वह देखकर इसे अनदेखा किसी भी कारण से कर रहे हैं, क्या वह भ्रष्टाचार नहीं? इसके पश्चात जब निगम कमिश्नर से यह बात कही और उन्होंने इस पर कार्यवाही नहीं की तो क्या यह भ्रष्टाचार है या नहीं? पर्यावरण सचिव जिसका कार्य प्रदेश के पर्यावरण को बेहतर बनाना है और वह गुरुग्राम में ही निवास करते हैं तथा ऐसा लगता है कि वह गुरुग्राम की जनता को संदेश देना चाहते हैँ कि गुरुग्राम का विधायक, भाजपा के जिला अध्यक्ष या अन्य कोई नेता वह काम नहीं कर सकता, जो किसी क्षेत्र में भी कोई समस्या है, उनसे मिले, वह उसका समाधान कराएंगे। वह अपने ही विभाग की ग्रीन बैल्ट की पार्किंग बने हुए देखकर चुप क्यों हैं? क्या यह भी किसी प्रकार का भ्रष्टाचार है। इसी प्रकार उस क्षेत्र की पार्षद जिसका कार्य ही उस क्षेत्र की भलाई है, वह क्यों अनदेखा कर रही हैं? विधायक जो स्कूल में कार्यक्रम में अतिथि बनकर गए थे, उनको क्यों नहीं नजर आ रहा? तो आप सोचिए, इसमें पैसे का लेन-देन तो नजर नहीं आ रहा पर भ्रष्टाचार है या नहीं? 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