-कमलेश भारतीय

चंडीगढ़ को लेकर एक बिल फिर पंजाब व हरियाणा आपने सामने हैं । पंजाब से अलग राज्य हरियाणा के गठन से ही लेकर आज तक ये मुद्दे छाये रहते हैं : चंडीगढ़ और सतलुज ब्यास लिंक नहर पर किसका हक ? कभी ज्यादा हंगामेदार तो कभी कोर्ट कचहरी होती रहती है । कभी एसवाईएल का केस जीतने पर ओमप्रकाश चौटाला लड्डू खिला रहे थे । अभी होली के आसपास मनोहर लाल खट्टर ने भी भगवंत मान को घर बुला कर जीत का मुंह मीठा करवाया था । अब वह मिठास खत्म भी हो गयी । रिश्तों में खट्टास आ गयी । बहुत जल्दी । ये मुद्दे शांत नहीं हो रहे ।

अब नया हंगामा इसलिए बरपा क्योंकि पंजाब ने विधानसभा में इसे उठाते हुए चंडीगढ़ पंजाब को दिये जाने की मांग उठाई है जिसके साथ ही हरियाणा के नेताओं की बयानबाजी शुरू हो गयी है । अभी तक तो आप पार्टी में शामिल होने वालों की खबरें प्रमुख थीं और प्रमुख दलों को बहुत चिंता थी कि आप कितने पांव पसार लेगी लेकिन अब यह चिंता तो हो गयी खत्म क्योंकि आप में अब हरियाणा के नेता सोच समझ कर ही शामिल होंगे । यह मुद्दा इसीलिए हरियाणा की हर पार्टी ने एकदम उठाया है ताकि आप को हरियाणा में आने से रोक सकें । हर पार्टी आप पर आरोप लगायेगी कि हरियाणा के हितों की अनदेखी कर रही है । यही नहीं अरविंद केजरीवाल पंजाब के लोगों को खुश करने के लिए कह चुके हैं कि एफआईएल के पानी पर हरियाणा का कोई हक नहीं तो फिर हरियाणा के वोट कैसे मिल जायेंगे ? बड़ी कठिनाई है राह हरियाणा की ।

इसके बावजूद हराता प्रदेश कांग्रेस इस मुद्दे पर भी एकजुट नहीं । जहां नेता प्रतिपक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने दिल्ली में विधायकों की बैठक बुलाई है , वहीं प्रदेशाध्यक्ष शैलजा ने चंडीगढ़ में अलग बैठक आमंत्रित की है । इस तरह राहुल गांधी के एकजुटता के पाठ को अनसुना किया जा रहा है । हरियाणा की जनता कांग्रेस की गुटबाजी से परेशान हो चुकी है ।।ऊपर ऊपर से एकजुटता की बातें जनता की धोखे मे नहीं रख सकतीं । कुछ विधायकों ने मांग की है कि जल्द से जल्द इस मुद्दे पर विधानसभा सत्र बुलाया जाये और इस संकट से पार्टी विरोध छोड़कर राज्य हित को सर्वोपरि रख कर विचार विमर्श किया जाये ।
पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।