रेलवे विश्व की पहला विद्युतीकृत रेल टनल का निर्माण कर रहा है, जिसका काम लगभग पूरा हो चला

डी आकार वाली करीब एक किलोमीटर लंबी इस सुरंग में बिजली की लाइनें बिछाई
भूतलाका गांव में स्थित लाखों साल पुरानी अरावली की पहाड़ियों को काटकर किया जा रहा है 
अरावली की पहाड़ियों के बीच डबल रेक के लिहाज से टनल बनाना एक बड़ी चुनौती थी

भारत सारथी

गुरुग्राम । उत्तर प्रदेश के दादरी से मुंबई के जवाहरलाल नेहरू बंदरगाह तक बनाए जा रहे वेस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर का काम तेजी से चल रहा है। 1504 किलोमीटर लंबे इस फ्रेट कॉरिडोर पर दादरी से रेवाड़ी सेक्शन का काम फाइनल स्टेज पर पहुंच चुका है. इसी में रेलवे विश्व की पहला विद्युतीकृत रेल टनल का निर्माण कर रहा है, जिसका काम लगभग पूरा हो चला है.

रेलवे के मुताबिक, गुरुग्राम के सोहना में 2.5 किलोमीटर लंबे रेल ओवरब्रिज का काम पहले ही पूरा किया जा चुका है. रेल टनल का निर्माण कार्य भूतलाका गांव में स्थित लाखों साल पुरानी अरावली की पहाड़ियों को काटकर किया जा रहा है. दावा है कि इतनी ऊंचाई और इतनी चौड़ाई वाला ये दुनिया का पहला रेल टनल होगा. इस टनल में दोनों लाइनों पर एक साथ दो डबल डेकर मालगाड़ी 100 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से अलग-अलग दिशाओं में रफ्तार भर सकेंगी.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, टनल में अब पटरियां और इलेक्ट्रिक उपकरण लगाने का काम किया जा रहा है, जिसे जल्द ही पूरा कर लिया जाएगा. डीएफसीसीआईएल के अधिकारियों की मानें तो भूतलाका गांव में बनाए गए इस रेल टनल की ऊंचाई 11.7 मीटर और चौड़ाई 15 मीटर है.

विश्व का पहला विद्युतीकृत रेल टनल
रेलवे की डेडीकेटेड फ्रेट के इंजीनियरों के मुताबिक, अरावली की पहाड़ियों के बीच डबल रेक के लिहाज से टनल बनाना एक बड़ी चुनौती थी लेकिन साल भर के भीतर इसको तैयार कर लिया गया है. रेलवे के डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर के सीएमडी एके सचान के मुताबिक यह डबल स्टेक कंटेनरों के संचालन के लिए उपयुक्त विश्व का पहला विद्युतीकृत रेल टनल होगा. टनल का यह कार्य रिकॉर्ड एक वर्ष से भी कम समय में पूरा किया गया है. इस साइट पर कार्य 2019 में शुरू हुआ था.

 वेस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर का काम तेजी से चल रहा है. 1504 किलोमीटर लंबे इस फ्रेट कॉरिडोर पर दादरी से रेवाड़ी सेक्शन का काम फाइनल स्टेज पर पहुंच चुका है.

अत्याधुनिक मशीनों से काटी गईं अरावली की चट्टटानें
करीब डेढ़ साल पहले रेल टनल बनाने का काम शुरू किया गया था. अधिकारियों के मुताबिक, सोहना इलाके में कम से कम 10 लाख साल पुरानी चट्टानों को काटना काफी चुनौतीपूर्ण काम था. इसे बनाने के लिए अत्याधुनिक मशीनों और तकनीक का इस्तेमाल किया गया. इसे 2500 साल से भी ज्यादा पुराने प्रोटेरोजोइक चट्टानों खासतौर से क्वार्टजाइट, शिस्ट्स और स्लेट्स से बनाया गया है. इसमें से डबल डेकर और 25 टन एक्सल लोड वाली मालगाड़ियां 100 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से आसानी से गुजर सकती हैं. रेल मंत्रालय ने इसके निर्माण की डेडलाइन जून 2022 की है.

माल की ढुलाई होगी सस्ती, काफी समय बचेगा
दादरी से रेवाड़ी खंड का निर्माण होने के बाद नोएडा, ग्रेटर नोएडा, फरीदाबाद, गुड़गांव व रेवाड़ी के औद्योगिक क्षेत्र सीधे जवाहरलाल नेहरू पोर्ट से जुड़ गए हैं. उद्योगों को माल की ढुलाई न केवल सस्ती पड़ेगी बल्कि समय की भी बचत होगी. अभी उद्योगों को माल की ढुलाई ट्रक के माध्यम से करनी पड़ती है. दादरी दोनों ईस्टर्न व वेस्टर्न दोनों डीएफसी का जंक्शन होगा. पिछले साल जनवरी में प्रधानमंत्री ने रेवाड़ी से मदार तक के हिस्से का उद्घाटन कर दिया था. जहां डबल डेकर मालगाड़ियां दौड़ रही हैं.

 दादरी से रेवाड़ी खंड का निर्माण होने के बाद नोएडा, ग्रेटर नोएडा, फरीदाबाद, गुड़गांव व रेवाड़ी के औद्योगिक क्षेत्र सीधे जवाहरलाल नेहरू पोर्ट से जुड़ गए हैं.

अरावली की पहाड़ियों काे काटकर बन रही है सुरंग
सोहना सुरंग की भौगोलिक रूप से मजबूत बनाई गई है. अरावली की पहाड़ियों पर बनी यह सुरंग मेवात और गुड़गांव को जोड़ती है. डी आकार वाली करीब एक किलोमीटर लंबी इस सुरंग में बिजली की लाइनें बिछाई गई हैं, इसका क्रास सेक्शन एरिया 150 वर्ग मीटर है. तेज गति के लिए सुरंग के अंदर बैलास्टेड ट्रैक बिछाया गया है.

4 लोडिंग अनलोडिंग हब बनेंगे
दादरी से रेवाड़ी के बीच 127 किमी लाइन पर चार लोडिंग-अनलोडिंग हब होंगे. इनमें न्यू फरीदाबाद, न्यू पृथला, गुड़गांव के पास न्यू तावडू और न्यू धारूहेड़ा में बनाए जा रहे हैं. न्यू तावडू हब गुड़गांव से सटा हुआ है, जो केएमपी के पास बनाया जा रहा है. बाद में इसे यहां से निकलने वाली हरियाणा आर्बिटल रेल कॉरिडोर से भी इसे जोड़ा जाना है.

 अधिकारियों के मुताबिक, सोहना इलाके में कम से कम 10 लाख साल पुरानी चट्टानों को काटना काफी चुनौतीपूर्ण काम था. इसे बनाने के लिए अत्याधुनिक मशीनों और तकनीक का इस्तेमाल किया गया.

डीएफसीसीआईएल के जीएम कॉर्डिनेशन एके तिवारी ने कहा कि सुरंग के सामने काफी मलबा है, जिसे उठाया जा रहा है और अंदर ड्रेनेज, ओएचई व लाइन बिछाने काम चल रहा है. उम्मीद है कि डेडलाइन से पहले दादरी रेवाड़ी खंड को तैयार लिया जाएगा. डीएफसी तैयार होने के बाद यात्री गाड़ियों को खाली रास्ता मिलेगा. यात्री गाड़ियों की स्पीड को मौजूदा क़रीब 90 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड को 130-160 तक करना आसान हो जाएगा.

रेल टनल बनने से ये होगा फायदा
-100 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से एक ट्रेन एक साथ 13,000 टन माल ले जा सकेगी.
-पहले 40 से 50 किमी की औसत स्पीड से यह क्षमता मात्र 5000 टन की थी.
-500 डिब्बों की माल गाड़ियां डेढ़ से दो किलोमीटर लंबी और डबल डेकर होंगी.
-उद्योगों के अलावा हरियाणा, राजस्थान व यूपी के किसान अपनी फसल कम समय में पहुंचा सकेंगे.
-डीएफसी पर कोई क्रासिंग नहीं है, जिससे ट्रेन के संचालन और गति में कोई रुकावट नहीं आएगी.

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