उमेश जोशी खीरा और ककड़ी की खेती से किसान एक एकड़ जमीन से सालाना 80 हजार रुपए कमा सकता है। एक एकड़ भूमि पर प्रति फसल चार क्विंटल खीरा की पैदावार होती है। इस फसल से 40 हजार रुपए की शुद्ध आय होती है। खीरा की फसल 90 दिन में तैयार हो जाती है और किसान साल में दो बार फसल ले सकता है। दो फसल से किसान को 80 हजार रुपए की शुद्ध आय हो सकती है। अब किसान को घरेलू बाजार पर निर्भर रहने की जरूरत नहीं है। विदेशी बाजारों में खीरा और ककड़ी की खासी मांग है। हाल के वर्षों में भारत दुनिया में खीरा का सबसे बड़ा निर्यातक बनकर उभरा है। भारत ने अप्रैल-अक्टूबर (वित्त वर्ष 2021-22) के दौरान 11. 4 करोड़ अमरीकी डालर मूल्य के बराबर 1,23,846 मीट्रिक टन का ककड़ी और खीरा निर्यात किया है। बीते वित्त वर्ष 2020-2021 में भारत ने 22.3 करोड़ अमरीकी डालर मूल्य के बराबर 2,23,515 मीट्रिक टन ककड़ी और खीरा निर्यात किया था। खीरा दो श्रेणियों के तहत निर्यात किया जाता है – पहली श्रेणी में वो खीरा है जो सिरका या एसिटिक एसिड में प्रसंस्कृत किया जाता है और दूसरी श्रेणी में वो खीरा आता है जिसे अस्थायी रूप से प्रसंस्कृत और संरक्षित किया जाता है। वर्तमान में 20 से अधिक देशों को खीरा और ककड़ी का निर्यात किया जाता है, जिसमें प्रमुख रूप से उत्तरी अमेरिका, यूरोपीय देश और महासागरीय देश जैसे संयुक्त राज्य अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया, स्पेन, दक्षिण कोरिया, कनाडा, जापान, बेल्जियम, रूस, चीन, श्रीलंका और इजराइल हैं। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के वाणिज्य विभाग के निर्देशों का पालन करते हुए कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) ने बुनियादी ढांचे के विकास, वैश्विक बाजार में उत्पाद को बढ़ावा देने और प्रसंस्करण में खाद्य सुरक्षा प्रबंधन प्रणाली के पालन में कई तरह की पहल की हैं। विदेशी खरीदारों की जरूरतों को पूरा करने के लिए यहां अंतरराष्ट्रीय मानकों के मुताबिक प्रसंस्करण संयंत्र स्थापित किए गए हैं। भारत में खीरा की खेती, प्रसंस्करण और निर्यात की दिशा में शुरुआत 1990 के दशक में कर्नाटक में बहुत छोटे स्तर से शुरू हुई थी और बाद में पड़ोसी राज्यों तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में इसका असर दिखने लगा। दुनिया में खीरा की कुल माँग का करीब 15 प्रतिशत उत्पादन भारत में होता है। अपनी निर्यात क्षमता के अलावा, खीरा उद्योग ग्रामीण रोजगार पैदा करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। भारत में अनुबंध खेती के तहत लगभग 90 हजार छोटे और सीमांत किसान 65 हजार एकड़ पर खीरा की खेती करते हैं। प्रसंस्कृत खीरा औद्योगिक कच्चे माल के रूप में और खाने के लिए तैयार जार में निर्यात किया जाता है। भारत में ड्रम और रेडी-टू-ईट उपभोक्ता पैक में खीरा का उत्पादन और निर्यात करने वाली लगभग 51 प्रमुख कंपनियां हैं। एपीडा ने प्रसंस्कृत सब्जियों के निर्यात को बढ़ावा देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है और यह बुनियादी ढांचे के विकास और प्रसंस्कृत खीरा की गुणवत्ता बढ़ाने, अंतरराष्ट्रीय बाजार में उत्पादों को बढ़ावा देने और प्रसंस्करण इकाइयों में खाद्य सुरक्षा प्रबंधन प्रणालियां लागू करने के लिए वित्तीय सहायता दे रहा है। एपीडा उत्पाद का निर्यात मूल्य बढ़ाने के लिए खीरा के मूल्यवर्धन पर भी काफी ध्यान दे रहा है। सभी निर्यात कंपनियाँ या तो आईएसओ, बीआरसी, आईएफएस, एफएसएससी 22000 और एचएसीसीपी प्रमाणित हैं या उनके पास सभी आवश्यक प्रमाणपत्र हैं। कई कंपनियों ने सोशल ऑडिट को अपनाया है। इससे यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि कर्मचारियों को सभी वैधानिक लाभ दिए जाएँ। Post navigation जल्द रोजगार के लिए पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करवाएं युवा – डिप्टी सीएम लोकतंत्र किसी व्यक्ति, पार्टी या विचारधारा विशेष से नही चलता है लोकतंत्र में संविधान सर्वोच्च होता है : विद्रोही