-कमलेश भारतीय यदि पंजाब प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष व पूर्व क्रिकेटर नवजोत सिद्धू की मानें तो राजनीति में कठपुतलियों का खेल चल रहा है और सिद्धू का कहना है कि कांग्रेस में टाॅप पर बैठे लोग पंजाब में चाहते हैं कठपुतली मुख्यमंत्री । नवजोत का कहना है कि टॉप पर बैठे लोग चाहते हैं की कोई कठपुतली सीएम बने , जिसे वे ता था थैया पर नचा सकें और कहें कि नाच मेरी बुलबुल कि पैसा मिलेगा । कहां कद्रदान फिर ऐसा मिलेगा ? जैसे जैसे मुख्यंत्री का चेहरा घोषित करने का समय आ रहा है , वैसे वैसे सिद्धू कांग्रेस हाईकमान पर हमलावर होते जा रहे हैं । पहले पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह को हटाने में पूरा जोर लगा दिया कि शायद मुख्यमंत्री पद उनकी झोली में डाल दिया जाये लेकिन लाॅटरी लगी अचानक चरणजीत सिंह चन्नी की । तब से सिद्धू कांग्रेस हाईकमान से खफा खफा से हैं । लेकिन जितनी लालसा सिद्धू दिखा रहे हैं , उसके बीच इनका विरोध भी कांग्रेस के अंदर ही बढ़ता जा रहा है । पूर्व प्रदेशाध्यक्ष सूनील जाखड़ ने कहा कि जब कैप्टन अमरेंद्र सिंह को हटा कर विधायकों से राय ली गयी तो 42 विधायक मेरे पक्ष में थे । इसके बावजूद मुझे मुख्यमंत्री नहीं बनाया गया । अप्रत्यक्ष रूप से वे सिद्धू को इसका जिम्मेदार ठहरा रहे हैं । जितना समर्थन कैप्टन अमरेंद्र सिंह को हटाने में सिद्धू को मिला उतना मुख्यमंत्री चेहरा बनाने में नहीं मिल रहा और न मिला जिससे सिद्धू लगातार आक्रामक हो रहे हैं । सवाल उठता है कि क्या कठपुतली सिर्फ चन्नी ही हैं ? इसका जवाब आप के संयोजक व दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह दे रहे हैं कि यदि कांग्रेस ने काम किया होता तो मैं राजनीति में न आता । यह बात कठपुतली मुख्यंत्री पर तो नहीं कही लेकिन बिल्कुल फिट बैठती है । कांग्रेस ने अपने स्वर्ण काल में यही किया । मुख्यमंत्रियों को कठपुतलियां बनाने और समझने का काम । हरियाणा में इसीलिए बार बार मुख्यमंत्री बदलते रहे । एक को केंद्र में तो दूसरे को राज्य में रखते और बदलते रहे । ऊपर से ही मुख्यमंत्री का चयन होकर आता और विधायकों की बैठक केवल दिखावा होती है । अब यह परंपरा भाजपा ने भी अपना ली है । उत्तराखंड में तीन तीन मुख्यमंत्री बदले गये । क्यों ? क्या मुख्यमंत्री का चेहरा बदलने से जीत निश्चत ही मिल जायेगी ? कांग्रेस ने जो जो गलत कदम उठाये भाजपा ने उन्हें अपनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी । कर्नाटक में मुख्यमंत्री बदले गये । यह कठपुतलियों का खेल बन कर रह गया है । जीवंत मुख्यमंत्री , सशक्त मुख्यमंत्री अब पुराने दिनों की बात हो गयी । राजनीति के इसी खेल के चलते राज्यों में राजनीति अस्थिर रहने लगी है । हाईकमान को खुश रखना ही बड़ा काम हो गया है । हाईकमान की निगाह बदली कि कुर्सी गयी । अब सिद्धू ने जो रवैया अपना रखा है , उससे तो इन्हें अध्यक्ष बना कर भी कांग्रेस हाईकमान पछता रही होगी क्योंकि अध्यक्ष भी तो कठपुतली ही चाहिए न ।-पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी । Post navigation सोलर ऊर्जा से जुड़ेंगे उचाना के गांव, गुरुकुल खेड़ा से होगी शुरुआत – डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला दिल छू लेगा लता मंगेशकर का संघर्ष, जब सिर्फ चाय बिस्कुट खाकर ही गुजार लेती थीं पूरा दिन