चण्डीगढ़, 26 फरवरी, 2022 – भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड (BBMB) में हरियाणा व पंजाब की नुमाइंदगी ख़त्म कर मोदी सरकार ने एक बार फिर हरियाणा व पंजाब के अधिकारों को कुचलने का काम किया है। यह सीधे सीधे संघीय ढाँचे और राज्यों के अधिकारों पर हमला है। एक बार फिर हरियाणा-पंजाब किसान आंदोलन में भाजपा को झुकाने की क़ीमत चुका रहे हैं।
मोदी सरकार को याद रहे कि –

भाखड़ा नांगल व ब्यास सिंचाई परियोजना पंडित जवाहर लाल नेहरू की सोच की उपज है, जिसने हरियाणा-पंजाब को देश का खाद्य भंडार बनाया।

भाखड़ा और ब्यास सिंचाई योजना व बिजली उत्पादन हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, हिमाचल और भारत सरकार का साँझा प्रॉजेक्ट है।

भाखड़ा और ब्यास सिंचाई व बिजली उत्पादन योजना के असली मालिक हरियाणा-पंजाब-राजस्थान-हिमाचल के लोग हैं जिनकी सिंचाई व बिजली के लिए यह परियोजना बनाई गई है।

इस योजना का संचालन व प्रबंधन हमारा अधिकार है, मोदी सरकार की ख़ैरात नहीं।
हरियाणा का दुर्भाग्य है कि हमारे अधिकारों को रौंदा जा रहा है और खट्टर-दुष्यंत सरकार की हिम्मत नहीं की वो मोदी सरकार के खि़लाफ़ चूँ भी कर सकें। हिमाचल के CM व भाजपा सरकार भी कुर्सी बचाने के लिए एक साँस नहीं निकाल पा रहे। पंजाब भाजपा व उसके नए मित्रों का हाल तो और बुरा है।
क्या खट्टर जी-दुष्यंत चौटाला-जयराम ठाकुर जी-अनुराग ठाकुर-अमरिंदर सिंह जी-ढींडसा जी-गजेंद्र शेखावत जी व अन्य मोदी जी से ये सवाल पूछने की हिम्मत दिखाएँगे –

मोदी सरकार भाखड़ा-ब्यास सिंचाई व बिजली परियोजना में हरियाणा-पंजाब-हिमाचल-राजस्थान की नुमाइंदगी क्यों छीन रही है?

क्या यह संघीय ढाँचे और राज्य के अधिकारों पर हमला नहीं?

क्या यह पंजाब पुनर्गठन क़ानून, 1966 का उलंघन नहीं?

मोदी सरकार “रूल्ज़” में संशोधन कर संसद द्वारा पारित क़ानून को कैसे ख़त्म कर सकती है?

क्या मालिक प्रांतों की राय के बग़ैर यह एकतरफ़ा कार्यवाही हो सकती है?
कांग्रेस पार्टी कभी भी मोदी सरकार के षड्यंत्रकारी मंसूबों को कामयाब नहीं होने देगी। हम सब मिल कर निर्णायक संघर्ष करेंगे और एक बार फिर मोदी सरकार को झुकाएँगे। सवाल यह है कि कुर्सी से चिपकी हरियाणा व हिमाचल की भाजपा सरकार “मौन” रहेंगी, केंद्रीय मंत्री व नेता चुप रहेंगे या…!

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