• 17 फरवरी की घटना की निष्पक्ष व उच्चस्तरीय जांच कराकर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करे सरकार – दीपेन्द्र हुड्डा
• ICDS, NHM और MDM जैसी योजनाओं के बजट में कटौती की बजाय बढ़ोत्तरी करे सरकार – दीपेन्द्र हुड्डा
• आंगनवाड़ी, मिड-डे-मील और आशा वर्कर्स का प्रतिनिधिमंडल सांसद दीपेन्द्र हुड्डा से मिला
• पीजीटी अध्यापक परीक्षार्थी भर्ती के लिये, तो एक्सटेंशन लेक्चरर्स रोज़गार सुरक्षा के लिये संघर्ष को मजबूर – दीपेन्द्र हुड्डा
• परीक्षा रद्द, पेपर लीक, कैश फॉर जॉब जैसे कारनामों के चलते युवाओं का भविष्य बर्बाद हो रहा – दीपेन्द्र हुड्डा

चंडीगढ़, 25 फ़रवरी। आज सांसद दीपेंद्र हुड्डा से ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ आंगनवाड़ी वर्कर्स एंड हेल्पर्स, मिड डे मील वर्कर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया और ऑल इंडिया कोआर्डिनेशन कमेटी ऑफ आशा वर्कर्स सहित पीजीटी अध्यापक भर्ती उम्मीदवारों, और एक्सटेंशन लेक्चरर्स का एक प्रतिनिधिमंडल अपनी मांगों को लेकर मिला और ज्ञापन सौंपा। दीपेन्द्र हुड्डा ने उनकी मांगों का पूर्ण समर्थन करते हुए सरकार से अपील करी कि आंगनवाड़ी वर्कर्स, सहायक, मिड-डे-मील वर्कर्स और आशा वर्कर्स को 45वीं इंडियन लेबर कॉन्फ्रेंस की सिफारिशों के अनुरुप न्यूनतम मानदेय 26000 रुपये प्रति माह के साथ ही कोविड रिस्क भत्ता प्रतिमाह 10,000 रुपये दिया जाए, सामाजिक सुरक्षा प्रदान की जाए। उन्होंने कहा हमारी सरकार बनने पर इनकी सारी मांगें पूरी की जाएँगी। इसके अलावा आईसीडीएस, एनएचएम और मिड-डे-मील जैसी योजनाओं के बजट में कटौती करने की बजाय उसमें बढ़ोत्तरी की जाए। दीपेन्द्र हुड्डा ने प्रतिनिधिमंडल को भरोसा दिया कि उनकी मांग हरियाणा विधान सभा के साथ ही संसद में भी पुरजोर ढंग से उठाई जाएगी।

पीजीटी अध्यापक भर्ती के अभ्यर्थियों ने सांसद दीपेन्द्र हुड्डा को बताया कि 3864 पदों के लिये अगस्त 2019 में विज्ञापन संख्या 13/2019 को विज्ञापित किया गया था, लेकिन 3 साल के बाद भी यह भर्ती पूरी नहीं हुई। सरकार ने विज्ञापन के बाद समय-समय पर 3 बार एचटीईटी का भी आयोजन कराया परंतु पीजीटी भर्ती परीक्षा नहीं करवाई। इस समय हरियाणा का शिक्षा विभाग अध्यापकों की भारी कमी से जूझ रहा है। अकेले शिक्षा विभाग में करीब 40,000 पद खाली पड़े हुए हैं। दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि पीजीटी अध्यापक परीक्षार्थी भर्ती के लिये तो एक्सटेंशन लेक्चरर्स रोज़गार सुरक्षा के लिये संघर्ष को मजबूर हैं। हरियाणा में रिकॉर्ड बेरोज़गारी के बीच BJP-JJP सरकार में नौकरी मिलना तो दूर नौकरी जाने का खतरा हर किसी को सता रहा है। 9 जनवरी से लगातार पंचकुला में धरनारत करीब 2 हजार एक्सटेंशन लेक्चरर्स जॉब सुरक्षा, महंगाई भत्ता, सर्विस रूल की मांग को लेकर संघर्षरत हैं और 21 फरवरी को महिला एक्सटेंशन लेक्चरर्स आमरण अनशन पर भी बैठ गयी हैं। लेकिन हरियाणा सरकार एक्सटेंशन लेक्चरर्स की माँगो को सुनने करने की बजाय अड़ियल रुख अपनाए हुए है।

सांसद दीपेन्द्र ने कहा कि इस सरकार में एक भी प्रतियोगी परीक्षा बेदाग़ और समय पर नहीं हुई। एक भी परीक्षा ऐसी नहीं हुई जिसका पेपर लीक न हुआ हो। सरकार के इन्हीं कारनामों के चलते प्रदेश के युवाओं का भविष्य बर्बाद हो रहा है। इस साल की शुरुआत भी मौजूदा सरकार ने ग्राम सचिव, पटवारी, कैनाल पटवारी भर्ती परीक्षा रद्द करके की। फिर कृषि विभाग में एसडीओ-एडीओ के 524 पदों पर होने वाली भर्ती परीक्षा भी रद्द करने का फरमान निकाल दिया। नये साल के शुरुआती 4 दिनों में ही 3 परीक्षा रद्द हो गई। प्रशासनिक नाकामी, फर्जीवाड़े व घोटाले इस सरकार की निशानी बन चुके हैं। ये दोनों संस्थाएं परचून की दुकान की तरह नौकरियां बेच रहे हैं HPSC के डिप्टी सेक्रेटरी के दफ्तर में 1 करोड़ से ज्यादा का कैश बरामद होता है, ये सरकार नहीं जोंक हैं जो 7 साल से जनता का खून चूस रही है। HPSC और HSSC जैसी जिन एजेंसियों को उम्मीदवारों की योग्यता जांचकर रोज़गार देना चाहिए वो उम्मीदवारों की जेब का वजन जांच कर दोनों हाथों से नोट बटोरने में लगी हैं। हरियाणा देश में एकमात्र ऐसा राज्य रहा जो लगातार बेरोजगारी दर के मामले में टॉप पर बना हुआ है।

दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि आशा वर्कर, आंगनवाड़ी वर्कर और मिड डे मील वर्कर्स लंबे समय से सड़कों पर आंदोलनरत हैं। प्रदेश सरकार खुद के द्वारा की गई घोषणाओं से तो मुकर ही रही है, प्रधानमंत्री द्वारा की गई घोषणाओं को भी लागू नहीं कर रही है। दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि सरकार आंगनबाड़ी, आशा वर्कर्स, सहायकों की सभी मांगों को तुरंत माने और 2018 में अपने ही द्वारा किये गये समझौते को लागू करे। साथ ही 17 फरवरी को हुई घटना की निष्पक्ष और उच्चस्तरीय जांच कराकर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाये। उन्होंने कहा कि वर्कर्स जिन मांगों को लेकर आन्दोलनरत हैं उनको पूरा करने का वादा मौजूदा BJP सरकार ने किया था। अब अगर सरकार अपने ही वादे से मुकर रही है तो हमारी सरकार बनने पर इन सभी मांगों को पूरा किया जाएगा।

17 फरवरी को आशा वर्कर्स के साथ सरकार के इशारे पर हुए अभद्र एवं अमानवीय व्यवहार के बारे में बताते हुए प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि अपने हक की आवाज़ उठाने अंबाला जा रही सोनीपत, पानीपत, अंबाला, जींद, हिसार, यमुनानगर आदि की आशा वर्कर्स को डराया-धमकाया गया व संपत्ति जब्त करने की धमकियां दी गयीं; साथ ही आशा वर्कर्स और उनकी गाड़ियों के ड्राईवरों के साथ मार-पीट की गयी। यूनियन की राज्य प्रधान, महासचिव व अनेक जिलों के नेताओं और ट्रेड यूनियन के नेताओं को गिरफ्तार किया गया। सरकार आवश्यक सेवाओं के नाम पर आशा वर्कर्स पर एस्मा लगाकर उनका दमन करना चाहती है और अपने हक की आवाज़ उठाने पर तानाशाही तरीकों से आवाज़ दबाने की कोशिश कर रही है।

उन्होंने बताया कि देश भर में करीब 60 लाख महिलाएं जिनमें करीब 26 लाख आंगनवाड़ी वर्कर्स और सहायक, 27 लाख मिड-डे-मील वर्कर्स और करीब 10 लाख आशा वर्कर्स कार्यरत हैं जो देशभर में 14 साल से कम्र उम्र के करीब 20 करोड़ बच्चों और करीब 5 करोड़ महिलाओं को आईसीडीएस, एनएचएम और मिड-डे-मील, जिसका नाम बदलकर अब पीएम पोषण कर दिया गया है, आदि योजनाओं के जरिये स्वास्थ्य एवं पोषण से जुड़ी मूलभूल व महत्वपूर्ण सेवाएं मुहैया करा रही हैं। सरकार उन्हें वर्कर तो कहती है लेकिन उनसे न्यूनतम मजदूरी से भी कम मानदेय पर काम कराया जाता है कोई सामाजिक सुरक्षा और रोजगार सुरक्षा नहीं दी जाती। पिछले 2 वर्षों में कोरोना लहर के दौरान इन्हीं आंगनवाड़ी, आशा वर्कर और सहायकों ने अपनी जान की परवाह किये बगैर देश के नागरिकों के जीवन की रक्षा का दायित्व निभाया। लेकिन केंद्र सरकार ने आईसीडीएस, एनएचएम और मिड-डे-मील जैसी योजनाओं के बजट में पिछले साल 30 प्रतिशत की कटौती की और इस साल भी कोई बजट नहीं बढ़ाया। जिससे न केवल इन वर्करों को महीनों मानदेय नहीं मिल पाया, बल्कि स्वास्थ्य एवं पोषण सेवाएं भी बुरी तरह प्रभावित हुई। ऐसे में केंद्र सरकार से आईसीडीएस, एनएचएम और मिड-डे-मील जैसी योजनाओं का बजट बढ़ाए और वर्किंग कंडीशन में सुधार करे।

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