वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक कुरूक्षेत्र, 18 जनवरी : श्री महाभारतीय संस्कृति अनुसंधान न्यास कुरूक्षेत्र द्वारा मंगलवार को कृष्णा धाम में हवनात्मक महारुद्र यज्ञ का शुभारंभ हुआ जोकि 21 जनवरी तक चलेगा। जानकारी देते हुए षड्दर्शन साधु समाज के संगठन सचिव वैद्य पंडित प्रमोद कौशिक ने बताया कि यह महारुद्र यज्ञ ब्रह्मलीन महामंडलेश्वर स्वामी गणेशानंद गिरी महाराज के निर्वाण महोत्सव के उपलक्ष्य में करवाया जा रहा है। इस अनुष्ठान की अध्यक्षता कर रहे कृष्णा धाम के अध्यक्ष स्वामी प्रेमानंद महाराज ने बताया कि यज्ञ,कर्मकांड की विधि है जो परमात्मा द्वारा ही हृदय में सम्पन्न होती है। जीव के अपने सत्य परिचय जो परमात्मा का अभिन्न ज्ञान और अनुभव है, यज्ञ की पूर्णता है। यह शुद्ध होने की क्रिया है। इसका संबंध अग्नि से प्रतीक रूप में किया जाता है।शरीर या देह सेवा को छोड़ देने का वरण या निश्चय करने वालों में, यज्ञ अर्थात जीव और आत्मा की क्रिया या जीव का आत्मा में विलय, मुझ परमात्मा का कार्य है।यज्ञ का अर्थ कर्मकांड है किन्तु इसकी शिक्षा व्यवस्था में अग्नि और घी के प्रतीकात्मक प्रयोग में पारंपरिक रूचि का कारण अग्नि के भोजन बनाने में, आयुर्वेद और औषधीय विज्ञान द्वारा वायु शोधन इस अग्नि से होने वाले धुओं के गुण को यज्ञ समझ इस ‘यज्ञ’ शब्द के प्रचार प्रसार में बहुत सहायक हैं । कार्यक्रम में यज्ञाचार्य रामकैलाश शुक्ला, आचार्य दीपक उपाध्याय, रवि त्रिपाठी, माणिक लाल पांडे ने अनुष्ठान के मुख्य यजमान करनाल के समाज सेवी नरसिंह गोयल, सुभाष चंद जांगड़ा और ओमी लाल सहित अन्य यजमानों से हवन में आहुतियां डलवाई। इस मौके पर शिव नारायण, राजकुमार पांडे, नीरज मिश्रा, नील मिश्रा, नितेश शुक्ला, जितेंद्र कोठारी, राजकुमार दीक्षित, आशीष गर्ग, गौरव त्रिपाठी और आकाश शुक्ला आदि मौजूद रहे। Post navigation मकर सक्रांति पर सूर्योपासना से प्रसन्न होते है नारायण : कौशिक रैन बसेरों में होनी चाहिए सभी सुविधाएं : सुधा