भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक गुरुग्राम। आज गृहमंत्री अनिल विज के पास से सूचना आई कि गुरुग्राम में 2400 एंटीजेंट किट्स पकड़ी गई फरवरी 2021 में एक्सपाइरी हुई बेचते हुए। इससे अल्प समय में ही गुरुग्राम में चर्चा बनी है कि स्वास्थ विभाग के भ्रष्टाचार पर गब्बर अनिल विज की नजर पड़ गई है। वह अब गुरुग्राम के स्वास्थ विभाग में व्याप्त कमियों को शायद पकड़ लेंगे, अगर कोई दबाव नहीं माना तो। प्रमाण तो ऐसी बातों के होते नहीं लेकिन एंटीजेंट किट का बेचते हुए पाए जाना अपने आपमें प्रमाण है कि यहां का स्वास्थ विभाग कर क्या रहा है। क्या उसने किसी अस्पताल को चेक किया है? क्या कोरोना काल में उसके साथ मिलकर जिन एनजीओ ने काम किया, उनकी जांच परख की कि क्या वह दवाइयां नियमानुसार वितरित कर रहे हैं? क्या उनके डॉक्टर जहां बैठते हैं, वहां स्वास्थ मानकों का पालन हो रहा है? क्या एक कड़ी तो नहीं बनी हुई एनजीओÓज और प्राइवेट अस्पतालों के बीच कि ये एनजीओÓज मरीज को वहां रेफर कर दें और कमीशन ले लें। ऐसी अनेक चर्चाएं गुरुग्राम में पिछले काफी समय से चल रही हैं। इसी प्रकार अनेक डॉक्टर और नर्सिंग होम आवासीय क्षेत्र में कार्यरत हैं। स्वास्थ विभाग की ओर से उन पर कभी ध्यान दिया जा रहा है, ऐसी दिखाई तो नहीं देता। इसी प्रकार अनेक मैडिकल स्टोर पर फार्मेसिस्ट का न होना आमतौर पर देखा जाता है लेकिन पता नहीं गुरुग्राम का स्वास्थ विभाग उन पर ध्यान देता है या नहीं, नहीं तो क्यों नहीं? इसी प्रकार जैनरिक दवाइयां मैडिकल स्टोर्स पर जाती हैं लेकिन वह क्या उन्हें जैनरिक रेट पर देते हैं या फिर एमआरपी पर बेचते हैं? इसी प्रकार आजकल गुरुग्राम में ऑनलाइन भी दवाएं बेची जा रही हैं। क्या ऑनलाइन दवा बेचने वाले ने सरकार के मानदंड पूरे किए हैं या नहीं? और इसी के साथ ऑनलाइन बेचने वाले भी 10-15 प्रतिशत डिस्काउंट पर दवाइयां बेच बेच रहे हैं, जबकि जैनरिक दवाइयों के रेट में कई बार तो 100 और 200 प्रतिशत का अंतर पाया गया है, तो क्या उनका इस प्रकार से दवाइयां बेचना उचित है? और गुरुग्राम के स्वास्थ विभाग की इस पर कोई नजर है? गुरुग्राम में नागरिक अस्पताल की स्थिति भी अच्छी नहीं है। उसके लिए कह सकते हैं कि वह अस्पताल किसी भी कीमत पर गुरुग्राम की आबादी का इलाज नहीं कर सकता। उसका लाभ उठाकर प्राइवेट अस्पताल खूब चांदी कूट रहे हैं। कोरोना समय में गुरुग्राम में ही कुछ व्यक्ति सेनेटाइजर आदि नकली बनाते हुए पकड़े गए थे, तो क्या वे व्यक्ति अब और कोई दवाइयां नकली तो नहीं बना रहे हैं? संक्षेप में लिखा कि किन-किन अनियमितताओं की गुरुग्राम के आमजन में चर्चा है। इसके अतिरिक्त टैस्टिंग लैब आदि में कितनी अनियमितताएं होती हैं, यह तो स्वास्थ विभाग का व्यक्ति ही भली प्रकार बता पाएगा। गुरुग्राम में चर्चाओं का बाजार बेशक गर्म है कि यहां स्वास्थ विभाग में निजी चिकित्सालयों और सरकारी डॉक्टरों तथा कुछ एनजीओ और साथ में कहीं राजनैतिक संरक्षण सब मिलकर एक नैक्सस की तरह कार्य कर रहे हैं, जिससे गुरुग्राम की आम जनता महंगे इलाज भुगतने के लिए मजबूर है। प्रश्न केवल यह है कि क्या 2400 एंटीजेंट किट्स पकड़कर पीठ थपाथपा ली जाएगी या गहरे में घुसकर स्वास्थ विभाग में बन रहे नैक्सस का पर्दाफाश किया जाएगा? Post navigation मनोरंजन के अनेको खूबसूरत रंगों के साथ आयोजित की गई सरस मेले की सांस्कृतिक संध्या 5 साल पूर्व कंपनी प्रबंधन द्वारा दर्ज कराई गई एफआईआर पर श्रमिकों को अबकिया जा रहा है तलब