-कमलेश भारतीय

कांग्रेस हाईकमान सोनिया गांधी ने आखिर कड़वी सच्चाई स्वीकार कर ही ली कि कांग्रेस की आगे की राह कठिनाइयों से भरी हुई है और बहुत चुनौतीपूर्ण भी है । पांच राज्यों में करारी हार के बाद कांग्रेस कार्यकारणी की ताजा बैठक का हवाला देते कहा कि मैं अच्छी तरह जानती हूं कि पांच राज्यों में हार के बाद हमारे नेता निराश हैं । चिंतन शिविर आयोजित करने की जरूरत पर जोर देते कहा कि हमारे समर्पण , प्रतिबद्धता और उदारता की भावना की परीक्षा का समय है यह । हर स्त्री एकजुटता जरूरी है ।

सोनिया गांधी ने यह भी कहा कि लोकतंत्र के लिए कांग्रेस का मजबूत होना बहुत जरूरी है । यह भी कहा कि बंटवारे के तथ्यों को तोड़मरोड़ कर भाजपा पेश कर रही है । हम सद्भाव व सौहार्द्र को नुकसान नहीं पहुंचने देंगे । इसके साथ ही बढ़ती महंगाई , तेल व पेट्रोल की बढ़ती कीमतों का विरोध करने का आह्वान भी किया । कभी मात्र प्याज चीनी की बढती कीमतों के विरोध मात्र से इंदिरा गांधी ने चुनाव जीत लिया था । आज रसोई गैस की कीमतें पचास रुपये तक बढ़ा दी और कांग्रेस आंदोलन खड़ा नहीं कर पा रही । पेट्रोल व डीजल की बेतहाशा बढ़ती कीमतों को मुद्दा नहीं बना पाए रही ।

पांच राज्यों में हार से क्रांग्रेस नेताओं का मनोबल नि:संदेह बहुत गिर गया है और पंजाब व हरियाणा में तो कुछ कांग्रेस नेता आप पार्टी की ओर जाने लगे हैं । यह बहुत विचारणीय है । पहले भी कम से कम सत्तर प्रतिशत कांग्रेस नेता भाजपा में विभिन्न स्तरों पर शामिल हो चुके हैं और भाजपा कांग्रेसमय हो चुकी है । ऐसी भाजपा से लड़ना और भी कठिन है जो अपनों के खिलाफ ही लड़ी जानी हो । अब भी कांग्रेस नेता नयी नयी राहें , नये नये दल खोजने में लगे हैं । तुरंत सोनिया गांधी को दो काम करने की जरूरत है -गुटबाजी पर लगाम लगाना और दूसरे दलों में पलायन से कांग्रेस नेताओं को रोकना । आपसी एकता देश की एकजुटता से भी जरूरी हो गयी है तभी कांग्रेस देश को एकजुट कर पायेगी । कांग्रेस खुद इतनी बिखरी हुई है कि कहने को मन कर रहा है :

इस कांगेस के टुकड़े हजार हुए
कोई यहां गया , कोई वहां गया ,,,

कांग्रेस की लोकप्रियता का ग्राफ लगातार गिरता जा रहा है । यह एक अछूत पार्टी बनती जा रही है , कोई दल इससे गठबंधन को भी राजी नहीं है । उत्तर प्रदेश में अखिलेश ने हारना मंजूर कर लिया लेकिन कांग्रेस से गठबंधन नहीं किया । तृणमूल कांग्रेस और आप भी इससे दूर ही रहते हैं ह यदि इनका साथ मिल जाता तो गोवा व उत्तराखंड में कांग्रेस की राह आसान हो जाती । अभी तो पंजाब व उत्तराखंड में हार के बाद भी घमासान मचा हुआ है तो हरियाणा में हुड्डा व शैलजा का एक दूसरे के प्रति कोई विश्वास नहीं है और हाईकमान बेबस नज़र आ रही है । कभी दक्षिण राज्यों में कांग्रेस की तूती बोलती थी । अब दक्षिण हो या उत्तर सब जगह कांग्रेस मैदान से बाहर दिखाई देती है । बहुत कठिन है राह कांग्रेस की । बड़े आप्रेशन की जरूरत है सोनिया जी । दिल कड़ा करके कर डालिए । जल्द लगाइए चिता शिविर और ढूँढ़िये अपनी गलतियां । नहीं तो कहना पड़ेगा:।
बड़ी देर की मेहरबान आते आते ,,,
-पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।

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