हरियाणा में उच्चतर शिक्षा के गिरते स्तर पर चिंता जताई व उच्चतर शिक्षा को विश्वस्तरीय बनाने हेतु व शिक्षा के गिरते स्तर के मूल कारण ,हरियाणा सरकार द्वारा अयोग्य एक्सटेंशन लेक्चरर्स भर्ती के घोटाले की सीबीआई जांच की मांग को लेकर मुख्यमंत्री के नाम सौंपा ज्ञापन
लाखों उच्चतर विद्यार्थियों का भविष्य अंधकार में
हरियाणा एस्पायरिंग असिस्टेंट प्रोफेसर एसोसिएशन का घोर अन्याय के विरुद्ध जंग का ऐलान
हरियाणा मिनी सेक्रेट्रिएट में अतिरिक्त मुख्य सचिव चंडीगढ़ को सी एम हरियाणा के नाम ज्ञापन सौंप छेड़ा मुहिम, इससे पूर्व डायरेक्टर हायर एजुकेशन को भी सौंपा ज्ञापन ।
हरियाणा के विभिन्न राजकीय महाविद्यालयों में नकली डिग्री/गलत चयन व नियुक्तियां/ गलत समायोजन/ अयोग्य एक्सटेंशन लेक्चरर्स की भर्ती की सीबीआई या हाई पावर इंडिपेंडेंट एजेंसी से जांच करवाने व उन्हें तुरंत हटा कर रेगुलर अपॉइंटमेंट करवाने की मांग की है।
एसोसिएशन के लगभग 80 सदस्य मौन जुलूस में मौजूद रहे इनमें डॉक्टर दीपक प्रोफेसर सुभाष सपरा, गौरव, रवीं , प्रदीप सुशील, आर के जांगड़ा , अनिल अहलावत, बिजेंद्र सिंह ,संजीव , अंकित बामल, राकेश कुमार, अमन माण्डरा सहित अन्य साथी मौजूद रहे।

चंड़ीगढ़ , 28 मार्च – प्रदेश के विभिन्न कॉलेजों में अयोग्य एक्सटेंशंस लेक्चरर्स भर्ती घोटाला उजागर करने वाले लोगों ने सोमवार को प्रदेश के सीएम मनोहर लाल के नाम ज्ञापन सौंपकर इस मामले की सीबीआई या हाई पावर इंडिपेंडेंट एजेंसी से जांच करवाने व उन्हें तुरंत हटा कर रेगुलर अपॉइंटमेंट करवाने की मांग की है।

ज्ञापन के माध्यम से बताया गया कि प्रदेश के विभिन्न विद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसर का वर्क लोड हमेशा रहता है। इसी संदर्भ में उच्चतर शिक्षा विभाग हरियाणा द्वारा 5 जून 2013 के जारी पत्र द्वारा प्रदेश के विभिन्न महाविद्यालयों में 200 रुपए प्रति पीरियड के हिसाब से (अधिकतम 18 हजार रुपए प्रति माह) एक्सटेंशन लेक्चरर्स की नियुक्ति के प्रचार्यों को आदेश दिए थे। इसके लिए प्रचार्यों व स्टाफ ने मिलीभगत कर अपनी इच्छा से इन भर्तियों में फर्जीवाड़ा कर अपने परिचितों व भाई भतीजावाद कर नॉनक्वालिफाइड व नॉन एलिजिबल एक्सटेंशन लेक्चरर्स लगाने शुरू कर दिए। धीरे-धीरे इनकी संख्या बढ़ती चली गई। इनके द्वारा प्राइवेट यूनिवर्सिटीज से प्राप्त नकली पीएचडी डिग्री का प्रचलन बढ़ता चला गया और गलत ढंग से चयन व नियुक्तियां होनी शुरू हो गई। भाई-भतीजावाद व भ्रष्टाचार को भी और तेजी से बढ़ावा मिलना शुरू हो गया। सरकार के उदासीन रवैया व उच्चतर शिक्षा विभाग की लापरवाही के कारण इन एक्सटेंशन लेक्चरर की संख्या हजारों में पहुंच गई। इन्होंने सड़क पर सरकार के विरुद्ध प्रदर्शन करने शुरू कर दिए और सरकार से धीरे-धीरे अपनी मांगे मनवानी शुरू कर दी। 20 जुलाई 2017 को इनका वेतन ₹18000 प्रतिमा से बढ़ाकर ₹25000 कर दिया गया।

अक्टूबर 2019 में हरियाणा विधानसभा चुनाव के तुरंत पहले सरकार पर इक्वल वर्क इक्वल पे का दबाव डाला और सड़कों पर निकल आए। उन्होंने सारे शहरों में मुख्यमंत्री, शिक्षा मंत्री व अधिकारियों के पुतले जलाने शुरू कर दिए और परीक्षाओं का बहिष्कार भी कर दिया। चुनाव के दृष्टिगत हरियाणा सरकार को इनके समक्ष झुकना पड़ा व इनका मासिक वेतन 57700 रुपए प्रतिमा एलिजिबल वह 35400 रुपए मासिक नन एलिजिबल कर दिया गया। इसके बाद जो लोग अपनी इच्छा से इधर-उधर नौकरी छोड़ कर चले गए थे, वे सब प्रचार्यों व स्टाफ की मिलीभगत से वापिस आकर कॉलेजों में एडजस्ट होने शुरू हो गए। उन्होंने प्राइवेट यूनिवर्सिटी से आलू-टमाटर की तरह पीएचडी की नकली डिग्रियां बनवारी शुरू कर दी और 57700 रुपए प्रतिमा लेने शुरू कर दिए। इस सब में उच्चतर शिक्षा विभाग हरियाणा के कर्मचारी भी शामिल हो गए व बुरी तरह से भ्रष्टाचार का बोलबाला होने लगा।

पीड़ित व फ्रेश वेल-क्वालिफाइड युवक घरों में बैठकर हाथ मलते रहे। उसके पश्चात कई बार सरकार ने नन एलिजिबल कैंडिडेटस को हटा दिया, परंतु उच्चतर शिक्षा विभाग व कॉलेजों की मिलीभगत व कई बार माननीय पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट चंडीगढ़ के आदेश पर इन वन एलिजिबल कैंडिडेटस वापस बुला लिए गए। उच्चतर शिक्षा विभाग हरियाणा ने भी उदासीन रवैया अपनाते हुए माननीय पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में सही ढंग से पैरवी नहीं की। उपरोक्त सब का खामियाजा वेल क्वालिफाइड नेट पीएचडी यूथ को भुगतना पड़ रहा है। गौरतलब है की अभी कुछ दिन पूर्व दीपक कुमार, एच सी इस जॉइंट डायरेक्टर एडमिन व् सुखविंदर सिंह, डिप्टी डायरेक्टर हायर एजुकेशन हरयाणा ने हड़ताल/प्रदर्शन/आमरन अनशन/गिरफ्तारियां देने वालों को इनके घटना स्थल पर जाकर इनका आमरन अनशन तुड़वाया है व इनको विश्वास दिलाया है कि इनकी मांगे हम पूरी कर रहे है। जो कि बिल्कुल गलत है इसका अर्थ ये हुआ कि ये किस तरह से घिनौनी हरकतें व हथकंडे अपनाकर सरकार पर दबाव बनाते है व अपने कार्य को सफल बना रहे है। जो कि काफी निन्दनीय है। अतः इनकी किसी भी प्रकार की मांग न मानी जाऐ।

जारी विज्ञप्ति में यह भी बताया गया कि मार्च 2020 में उच्चतर शिक्षा विभाग हरियाणा ने 2592 असिस्टेंट प्रोफेसर के पदों की नई नियुक्तियों की स्वीकृति दी थी। परंतु यह फाइल अभी तक दबी पड़ी है।

हकीकत यह है कि करीब 1 वर्ष पूर्व उपरोक्त एक्सटेंशन लेक्चरर्स की प्राइवेट यूनिवर्सिटी की फर्जी डिग्रियों की जांच के आदेश उच्चतर शिक्षा विभाग हरियाणा ने कॉलेजों के प्राचार्य को दिए थे। इसकी रिपोर्ट भी प्राचार्य व विभाग के कर्मचारियों की मिलीभगत से आज तक दबी पड़ी। अर्थात एक चोर दूसरा चोर की ही जांच कर रही थी इसलिए उसको दबा दिया गया।

यह है कि अब एक बार फिर मेमो नंबर 22/80-2020 सी1(5), 08 फरवरी 2022 को उच्चतर शिक्षा विभाग हरियाणा ने वर्किंग एक्सटेंशन लेक्चरर्स द्वारा प्राप्त 5 प्राइवेट यूनिवर्सिटीज को चिन्हित कर फर्जी डिग्रियों की जांच के आदेश प्राचार्य को दिए हैं। जो बिल्कुल ही गलत है क्योंकि यही वर्किंग एक्सटेंशन लेक्चरर्स इन्हीं प्रचार्यों व स्टाफ द्वारा नियुक्त किए गए हैं।

यह है कि वर्किंग एक्सटेंशन लेक्चरर्स ने अपने आप को बचाने के लिए रेगुलर असिस्टेंट प्रोफेसर प्रोफेसर की भर्ती को रोकने और अपनी रोजगार सुरक्षा के लिए एक बार फिर सड़कों पर उतर आए हैं और अब फिर विपक्षी राजनीतिक दलों के नेताओं का सहारा ले रहे हैं और हरियाणा सरकार को बुरी तरह से बदनाम कर रहे हैं। मुख्यमंत्री, शिक्षा मंत्री व उच्चतर शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के विरुद्ध नारेबाजी कर रहे हैं व बड़ी-बड़ी चेतावनी दे रहे हैं।

इसके साथ ही उन्होंने मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि उपरोक्त वर्किंग एक्सटेंशन लेक्चरर्स द्वारा प्राइवेट यूनिवर्सिटी से प्राप्त हुई डिग्रियां, गलत चयन व नियुक्तियां/ गलत समायोजन/इलेजिबल लेक्चरर्स की जांच कॉलेज के प्रचार्यों से ना करवा कर सीबीआई या हाई पावर इंडिपेंडेंट एजेंसी से करवाई जाए, जिससे दूध का दूध पानी का पानी हो जाए, क्योंकि यह भर्ती घोटाला विभिन्न कॉलेजों के प्रचार्यों व स्टाफ उच्चतर शिक्षा विभाग के कर्मचारियों द्वारा किया गया है। इसलिए वे इसे ठीक ढंग से नहीं होने देंगे।

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