सुरेश गोयल धूप वाला,……….मीडिया प्रभारी , निकाय मंत्री डॉ कमल गुप्ता पांच राज्यों में हुए विधान सभा चुनावों में से चार राज्यो में भाजपा की प्रचण्ड बहुमत ने यह बात पूरी तरह सिद्ध कर दी है कि अब जातिवाद, परिवारवाद या वंशवाद की राजनीति के कोई मायने नही रह गए हैं। सोशल इंजनरिंग के फार्मूले भी बहुत गढ़े जाते रहे हैं । बार बार इनका उपयोग भी किया जाता रहा है। आंशिक सफलता भी पार्टियां हासिल करती रही है। इस तरह के फार्मूले एक अवसर पर तो लाभ पहुँचा सकते है परंतु स्थायित्व की ओर नही लेकर जा सकते। इन चुनावों में यह बात भी पूरी तरह सिद्ध हो चुकी है कि धनबल बाहुबल का प्रभाव भी काम नही आया। वास्तव में तो जनता की आंकाक्षा रहती है कि हमारे शहर , गांव या कस्बे का विकास हो । उनकी मूल- भुत आवश्यकताएं बिजली- पानी की उपलब्धता हो । स्वास्थ, शिक्षा का समुचित प्रबंधन हो। किसानों को खाद- बीज की समय पर उपलब्धता रहे, भ्र्ष्टाचार से निजात मिले, गुंडतत्वो पर अंकुश लगे, यही सब तो जनता चाहती है । पिछले पांच वर्षों में भाजपा शासित राज्यो में यही सब तो हुआ। भारतीय जनता पार्टी परिवारवाद,जाति वाद , क्षेत्रवाद वंशवाद से कोसो दूर है। राष्ट्रवाद पार्टी की विचार धारा का प्रमुख अंश है। समाज के सबसे कमजोर तबके के व्यक्ति को सरकार की जनकल्याणकारी नीतियो का लाभ पहुंचे इस बात का प्रयास हमेशा पार्टी का रहता है। समाज के सभी वर्गों को साथ लेकर सबका साथ, सबका विकास सबका विश्वास यही पार्टी की सफलता का राज है। यद्द्पि उत्तरप्रदेश में समाजवादी पार्टी ने 300 यूनिट मुफ्त बिजली देने की घोषणा करके वोटरों को लुभाने का प्रयास किया था , परंतु प्रदेश की जनता ने जागरूकता का परिचय देकर उनके मंसूबो को विफल कर दिया। पंजाब विधानसभा चुनाव की बात की जाए तो दिल्ली में मुफ्तखोरी का फार्मूला सफल होने के बाद अब अरविंद केजरीवाल इस फार्मूले को पूरे देश मे आजमा कर देश के प्रधानमंत्री बनने की बहुत बड़ी महत्वकांक्षा पाले बैठे हैं । पंजाब चुनाव में केजरीवाल पार्टी की भारी जीत ने उनके हौसले औऱ अधिक मजबूत कर दिए है। पंजाब में 300 यूनिट बिजली मुफ्त देने की घोषणा । पंजाब की हर महिला को पैसे दिए जाने की घोषणा दिल्ली की तर्ज पर बसों में महिलाओं को बसों को मुफ्त यात्रा । वास्तव में इस तरह की घोषणाऐ समाज का भला नही कर सकती । मुफ्तखोरी की ऐसी नीतियो से दूरदर्शिता की कमी हमेशा परिलक्षित होती है । इस नीति के कारण विकास कार्यो का पीछे जाना स्वभाविक है। आप पार्टी की इस तरह की नीति से देश का बहुत बड़ा अहित ही कर रही है । क्योंकि देखा देखी दूसरे राज्यो में भी अन्य पार्टियां इसका अनुशरण कर सकती है। Post navigation खंडित हो रहे परिवार, हमारी संस्कृति में गिरावट के प्रतीक यूक्रेन युद्ध संकट से उठे भारतीय चिकित्सा शिक्षा प्रणाली पर सवाल