आखिर क्या गुल खिलाएगी पिता पुत्र की जोड़ी अब हरियाणा में। 
भाजपा के पास मजबूत जाट नेता का अभाव, धनखड़ अभिमन्यु वह चौधरी बिरेंदर सिंह नहीं दिला पाए बढ़त
जाट वोट बैंक को अपनी ओर आकर्षित करने के चक्कर में अहिरवाल का वोट बैंक ना छीटक जाए।

अशोक कुमार कौशिक

 बीजेपी जेजेपी गठबंधन को तकरीबन 3 वर्ष बितने को है। हरियाणा में सत्तापक्ष की भूमिका निभा रही बीजेपी और जेजेपी का गठबंधन जारी रहेगा या टूट जाएगा या मध्यावधि चुनाव होंगे। ये हम नही कह रहे इनलो के अध्यक्ष ओमप्रकाश चौटाला खुले मंच से कह चुके है। 

अब तो जेबीटी भर्ती परीक्षा में घौटालो को लेकर तिहाड़ जेल में बंद जेजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अजय चौटाला की 9 वर्ष सजा काटने के बाद रिहाई हो चुकी है। उनकी रिहाई से जेजेपी को निश्चित मजबूती मिलेगी। राव इंदरजीत सिंहवह दुष्यंत चौटाला की जोड़ी अब हरियाणा के मतदाताओं में अपनी पैठ बनाने के लिए जी तोड़ मेहनत करेंगे।

अब बात करते है हरियाणा में जाट बनाम गैर जाट की राजनीति की। तो आपको बता दे कि बीजेपी के पास न तो कोई मजबूत जाट नेता है और न ही जाट वोट बैंक। बहरहाल जाटों को रिझाने के लिए भाजपा हाईकमान व मनोहर लाल खट्टर ने प्रदेश अध्यक्ष का पद ओमप्रकाश धनखड़ को दिया ताकि जाट वोट बैंक फिसले नही। चौधरी वीरेंद्र सिंह को भी इसी उद्देश्य से भाजपा में शामिल किया गया था लेकिन वह यदा-कदा अपनी नाराजगी जता देते हैं।

हालांकि आपको बता दे कि अहीरवाल में मजबूत राजनीति स्तंभ रहे राव इंद्रजीत सिंह जिन्होंने लम्बे अरसे तो कांग्रेस में शासन किया ओर बाद में हुड्डा से अनबन के चलते बीजेपी पार्टी में शामिल हो गए। लेकिन आज भी अहीरवाल की राजनीति में अहम भूमिका बड़े राव साहब की रहती है। अभी रामपुरा उस का भाजपा को पूरा समर्थन है पर खट्टर की कार्यप्रणाली और भाजपा हाईकमान द्वारा राव इंदरजीत सिंह को तवज्जो नहीं देना धीरे धीरे इंसाफ मंच को उभारा जा रहा है ताकि भाजपा में अपने वजूद का एहसास कराया जा सके। यहां यह भी लिखना तर्कसंगत होगा कि 2014 में भाजपा को एक लहर के रूप में परिवर्तित करने के लिए रेवाड़ी की जनसभा ने महत्वपूर्ण योगदान दिया था इस जनसभा में राव इंदरजीत सिंह ने भाजपा में अपने आपको सम्मिलित किया था। उस समय के विधानसभा चुनाव में अहीरवाल में मुख्यमंत्री का नारा उभारा गया था लेकिन अहीरवाल को बाद में ठेंगा दिखा दिया गया। इसकी कसक क्षेत्र में आज भी देखने को मिल सकती है । यहां भाजपा के लिए यह भी खतरे की घंटी है कि कहीं जाट वोट बैंक को अपनी ओर आकर्षित करने के चक्कर में अहिरवाल का वोट बैंक ना छीटक जाए।

यहां यह भी उल्लेखनीय है कि अभी तक हरियाणा के जाटों में चौधरी भूपेंद्र सिंह हुड्डा व शमशेर सिंह सुरजेवाला के सुपुत्र की पैठ बरकरार है। किसान आंदोलन के दौरान कांग्रेस पार्टी उपरोक्त नेताओं के खिलाफ कोई नाराजगी देखने को नहीं मिली। जाट वोट बैंक के लिए भविष्य में कांग्रेस, जजपा, इनेलो और भाजपा के बीच आपसी रस्साकशी रहेगी। जाटों की नाराजगी जिस पार्टी के प्रति रहेगी उसका खामियाजा उसको भुगतना पड़ेगा और यही खामियाजा चंडीगढ़ की कुर्सी से उसे मरहूम कर देगा।

अब देखने वाली यह बात होगी कि पूर्व मुख्यमंत्री और अजय सिंह चौटाला के पिता ओमप्रकाश चौटाला का भविष्य में उनको साथ मिलता है या नाराजगी। यहां यह कहना लाजमी होगा कि इनलो प्रमुख ओमप्रकाश चौटाला पहले ही खुले मंच से कह चुके है कि हरियाणा में मध्यावधि चुनाव होंगे। बहरहाल अभी चुनाव दूर है लेकिन राजनीति में सब जायज है। बहरहाल यह कहना मुश्किल होगा कि गठबंधन टूटेगा या बचेगा लेकिन दोनों ही सत्ताधारी पार्टी अपनी अपनी जड़ें मजबूत करने में लगी हुई है।

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