-कमलेश भारतीय हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अक्सर अपने भाषणों में सवाल करते हैं कि कांग्रेस से पूछो कि सत्तर साल में क्या किया ? बाकी देश का तो कह नहीं सकता लेकिन भाखड़ा बांध बना जिससे कृषि उन्नत हुई । चंडीगढ़ बना एक नया शहर जो पंजाब हरियाणा की संयुक्त राजधानी बना हुआ है । कल कारखाने बने । उद्योग फैला , विज्ञान के संस्थान बने और बहुत कुछ बना । जैसे कहते थे कि जहां सुई नहीं बनती थी वहां जहाज बनने लगे । लेकिन इन चीज़ों या विकास का कोई जिक्र न कर यही पूछते आ रहे हैं कि सत्तर साल में क्या किया ? कभी नहीं बताते कि आपने सन् 2014 से क्या किया ? हां , एक काम किया नाम बदलने का । जैसे गुडगाँव से गुरुग्राम बना दिया । करोड़ों रुपये लग गये कम्पनियों के साफ्ट वेयर बदलने में । इलाहाबाद को प्रयागराज बना दिया । और अनेक शहरों के नाम बदले गये । जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय पर भी टेढ़ी नजर रही पर अभी तक खैरियत है । अनेक संस्थानों के नाम बदले गये । हरियाणा में राजीव गांधी ग्राम सचिवालय के नाम बदले गये । राजस्थान में पाठ्यक्रम से नेहरू गायब किये गये । खुद नारा दिया -सबका साथ , सबका विकास । सो विकास हो रहा है । अब गांधी की प्रिय धुन ‘अवायड विद मी’ को बीटिंग रिट्रीट से हटा देने का फरमान हुआ है । साबरमती आश्रम में एक बार चरखा कातते फोटो जरूर करवाया पर उनकी सहृदयता नहीं अपनाई , उनका सद्भाव व सबके प्रति प्रेम नहीं अपनाया । गांधी को लेकर यदि साध्वी प्रज्ञा ने गोडसे को महत्त्व दिया तो कोई कार्रवाई न की । नजरअंदाज किया । यदि किसी साधु संत ने भी गांधी की बजाय गोडसे का गुणगान किया तो कोई कुछ नहीं बोला बल्कि साधु संतों को बचाने आगे आते गये खास विचारधारा के लोग । गांधी की फिल्मों के साथ ‘मैंने गांधी को नहीं मारा’ जैसी फिल्में भी आने लगीं क्योंकि विचारों की , अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है इस संविधान में लेकिन गोवा में साठ प्रतिशत विधायकों ने दलबदल का रिकाॅर्ड बना डाला । यह भी स्वतंत्रता ही है । नये से नया कीर्तिमान । क्या संदेश देना चाहा गांधी की प्रिय धुन को बीटिंग रिट्रीट से बाहर करके और क्या संदेश देना चाहा अमर ज्योति का विलय करके ? कहां से कहां जा रहे हैं हम ? कितना बदलाव करोगे ? हां , सरदार पटेल की सबसे बड़ी मूर्ति बनवाई । हां , पराक्रम दिवस मना रहे हैं । ये अच्छी बातें भी हैं । पंजाब में चुनाव आये तो वीर बाल दिवस भी आया । पश्चिमी बंगाल में चुनाव आये तो रवींद्रनाथ टैगोर याद आए । बिना चुनावों के भी याद किया कीजिए वीरों को , बहादुरों और रणबांकुरों को और संस्कृति कर्मियों को । सोशल मीडिया पर कहा जा रहा है कि रोहित सरदाना के कोरोना से निधन पर प्रधानमंत्री तक ने खेद जताया लेकिन कमाल खान की याद नहीं आई । बहुत कुछ है । कवि प्रदीप के गीत की धुन शामिल की गयी है -ऐ मेरे वतन के लोगो । दीदी लता मंगेशकर बीमार हैं इसे गाकर अमर बनाने वाली गायिका । लता दीदी के स्वास्थ्य की कामना ,,,दुआएं ,,,शुभकामनाएं ,, महात्मा ठीक ही गाते थेवैष्णव जन ते तेने रे कहिएपीर पराई जाने रे ,,,औरईश्वर अल्लाह तेरे नामसबको सन्मति दे भगवान् -पूर्व उपाध्यक्ष , हरियाणा ग्रंथ अकादमी । Post navigation अभी प्राणों की आहुति देना शेष है: सुभाष चंद्र बोस नेताजी के अनुयायी होनेे का ढोंग नेताजी का घोर अपमान व इतिहास के साथ क्रूर मजाक व खिलवाड़ : विद्रोही