हरियाणा के लिए चंडीगढ़ और एसवाईएल दोनों महत्वपूर्ण हैं चौधरी बंसी लाल ने मुख्यमंत्री रहते 19 दिसंबर 1991 में सदन में कहा था कि एसवाईएल पर सबसे ज्यादा कार्य चौधरी देवी लाल के समय 1987 के बाद की सरकार ने किया कांग्रेस और भाजपा दोनों ने एसवाईएल के निर्माण के लिए कभी गंभीर प्रयास नहीं किए अगर मुख्यमंत्री साफ नीयत से प्रयास करते तो आज एसवाईएल का पानी हरियाणा को मिल गया होता चंडीगढ़, 5 अप्रैल: पंजाब विधान सभा में चंडीगढ़ पर प्रस्ताव पास किए जाने के मुद्दे पर मंगलवार को हरियाणा विधान सभा का विशेष सत्र बुलाया गया। इस दौरान ऐलनाबाद के विधायक अभय सिंह चौटाला ने सदन में कहा कि हम शुरू से ही चंडीगढ़ के समर्थन में हैं। उन्होंने कहा कि हरियाणा के पंजाब से अलग होने पर दोनों प्रदेशों की सीमाएं निर्धारित करने के लिए 23 अप्रैल 1966 को न्यायमूर्ति शाह की अध्यक्षता में आयोग का गठन किया गया। आयोग ने अपनी रिपोर्ट में हिसार, महेन्द्रगढ़, गुडग़ांव, रोहतक, करनाल, नरवाना और जीन्द तहसीलें, खरड़ तथा चंडीगढ़ कैपिटल प्रोजेक्ट, नारायणगढ़, अम्बाला और जगाधरी क्षेत्र हरियाणा को दिए लेकिन यह फैसला लागू नहीं हो सका और चंडीगढ़ को हरियाणा और पंजाब दोनों की राजधानी बना दिया गया। इसमें एसवाईएल पानी का मुद्दा भी था और इनेलो एकमात्र पार्टी है जिसने पूरे प्रदेश में आंदोलन चलाए और गंभीरता से लंबी लड़ाई लड़ी। चौधरी बंसीलाल ने मुख्यमंत्री रहते 19 दिसंबर 1991 में सदन में कहा था कि उनकी चौधरी देवी लाल या उनकी पार्टी से कोई मोहब्बत नहीं है लेकिन एसवाईएल पर सबसे ज्यादा कार्य चौधरी देवी लाल के समय 1987 के बाद की सरकार ने किया।चौधरी ओम प्रकाश चौैटाला के मुख्यमंत्री रहते 2002 में एसवाईएल पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला हरियाणा के हक में आया था लेकिन पंजाब में कांग्रेस की सरकार ने उस फैसले को नहीं माना और जितने भी अंतर्राज्यीय जल समझौते थे, उन्हें एक विधेयक पारित कर रद्द कर दिए। 2016 में सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब द्वारा पारित उक्त विधेयक को असंवैधानिक घोषित करते हुए रद्द कर दिया। इस मुद्दे पर एक सर्वदलीय बैठक बुलाई गई जिसमें फैसला लिया गया कि राजनीति से ऊपर उठ कर सभी दल राष्ट्रपति से मिलेंगे और मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने आश्वस्त किया था कि वह अपने स्तर पर प्रधानमंत्री से समय लेंगे और एसवाईएल के निर्माण की मांग करेंगे। हैरानी की बात है कि उन बातों को आज छह साल हो गए हैं लेकिन मुख्यमंत्री ने इस मुद्दे को लेकर प्रधानमंत्री से कोई बात नहीं की और न ही एसवाईएल नहर के निर्माण के लिए कोई प्रयास किया। कांग्रेस और भाजपा दोनों ने एसवाईएल के निर्माण के लिए कभी गंभीर प्रयास नहीं किए। उन्होंने कहा कि अगर मुख्यमंत्री साफ नीयत से प्रयास करते तो आज एसवाईएल का पानी हरियाणा को मिल गया होता। बीबीएमबी मुद्दे पर भी मुख्यमंत्री को घेरते हुए अभय सिंह चौटाला ने कहा कि जब केंद्र सरकार द्वारा हरियाणा के हितों के खिलाफ यह निर्णय लिया गया तब भी मुख्यमंत्री की तरफ से फैसले के खिलाफ कोई टिप्पणी नहीें की गई। Post navigation पंजाब सरकार ने चण्डीगढ़ को लेकर जो प्रस्ताव पास किया है वो राजनीतिक प्रस्ताव है- गृह एवं स्वास्थ्य मंत्री विधानसभा विशेष सत्र : शोक प्रस्ताव पढ़े गये और दो मिनट का मौन रखा, दिवंगत आत्माओं की शांति के लिए प्रार्थना की