मुख्यमंत्री ने प्रदेश में भारी भ्रष्टाचार होना परोक्ष रूप से स्वीकार कर लिया है। परोक्ष स्वीकारोक्ति से सवाल खड़ा होता है कि सत्ता ग्रहण करने के पहले दिन से स्वच्छ और भ्रष्टाचारमुक्त सरकार देने का दावा करने वाली खट्टर सरकार अभी तक क्यों सोई हुई थी।

उमेश जोशी

पंजाब में आम आदमी पार्टी की आँधी के बाद हरियाणा की राजनीति में हलचल शुरू हो गई है। काँग्रेस के अभी तक शिथिल हैं लेकिन बीजेपी के नेता अधिक सक्रिय हो गए हैं। हालांकि पंजाब का सामाजिक और साँस्कृतिक ढांचा हरियाणा से एकदम अलग है इसलिए पंजाब के मतदाताओं की केमिस्ट्री भी हरियाणा के मतदाताओं से पूरी तरह भिन्न है लेकिन मतदाताओं की केमिस्ट्री बदलने में कोई वक़्त नहीं लगता है; कभी भी बदल सकती है। मुफतखोरी का जादू सबके सर चढ़ता है और उससे चुनावी नतीजे भी प्रभावित होते हैं। निर्विवाद तथ्य यह है कि मुफातखोरी के वायदे मतदाताओं के गले उतारने में आम आदमी पार्टी का कोई शानी नहीं है। दूसरी पार्टियों के वायदों पर मतदाता शक कर सकते हैं लेकिन आम आदमी पार्टी को वायदों की कला में ऐसी महारत है कि उसके सभी वायदे जनता को वजनदार लगते हैं, भले ही दूसरी पार्टियाँ उन्हें खोखला बताती रहें। ऐसी स्थिति ने बीजेपी को चौकन्ना कर दिया है।

बीजेपी के नेताओं खासतौर से मुख्यमंत्री ने अचानक अपनी कार्यशैली बदल दी है। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान बेहिचक, बेझिझक आम लोगों से रूबरू हो रहे हैं, उनकी समस्याएँ सुन रहे हैं। यह मॉडल लोगों को पसंद आ रहा है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर सशंकित हैं कि हरियाणा की जनता देर सबेर यह सवाल खड़ा करेगी कि जब भगवंत मान जनता के बीच जा सकते हैं, उनकी समस्याएं सुन सकते हैं तो आप जनता से दूर क्यों रहे। हाल में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर का हिसार दौरा जनता के बीच नियमित जाने की योजना का श्रीगणेश माना जा रहा है। हिसार के लोगों का कहना है कि पिछले करीब साढ़े सात साल के कार्यकाल में मुख्यमंत्री सिर्फ एक बार एक दिन के लिए हिसार आए थे, उसमें भी किसी से नहीं मिले; पार्टी कार्यकर्ताओं से भी दूरी बनाए रखी। हिसार में रात बिताई थी लेकिन सुबह बहुत जल्दी निकल गए थे। इस बार दो दिन के लिए हिसार गए, कई कार्यक्रमों में शिरकत की और कार्यकर्ताओं से भी रूबरू हुए। कार्यकर्ताओं से अचानक इस तरह रूबरू होना, मुख्यमंत्री की कार्यशैली में बदलाव का संकेत देता है।

भगवंत मान भ्रष्टाचार खत्म करने के लिए कड़े कदम उठाने का एलान किया है। न सिर्फ़ एलान किया है बल्कि अमल भी शुरू कर दिया है। हरियाणा में भ्रष्टाचार बहुत बड़ा मुद्दा है लेकिन इस पर खट्टर सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। हाल में हरियाणा विधान सभा के बजट सत्र में काँग्रेस विधायक नीरज शर्मा ने भ्रष्टाचार के मुद्दे पर सरकार को उसके नाकारापन के लिए खूब कोसा है। उन्होंने तो एक भीष्म प्रतिज्ञा कर इतिहास रच दिया। उन्होंने कहा कि जब तक फरीदाबाद नगर निगम में 180 करोड़ रुपए के घोटाले के जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई नहीं होगी, वे सिले हुए वस्त्र और पैरों में जूते नहीं पहनेंगे।

नीरज शर्मा की यह प्रतिज्ञा भ्रष्टाचार के खिलाफ एक अभियान का रूप ले सकती है। निश्चय ही जनता यह सवाल पूछेगी कि खट्टर साहब! आपने भ्रष्टाचार से निपटने के लिए क्या कदम उठाए। हमारे पड़ोसी राज्य पंजाब में मुख्यमंत्री भ्रष्टाचार के खिलाफ इतने सक्रिय हैं तो आप क्यों नहीं हैं। वैसी ही सक्रियता दिखाने के लिए मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने उपायुक्तों और पुलिस अधीक्षकों सहित राज्य के शीर्ष अधिकारियों को भ्रष्टाचार के बढ़ते मामलों के बारे में कड़ी चेतावनी दी और कहा कि वह उनके आचरण और प्रदर्शन पर निगरानी कर रहे हैं। चंडीगढ़ में हरियाणा निवास में वरिष्ठ अधिकारियों के साथ दो घंटे की लंबी बैठक में कहा कि यदि वे अपने तरीके से सुधार करने में विफल रहे तो उन्हें परिणाम भुगतने होंगे। पिछले करीब दो वर्षों में इस तरह की पहली आमने-सामने की बैठक थी।

मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से कहा कि भ्रष्टाचार सरकार की विश्वसनीयता को खत्म कर रहा है। उन्होंने कहा कि हमें इस खतरे से निपटना होगा। उपायुक्तों और पुलिस अधीक्षकों को सामने से नेतृत्व करना होता है। जो अधिकारी अपने तरीके नहीं सुधारेंगे और जिनका आचरण संदिग्ध पाया जाएगा, उन्हें जवाबदेह ठहराया जाएगा।

बैठक में खट्टर ने यह भी घोषणा की कि भ्रष्टाचार के खिलाफ एक उच्च-शक्ति-समिति का नेतृत्व मुख्य सचिव करेंगे। वित्तीय आयुक्त (राजस्व), अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह), अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (सीआईडी), निदेशक (राज्य सतर्कता ब्यूरो), पुलिस महानिदेशक और मुख्यमंत्री कार्यालय का एक अधिकारी इस समिति के सदस्य होंगे। समिति भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने वाली प्रणाली में खामियां दूर करने के लिए संरचनात्मक ढांचे में बदलाव का सुझाव भी देगी।

अचानक भ्रष्टाचार पर मुख्यमंत्री का सक्रिय होना और तरह तरह के उपाय करने में मुस्तैदी दिखाना यह साबित करता है कि मुख्यमंत्री ने प्रदेश में भारी भ्रष्टाचार होना परोक्ष रूप से स्वीकार कर लिया है। परोक्ष स्वीकारोक्ति से सवाल खड़ा होता है कि सत्ता ग्रहण करने के पहले दिन से स्वच्छ और भ्रष्टाचारमुक्त सरकार देने का दावा करने वाली खट्टर सरकार अभी तक क्यों सोई हुई थी।

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