दिशाहीन बजट ने प्रदेश की जनता को एक बार फिर निराश किया ‘क़र्ज़ा लेकर घी पीने, पर कुछ ना करने’ के फार्मूले पर आधारित है हरियाणा का बजट चंडीगढ़, 8 मार्च, 2022कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और मीडिया प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा है की भाजपा-जजपा सरकार के ‘क़र्ज़ा लेकर घी पीने, पर कुछ ना करने’ के फार्मूले पर आधारित दिशाहिन बजट से हरियाणा में कर्जा तो बढ़ा पर जनता को कुछ नहीं मिला। प्रदेश पर कर्ज बढ़ा- पर जनता को कुछ नहीं मिला बजट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए सुरजेवाला ने कहा वर्ष 1966 से 2014 तक यानि 48 साल में विभिन्न सरकारों ने केवल 70,931 करोड़ रुपए ऋण लिया, पर वर्तमान भाजपा सरकार ने सात साल में ही 1,52,837 करोड़ रुपए ऋण लिया। वर्ष 2014-15 तक हरियाणा पर कुल ऋण 70,931 करोड़ रुपए था, जो मार्च 2022 में 215 प्रतिशत से ज़्यादा बढ़कर 2,23,768 करोड़ हो गया है। सबसे बड़ा सवाल है कि पिछले सात-आठ साल में हरियाणा सरकार ने सब चीज़ों पर टैक्स बढ़ाए, प्रदेश में कोई बड़ा प्रोजेक्ट नहीं शुरू हुआ, स्कूल-अस्पताल नहीं बने, एक लाख से ज़्यादा सरकारी पद ख़ाली पड़े हैं, तो फिर 1,52,837 करोड़ रुपए जो ऋण में लिए गए, वो कहाँ खर्च हुए? टेक्निकल एजुकेशन और इंडस्ट्रीयल ट्रेनिंग के लिए बजट में भारी कमी- श्री सुरजेवाला ने कहा कि हरियाणा बजट में टेक्निकल एजुकेशन औऱ इंड्स्ट्रीयल ट्रेनिंग के लिए बजट को दो-तिहाई से ज्यादा घटा दिया गया है, जिसका मतलब है कि सरकार प्रदेश के युवाओं को रोजगारोन्मुखी तकनीकी शिक्षा नहीं देना चाहती, जबकि प्रदेश में पहले ही देश में सबसे ज्यादा बेरोजगारी है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2021-22 में 1,522 करोड़ रुपए टेक्निकल एजुकेशन और इंडस्ट्रीयल ट्रेनिंग के लिए खर्च हुए थे, लेकिन सरकार ने अगले वर्ष 2022-23 के लिए उसे घटाकर 400 करोड़ कर दिया है। सरकार ने रखा टैक्सों में बढ़ोतरी का प्रावधान- प्रदेश सरकार ने वर्ष 2022-23 के लिए टैक्स रेवेन्यू में एक्साइज, वैट, स्टेट जीएसटी और स्टाम्प ड्यूटी जैसे टैक्सों में बढ़ोतरी का प्रावधान रखा है, जिसका मतलब है सरकार पेट्रोल-डीजल के वैट पर कोई राहत नहीं देने वाली औऱ प्रदेश की जनता पर टैक्सों का बोझ बढ़ाया जाएगा। लोकल बॉडीज के लिए बजट घटाया- वर्ष 2020-21 में ग्राम पंचायतों को ग्रांट-इन-एड के रुप में 1,264 करोड़ रुपए दिए गए थे, लेकिन उसके मुकाबले में 2021-22 में केवल 1,091.4 करोड़ दिए गए और अब 2022-23 में केवल 1,126.23 करोड़ का प्रावधान रखा गया है। इसी प्रकार शहरी स्थानीय निकायों को भी ग्रांट-इन-एड के रुप में वर्ष 2020-21 में 1,825 करोड़ रुपए दिए गए थे, लेकिन पिछले वर्ष 2021-22 में केवल 1,697.4 करोड़ ही दिए गए, वर्ष 2022-23 के लिए बढ़ती महंगाई के बावजूद केवल 1,749.57 करोड़ रुपए का प्रावधान रखा गया है। वर्ष 2020-21 में सरकार ने ग्रामीण क्षेत्र के विकास तथा कृषि और इससे जुड़े क्षेत्रों में प्रावधान किए गए राशि को पूरा खर्च न करके अपनी जन विरोधी सोच को एक बार फिर उजागर कर दिया है। Post navigation बजट सभी वर्गों को निराश करने वाला : बलराज कुंडू हरियाणा : विकास का एक भी बड़ा प्रोजेक्ट नही लगा, लगभग डेढ़ लाख करोड रूपये का कर्ज आखिरकार गया कहां ? विद्रोही