-कमलेश भारतीय

चौंक गये सबके सब । पहले पंजाब के विधानसभा चुनाव को देखते हुए एक डेरे के कथित बाबा को तीन सप्ताह की पैरोल दे दी गयी । यह कह कर कि यह एक कैदी के अधिकार हैं और चार साल से कोई छुट्टी नहीं ली और उसका भी मन है परिवार से मिलने का और अपने पोते पोतियों से धूप का आनंद लेते खेलने का । इसको पंजाब विधानसभा चुनाव से जोड़ कर देखना बिल्कुल गलत है । यह कानून के दायरे में ही दी गयी है । फिर कथित बाबा के गुरुग्राम में डेरे के पास कम से कम दो सौ पुलिसकर्मी तैनात कर दिये गये क्योंकि सरकार को पता चला अपनी खुफिया एजेंसियों से कि इन पर हमला हो सकता है । और बाबा कोई खूंखार अपराधी की श्रेणी में तो आता नहीं । जिन मामलों में सजा हुई है उनमें सह आरोपी है । हरियाणा सरकार ने यह बात पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट में अपने जवाब में लिखकर दी है ।

याद रहे कि समाना के निर्दलीय प्रत्याशी परमजीत सिंह सोहाली ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी और फरलो रद्द करने की मांग की थी । जवाब में हरियाणा सरकार ने बताया था कि शर्तों के साथ अच्छे आचरण के आधार पर ही कैदी के प्रावधान के अनुरूप बाबा को 21 दिन की अस्थायी रिहाई दी गयी ।रिपोर्ट में यह भी हवाला दिया गया कि गृह मंत्रालय को ऐसा सुराग मिला था कि बाबा की जान को खालिस्तानी समर्थकों से खतरा है । इसी खतरे को देखते हुए उसकी सुरक्षा को कड़ी करना जरूरी है । वह खूंखार अपराधी नहीं है ।

अब सोशल मीडिया पर खूंखार अपराधी के पूरे गुण अवगुण चर्चा में आ रहे हैं और कुछ तो पूछ रहे हैं कि हार्डकोर अपराधी बनने के लिए क्या क्या और कैसे कैसे अपराध जरूरी होते हैं ? क्या अपराधी के किसी की हत्या या यौनाचार संगीन अपराध में नहीं आते ? क्या पंजाब विधानसभा चुनाव से इसकी रिहाई का कोई लेना देना नहीं ? फिर तो ऐसे ऐसे सवाल उठाये गये कि जिक्र नहीं कर सकते । अब पंजाब विधानसभा के चुनाव का मतदान हो चुका और बाबा की फरलो रद्द होने से भी कोई फर्क पड़ने वाला नहीं था । फिर भी सवाल उठ रहे हैं कि फरलो के लिए यही वक्त क्यों चुना और जेड प्लस सुरक्षा क्यों दी गयी ? जिन परिवारों को बाबा की रिहाई से खतरा बना हुआ है , उन्हें क्या कोई सुरक्षा दी गयी ? क्या उनके कोई संवैधानिक अधिकार नहीं हैं ? क्या पत्रकार छत्रपति के परिवार के सारे खतरे टल गये हैं ? न्याय दोनों तरफ होना चाहिए न कि किसी प्रभावशाली के लिए कुछ और किसी अन्य के लिए कुछ । न्याय होता दिखना भी चाहिए पर यह तो जो हो रहा है सवालों के घेरे में है । शंकाओं के घेरे में है और जहां तक समाचार आ रहे हैं कि हरियाणा के गृहमंत्री तक के संज्ञान में नहीं । फिर तो क्या ही कहा जाये ,, वैसे हम पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट का पूर्ण सम्मान करते हैं और इस पर कोई सवाल नहीं पल कथित बाबा के अतीत को देखकर ये सवाल किये गये हैं ।
पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।