भारत सारथी नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने आज हरियाणा सरकार के निजी क्षेत्र की नौकरियों में स्थानीय लोगों को 75 फीसद आरक्षण देने के फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए कानून पर रोक लगाने वाले पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के आदेश को रद कर दिया है।कोर्ट ने हाई कोर्ट को एक महीने के भीतर इस मुद्दे पर फैसला करने के लिए कहा है और राज्य सरकार को फिलहाल नियोक्ताओं के खिलाफ कोई कठोर कदम नहीं उठाने का निर्देश दिया है। SC sets aside Punjab & Haryana HC order staying the Haryana govt’s law on providing 75% reservation in pvt sector jobs for local candidates; asks HC to decide on the issue within a month and direct State govt not to take any coercive steps against the employers for the time being सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत को बताया कि आंध्र प्रदेश, झारखंड, महाराष्ट्र और हरियाणा चार राज्यों में ये मामले हैं. आंध्र में कोई स्टे नहीं है. झारखंड और महाराष्ट्र में चुनौती नहीं दी गई. ये आरक्षण तीसरी और चौथी श्रेणी के पदों के लिए है. अदालत ने पहले भी दाखिलों आदि में डोमिसाइल की इजाजत है. इन राज्यों के मामलों को भी सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर किया जा सकता है या फिर हाईकोर्ट की रोक के अंतरिम आदेश पर रोक लगाकर मामले को सुनवाई के लिए फिर से हाईकोर्ट भेजा जा सकता है. पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने आंध्र प्रदेश और झारखंड में लागू कानूनों के बारे में जानकारी मांगी थी. अदालत ने कहा था कि इनका ब्योरा अदालत को दिया जाए, फिर तय करेंगे कि क्या सारे मामले एक साथ सुने जाएं. सुनवाई के दौरान जस्टिस एल नागेश्वर राव ने कहा था कि हमने अखबार में पढ़ा है कि ऐसे ही कानून आंध्र प्रदेश और झारखंड में भी बनाए गए हैं. इनको भी संबंधित हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है. अब ऐसे कानूनों की वैधता पर तीन हाईकोर्ट सुनवाई कर रहे हैं. हम पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट से कह सकते हैं कि वो सभी पक्षों को सुन लें, हम इस अंतरिम आदेश पर क्या कह सकते हैं. हरियाणा की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि हम अन्य राज्यों के मामलों को पता लगाएंगे. इसके बाद ब्यौरा सुप्रीम कोर्ट को देंगे. हरियाणा के निवासियों को प्राइवेट सेक्टर के जॉब में 75 प्रतिशत कोटे के मामले में राज्य की खट्टर सरकार ने सुप्रीम कोर्ट की शरण ली है. हरियाणा सरकार ने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के फैसले को SC में चुनौती दी है. हाईकोर्ट ने आरक्षण पर रोक लगा दी है. हरियाणा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में कहा है कि हाईकोर्ट ने सिर्फ एक मिनट 30 सेकेंड की सुनवाई में ये फैसला जारी कर दिया. इस दौरान राज्य के वकील को नहीं सुना गया. ये फैसला प्राकृतिक न्याय के भी खिलाफ है. हाईकोर्ट का फैसला टिकने वाला नहीं है और इसे रद्द किया जाना चाहिए. मामले में हरियाणा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से जल्द सुनवाई की मांग की. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने CJI एन वी रमना को बताया, हाईकोर्ट ने सिर्फ 90 सेकंड मुझे सुनने के बाद फैसला दिया और कानून पर रोक लगा दी. आदेश अभी आया नहीं है. हम फैसले की कॉपी लगाएंगे. मामले में सोमवार को सुनवाई की जाए. इस पर CJI ने कहा था कि अगर फैसले की कॉपी आती है तो सोमवार को सुनवाई करेंगे. पिछले साल नवंबर में अधिसूचित हुआ था कानूनबता दें कि यह कानून पिछले साल खट्टर सरकार ने नवंबर में अधिसूचित किया था और 15 जनवरी से यह लागू हो गया था। यह उन नौकरियों के लिए है जिनमें अधिकतम सकल मासिक वेतन या पारिश्रमिक 30,000 रुपये ही है।गौरतलब है कि इस कानून के तहत सभी कंपनियां, एलएलपी फर्म, समितियां, ट्रस्ट, साझेदारी फर्में और दस या अधिक व्यक्तियों को रोजगार देने वाला कोई भी नियोक्ता आते हैं। लेकिन इसमें केंद्र या राज्य सरकार या उनके स्वामित्व वाले किसी भी उपक्रम को शामिल नहीं किया गया है। Post navigation प्रदेश में कोरोना संबंधी सभी पाबंदियां खत्म, पूरी क्षमता से खुलेंगे शिक्षण संस्थान : मुख्य सचिव संजीव कौशल राष्ट्रपति चुनाव से पहले विपक्ष की एकजुटता, क्या बैकफुट पर है कांग्रेस?