हेमेन्द्र क्षीरसागर, स्तंभकार भारत रत्न, लता मंगेशकर की मंत्रमुग्ध आवाज़ ने छह दशकों से भी ज़्यादा संगीत की दुनिया को सुरों से नवाज़ा है। भारत ही नहीं जगत की ‘स्वर कोकिला’ लता मंगेशकर ने 25 भाषाओं में 50,000 से भी ज्यादा गाने गाये है। उनकी आवाज़ सुनकर कभी किसी की आँखों में आँसू आए, तो कभी सीमा पर खड़े जवानों को सहारा मिला। लता जी ने अविवाहित रहकर स्वयं को पूर्णत: संगीत को समर्पित कर रखा है। सुश्री लता मंगेशकर का जन्म 28 सितम्बर, 1929 इंदौर, मध्यप्रदेश में हुआ था। दीनानाथ जी ने लता को तब से संगीत सिखाना शुरू किया, जब वे पाँच साल की थी। उनके साथ उनकी बहनें आशा, ऊषा और मीना भी सीखा करतीं थीं। लता मंगेशकर हमेशा से ही ईश्वर के द्वारा दी गई सुरीली आवाज़, जानदार अभिव्यक्ति व बात को बहुत जल्द समझ लेने वाली अविश्वसनीय क्षमता का उदाहरण रहीं हैं। इन्हीं विशेषताओं के कारण उनकी इस प्रतिभा को बहुत जल्द ही पहचान मिल गई थी। लेकिन पाँच वर्ष की छोटी आयु में ही आपको पहली बार एक नाटक में अभिनय करने का अवसर मिला। शुरुआत अवश्य अभिनय से हुई किंतु आपकी दिलचस्पी तो संगीत में ही थी। जो संसार में भारत की अमिट पहचान बनी। वीभत्स, वर्ष 1942 में इनके पिता की मौत हो गई। इस दौरान ये केवल 13 वर्ष की थीं। नवयुग चित्रपट फिल्म कंपनी के मालिक और इनके पिता के दोस्त मास्टर विनायक ने इनके परिवार को संभाला और लता मंगेशकर को एक सिंगर और अभिनेत्री बनाने में मदद की। तब से चला गीतांजलि का कारवां जीवन के अंतिम पड़ाव तक निर्विवाद कंठहार चलता रहा। अभिभूत, स्वर-साम्राज्ञी, राष्ट्र की आवाज, सहराब्दी की आवाज आदि नामों से सुशोभित भारत कोकिला लता मंगेशकर को राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार, बंगाल फ़िल्म पत्रकार संगठन पुरस्कार, फ़िल्म फ़ेयर सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गायिका पुरस्कार, फिल्म फेयर विशेष पुरस्कार, फिल्म फेयर आजीवन उपलब्धि पुरस्कारों से अलंकृत किया गया। स्तुत्य, सफलता की राह कभी भी आसान नहीं होती है। लता जी को भी अपना स्थान बनाने में बहुत कठिनाइयों का सामना करना पडा़। कई संगीतकारों ने तो आपको शुरू-शुरू में पतली आवाज़ के कारण काम देने से साफ़ मना कर दिया था। उस समय की प्रसिद्ध पार्श्व गायिका नूरजहाँ के साथ लता जी की तुलना की जाती थी। लेकिन धीरे-धीरे अपनी लगन और प्रतिभा के बल पर आपको काम मिलने लगा। लता जी की अद्भुत कामयाबी ने लता जी को फ़िल्मी जगत की सबसे मज़बूत महिला बना दिया था। फलीभूत, आये ऐ मेरे वतन के लोगों, ज़रा आँख में भर लो पानी। जो शहीद हुये हैं उनकी, ज़रा याद करो कुर्बानी। जब लता मंगेशकर ने इस गाने को कवि प्रदीप से सुना तब कहा जाता है कि – इस गाने को सुनकर वो रो पड़ीं। तुरंत उन्होंने इसको गाने के लिए हां कर दिया। उन्होंने तब एक ही शर्त रखी कि जब इस गाने का रिहर्सल होगा तो प्रदीप को खुद मौजूद रहना होगा। प्रदीप मान गए। फिर जो कुछ हुआ, वो इतिहास बन गया। यथा लता से अमरलता स्वर की ध्रुव तारा बनकर ब्रह्मांड को आलोकित करने लगी। प्रत्युत, लता जी को सर्वाधिक गीत रिकार्ड करने का भी गौरव प्राप्त है। फ़िल्मी गीतों के अतिरिक्त आपने ग़ैरफ़िल्मी गीत भी बहुत खूबी के साथ गाए हैं। लता जी की प्रतिभा को पहचान मिली सन् 1947 में, जब फ़िल्म “आपकी सेवा में” उन्हें एक गीत गाने का मौक़ा मिला। इस गीत के बाद तो आपको फ़िल्म जगत में एक पहचान मिल गयी और एक के बाद एक कई गीत गाने का मौक़ा मिला। इन में से कुछ प्रसिद्ध गीतों का उल्लेख करना यहाँ अप्रासंगिक न होगा। जिसे आपका पहला शाहकार गीत कहा जाता है वह 1949 में गाया गया “आएगा आने वाला”, जिस के बाद आपके प्रशंसकों की संख्या दिनोदिन बढ़ने लगी। इस बीच आपने उस समय के सभी प्रसिद्ध संगीतकारों के साथ काम किया। सभी संगीतकारों ने आपकी प्रतिभा का लोहा माना। अपनी आवाज़ के जादू से आपकी लोकप्रियता में चार चाँद लगाए। कालगलवित 6 फरवरी 2022 को मुंबई स्थित ब्रीच कैंडी हॉस्पिटल में स्वर कोकिला लता मंगेशकर ने 92 साल की उम्र में अपनी आखिरी साँसें ली। ऐसी मां वीणा पाणी, करूणामयी वाणी को शत्-शत् स्वरांजली…! Post navigation सरस्वती की सुर साधिका सरस्वती में विलीन ‘महाभारत’ के ‘भीम’ का निधन, 74 साल की उम्र में प्रवीण कुमार ने ली अंतिम सांस