डॉ मीरा, सहायक प्राध्यापिका

क्रिप्टोकरंसी की दो प्रकार हैं- फिएट और नॉन फिएट। फिएट एक डिजिटल मुद्रा है जो देश का केंद्रीय बैंक जारी करता है और नॉन फिएट एक निजी मुद्रा है। कोई भी व्यक्ति जो वर्चुअल लेनदेन की जानकारी रखता है वह क्रिप्टोकरंसी का प्रयोग या इसमें निवेश कर सकता है। भारत में क्रिप्टोकरंसी निवेशकों की संख्या काफी बढ़ी है। किसी भी वित्तीय या मुद्रा संबंधी लेनदेन में मध्यस्थ या रेगुलेटरी जैसे भारत में केंद्रीय बैंक होता है लेकिन क्रिप्टोकरंसी के संदर्भ में कोई भी मध्यस्थ नहीं होता और यह एक ऑनलाइन नेटवर्क द्वारा संचालित एवं ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी पर आधारित मुद्रा है। जिसकी शुरुआत सबसे पहले 1983 में डेविड चोम नाम के अमेरिकन क्रिप्टोग्राफर ने की थी और 2009 में बिटकोइन की पहल सतोशी नाकामोतो द्वारा की गई। यह एक इंक्रिप्टेड, इंटरनेट पर आधारित और कोड भाषा द्वारा बनाई गई मुद्रा है इसीलिए इसको डिजिटल करंसी या आभासी मुद्रा भी कहते हैं। हमारे देश में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने अप्रैल 2018 में व्यापार में क्रिप्टो पर रोक लगाकर बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थाओं को निर्देश जारी किए थे कि वे किसी भी प्रकार का लेनदेन आभासी मुद्रा यानी क्रिप्टो में ना करें।

इसके पश्चात मार्च 2020 में एक याचिका की सुनवाई करते हुए उच्चतम न्यायालय ने क्रिप्टोकरंसी के इस्तेमाल पर लगे प्रतिबंध को हटा दिया। इस फैसले के बाद भारतीय निवेशकों में भी बिटकॉइन तथा अन्य वर्चुअल करंसी की बढ़ती लोकप्रियता के कारण, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने भी डिजिटल करेंसी लाने का विचार किया है। बिटकॉइन के इतिहास और इसकी स्वीकार्यता को देखते हुए, इसे ज्यादातर लोग फायदे का सौदा मानते हैं। जापान, जर्मनी, डेनमार्क, मेक्सिको आदि देशों ने तो इसे कानूनी इजाजत भी दी हुई है। जिन लोगों के पास अधिक पैसा है वह इसमें निवेश आसानी से कर सकते हैं। यह उन लोगों के लिए भी बहुत अच्छा मंच बन चुका है जो अपने धन को छुपा कर रखना चाहते हैं क्योंकि इसमें सूचना पूरी तरह गोपनीय होती है।

आजकल निवेश को लेकर आमजन में वित्तीय साक्षरता बढ़ रही है। यूं तो ज्यादातर निवेशक शेयर बाजार और इसके अतिरिक्त म्यूच्यूअल फंड, स्थाई जमा, गोल्ड स्कीम, पीपीएफ आदि पर अपनी नजर रखते ही हैं, लेकिन आजकल एक और नया विकल्प जो निवेशकों को लुभा रहा है, वह है डिजिटल दुनिया की डिजिटल करंसी यानी क्रिप्टोकरंसी। समय के साथ-साथ क्रिप्टोकरंसी की स्वीकृति भी बढ़ती जा रही है। वर्तमान समय में विश्व में लगभग 13000 से भी अधिक क्रिप्टो मुद्रा प्रचलन में है जिनमें से कुछ लोकप्रिय मुद्राओं में बिटकॉइन, रिप्पल, एथेरियम, लाइटकॉइन डॉगकाइन हैं।

क्रिप्टोकरंसी में निवेश करने से पहले हमें यह अच्छे तरीके से समझ लेना चाहिए कि यह निवेश जोखिम भरा है क्योंकि कभी इसके मूल्य में बहुत ज्यादा चढ़ाव तो कभी बहुत ज्यादा गिरावट देखने को मिलती है। सिर्फ इतना ही नहीं क्रिप्टोकरंसी का प्रचलन खतरनाक इसलिए भी माना जा रहा है क्योंकि डिजिटल होने के कारण इसके हैक होने का खतरा बना रहता है।दूसरी सबसे बड़ी समस्या जो यह मुद्रा उत्पन्न कर सकती है वह है देश की सुरक्षा संबंधी चिंताएं क्योंकि यह मुख्य वित्तीय प्रणाली से बाहर रहकर अपना काम करती है जिससे गोपनीय आतंकवाद तथा अन्य गैरकानूनी गतिविधियों को बढ़ावा मिल सकता है। इसके अलावा इस मुद्रा का प्रबंधन और नियंत्रण करना भी एक बड़ी समस्या है। वित्तीय विशेषज्ञों के अनुसार इसमें निवेश करने वाले व्यक्ति को हमेशा नुकसान के लिए तैयार रहना पड़ता है। इसी वजह से भारत के अतिरिक्त बोलिविया, अल्जीरिया, कोलंबिया, इंडोनेशिया, नेपाल तथा चीन में भी क्रिप्टो मुद्रा प्रतिबंधित है। चीन ने तो अपनी डिजिटल करेंसी प्रचलित की हुई है।

यह बात सत्य है कि क्रिप्टोकरंसी से भविष्य में व्यापार कम खर्चीला हो सकता है लेकिन इसके प्रयोग से संबंधित फायदों और नुकसान दोनों को देखते हुए इस पर ज्यादा निर्भर रहना सही नहीं होगा क्योंकि एक निजी मुद्रा जो बिना किसी केंद्रीय नियंत्रण अथवा सरकारी नियन्त्रण के प्रचलन में हो, ऐसा भारत जैसे विशाल जनसंख्या वाले देश के लिए एक बहुत बड़ी चुनौती होगी, इसलिए क्रिप्टो में निवेश करने से पहले हमे निहित जोखिमों और भविष्य को ध्यान में रखकर व्यक्तिगत हित के साथ साथ राष्ट्र हित की सोचते हुए इस दिशा में सही कदम उठाने होंगें।

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