रणदीप सिंह सुरजेवाला, महासचिव, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का बयान खट्टर – दुष्यंत सरकार हरियाणवियों को ‘‘घर से बेघर’’ करने पर तुले! जनता से ‘‘लूट, खसूट और वसूली’’ ही भाजपा-जजपा का धर्म व ध्येय! चंडीगढ़, 21 फरवरी, 2022 – भाजपा-जजपा सरकार हरियाणा के शहरों व कस्बों में रहने वाले मेहनतकश लोगों से आए दिन लूट, खसूट व वसूली कर दुश्मनी निकाल रही है। लगता है कि खट्टर-दुष्यंत चौटाला की जोड़ी हरियाणा के शहरों व कस्बों में रहने वाले लोगों को घर से बेघर करने पर उतारू है। चौतरफा भ्रष्टाचार, कुशासन व वित्तीय कुप्रबंधन से खट्टर सरकार ने तरक्कीशील हरियाणा के ‘आर्थिक हालात’ बिहार और यूपी से भी बदतर कर दिए हैं। हरियाणा बनने के 48 साल बाद 2014 में जब खट्टर सरकार बनी, तो प्रदेश पर ₹68,000 करोड़ का कर्ज था, जो इनके 7.5 साल की सरकार में ₹2,00,000 करोड़ को पार कर रहा है। जीएसटी और पेट्रोल-डीज़ल की लूट तथा उससे पैदा हुई महंगाई के चलते उद्योग-धंधे ठप्प हैं, नौकरीपेशा लोगों, आम जनता और गरीबों की कमर पहले ही टूटी पड़ी है, पर खट्टर-दुष्यंत सरकार मरहम लगाने की बजाय अनाप-शनाप टैक्स लगाकर हरियाणवियों को घाव देने में जुटी है। भाजपा-जजपा सरकार का ताजा ‘‘दानवी फ़रमान’’ अब 18 फरवरी 2022 को जारी किया गया है, जिसके मुताबिक:- नगर पालिका, नगर परिषद व नगर निगमों में ‘‘विकास शुल्क’’ अब दस गुना बढ़ाकर ‘‘कलेक्टर रेट’’ का पाँच प्रतिशत कर दिया गया है। यानि अब 100 वर्ग गज के मकान का नक्शा पास करवाने के लिए भी ₹1,50,000 से ₹2,00,000 तक फीस देनी पड़ेगी। इससे पहले कांग्रेस सरकार में ‘‘विकास शुल्क’’ नगर पालिका में ₹30 प्रति वर्ग गज, नगर परिषद में ₹50 प्रति वर्ग गज, नगर निगम में ₹100 प्रति वर्ग गज तथा फरीदाबाद व गुड़गांव नगर निगम में ₹150 प्रति वर्ग गज था । अगर किसी शहरी ने पहले से ही मकान बना और नक्शा पास करवा ‘‘विकास शुल्क’’ दे रखा है और यदि वह ‘‘रिवाईज़्ड बिल्डिंग प्लान’’ या ‘‘ऑक्युपेंसी सर्टिफिकेट’’ के लिए दरख्वास्त देगा, तो उसे भी पहले से जमा किया गया विकास शुल्क काटकर नई बढ़ी दरों पर, यानि कलेक्टर रेट पर ‘‘विकास शुल्क’’ जमा करवाना पड़ेगा। जो इलाके पहले नगर पालिका की सीमा में नहीं आते थे और जहां पहले से ही लोगों ने मकान, दुकान इत्यादि का निर्माण कर रखा है और अब नगर पालिका की बढ़ी हुई सीमा में आ गए हैं, तथा इनमें से कोई मकान मालिक या दुकान मालिक किसी प्रकार की बिल्डिंग प्लान या ऑक्युपेंसी सर्टिफिकेट के लिए दरख्वास्त देगा, तो उसे भी कलेक्टर रेट पर पूरा ‘‘विकास शुल्क’’ जमा करवाना पड़ेगा। यानि अगर किसी की बाप-दादा की पुश्तैनी संपत्ति है, तो भी नए सिरे से विकास शुल्क का सारा पैसा जमा कराना होगा। गांव के लाल डोरा में जो मकान, दुकान इत्यादि नगर परिषद या नगर निगम की सीमा में आ जाते हैं, पहले उन पर ‘‘विकास शुल्क’’ नहीं लगता था। अब लाल डोरा में आने वाली संपत्तियों पर भी कलेक्टर रेट पर ‘‘विकास शुल्क’’ देना पड़ेगा।जब-जब ‘‘कलेक्टर रेट’’ बढ़ेगा, हरियाणा के शहरों और कस्बों में रहने वाले लोगों द्वारा देय ‘‘विकास शुल्क’’ अपने आप बढ़ जाएगा।खट्टर-दुष्यंत सरकार ने हरियाणा में ‘‘कलेक्टर रेट’’ अनाप-शनाप बढ़ा 10 फरवरी, 2022 से नई दरें लागू कर दीं। 18 फरवरी, 2022 से अब ‘‘विकास शुल्क’’ को ‘‘कलेक्टर रेट’’ से जोड़ जनता पर दोहरी मार मारी। सच्चाई यह है कि किसी भी शहर या कस्बे में सरकार किसी प्रकार की सुविधा नहीं दे रही। उल्टा शहर में रहने वाले साधारण लोगों और गरीबों पर टैक्स का बोझ डाला जा रहा है। याद करें:- खट्टर सरकार ने डीज़ल पर वैट 9.25 प्रतिशत से बढ़ाकर 17.25 प्रतिशत कर दिया। पेट्रोल पर वैट 21 प्रतिशत से बढ़ाकर 26.25 प्रतिशत कर दिया।स्टांप ड्यूटी पहले ही बढ़ाकर 6 प्रतिशत कर दी है।HSVP के प्लॉट रियायती दरों की बजाय बोली लगाकर बेचे जाते हैं। HSVP (HUDA) के इलाकों में घर के पानी का शुल्क ₹ 1.00 प्रति किलो लीटर से बढ़ाकर 1 जून, 2017 से ₹10.00 प्रति किलो लीटर कर दिया है।हर प्रकार की एनओसी व स्टांप ड्यूटी का शुल्क कई गुना बढ़ा दिया है।गैस सिलेंडर ₹400 से बढ़कर ₹1000, खाने का तेल ₹200 प्रति लीटर, दालें ₹150 प्रति किलो छू रही हैं। हमारी मांग है कि भाजपा-जजपा सरकार दस ‘‘दानवी फ़रमान’’ को फौरन वापस लें, नहीं तो हर शहर में व्यापक जन आंदोलन होगा। Post navigation ‘विकास शुल्क’ नोटिफ़िकेशन तुरंत रद्द करे सरकार – दीपेन्द्र हुड्डा इस वर्ष बोर्ड नहीं लेगा 5वीं व 8वीं की परीक्षाएं – मुख्यमंत्री