पंचकूला 15 हरियाणा के पूर्व उपमुख्यमंत्री चंद्रमोहन ने कहा कि हरियाणा सरकार की दमनकारी नीतियों के कारण प्रदेश के किसान, श्रमिक, दुकानदारों और कर्मचारियों सहित सभी वर्गों के लोग परेशान हैं। इसके अतिरिक्त प्रदेश में कानून व्यवस्था की बदहाली के कारण सरकार से आम लोगों का विश्वास उठना शुरू हो गया है और लोगों का जीवन राम भरोसे है।

प्रदेश में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाओं द्वारा अपनी मांगों को लेकर पिछले एक महीने से अधिक समय से जिला स्तर परिणाम जो धरना और प्रदर्शन किया जा रहा है का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि यह सरकार की वादाखिलाफी का ही परिणाम है। उन्होंने कहा कि इन आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओ और सहायिकाओं का कसूर सिर्फ इतना ही है कि उन्होंने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा सितंबर 2018 में की गई घोषणा पर विश्वास कर लिया था जिसमें प्रधानमंत्री द्वारा आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के वेतन में 1500 रुपए और आंगनबाड़ी सहायिकाओं के वेतन में 750 रुपए प्रति महीने की बढ़ोतरी करने का आश्वासन दिया था।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री द्वारा की गई घोषणा को लागू करने के लिए ही मुख्य मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने भी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को 2018 में आश्वासन दिया था कि उनके वेतन में प्रधानमंत्री की घोषणा के अनुसार बढ़ोतरी की जाएगी। लेकिन तीन साल बीतने के बाद भी इनको केवल निराशा ही हाथ लगी है। सरकार के इस वचन को पूरा करने की याद दिलाने के लिए ही प्रदेश के आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं ने सरकार को जगाने के लिए ही आन्दोलन का रास्ता अपनाने पर विवश होना पड़ रहा है।

चन्द्र मोहन ने कहा कि हरियाणा सरकार को अपना वचन पूरा करने की याद दिलाने के लिए ही आंगनबाड़ी सहायिका तथा कार्यकर्ताओं को कड़ाके की सर्दी में सड़कों पर उतरने पर विवश होना पड़ा है। उन्होंने कहा कि इन आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया जा रहा है और उन पर झूठे मुकदमे दर्ज किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार की मानसिकता ही कर्मचारी विरोधी है। उन्होंने मुख्यमंत्री से मांग की है कि वह आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का उत्पीडन बंद करके उनकी मांगों के बारे में किए गए वायदे को पूरा करें।

उन्होंने पंचकूला में बढ़ते हुए कोरोना के केसों पर अपनी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि यह स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही और सरकार की अकर्मण्यता और ढूलमूल नीतियों का ही परिणाम है कि आज पंचकूला में कोरोना के मामलों को देखते हुए कहा जा सकता है और यह सरकार लोगों की समस्याओं का समाधान करने की अपेक्षा प्रदेश के लोगों को केवल इवेंट मैनेजमेंट के माध्यम से लोगों को गुमराह करने का प्रयास किया जा रहा है।

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