-जिला परिषद के कार्यकारी अधिकारी ने जांच रिपोर्ट में पाया हरियाणा सिविल सर्विस सरकारी कर्मचारी आचरण नियम में दोषी
-स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के प्रदेश अध्यक्ष बृजपाल सिंह परमार ने की थी रवि जांगड़ा के खिलाफ उपायुक्त को शिकायत
-शिक्षा विभाग में रवीन्द्र कुमार और पत्रकारिता रवि जांगड़ा के फर्जी नाम से कर रहा था धोखाधड़ी
-जिला परिषद के सीईओ ने उपायुक्त को भेजी आरोपी के खिलाफ कार्रवाई के लिए जांच रिपोर्ट

भिवानी, 11 जनवरी। हरियाणा स्कूली शिक्षा निदेशालय के साथ प्रशासनिक अधिकारियों और आम जनता की आंखों में धूल झोंक पिछले 12 सालों से एक सरकारी टीजीटी(अंग्रेजी) अध्यापक फर्जी नाम के सहारे धोखाधड़ी से पत्रकारिता करता रहा। सरकारी अध्यापक ने न केवल हरियाणा सिविल सर्विस सरकारी कर्मचारी आचरण के नियम का उल्लंघन किया, बल्कि पत्रकारिता के लिए भी अपना फर्जी नाम रख जनता व अधिकारियों को गुमराह कर खूब उल्लू सीधा किया। लंबे अर्से से जनता व अधिकारियों को बेवकूफ बनाते आ रहे इस अध्यापक का पर्दाफाश स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के प्रदेश अध्यक्ष बृजपाल सिंह परमार ने कर दिया। 

स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के प्रदेश अध्यक्ष बृजपाल सिंह परमार ने 21 अक्तूबर 2021 को उपायुक्त को शिकायत दी थी। शिकायत में बताया था कि बवानीखेड़ा क्षेत्र के गांव कुंगड़ स्थित राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में बतौर टीजीटी(अंग्रेजी) रवीन्द्र कुमार वर्ष 2009 से सरकारी नौकरी के साथ साथ इंडिया न्यूज हरियाणा में बतौर रिपोर्टर के रूप में पत्रकारिता करता आ रहा है। जबकि हरियाणा सिविल सर्विस सरकारी कर्मचारी आचरण नियम 12 व 20()ि(1) व (3) का सीधा उल्लंघन है। बृजपाल सिंह परमार ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया कि टीजीटी रवीन्द्र कुमार सरकारी कर्मचारी होने के बावजूद पत्रकारिता रवि जांगड़ा के फर्जी नाम से पत्रकारिता करता आ रहा है। जबकि यह भी विभाग, प्रशासनिक अधिकारियों, सरकार व आम जनता के साथ धोखाधड़ी है। क्योंकि कोई भी व्यक्ति फर्जी नाम से पत्रकारिता करता है तो उस पर आपराधिक षड्यंत्र के तहत भी कानूनी कार्रवाई बनती है। मगर लंबे अर्से से आरोपी फर्जी नाम से पत्रकारिता कर अपना उल्लू सीधा कर सरकार, अधिकारियों व जनता की आंखों में धूल झोंकता आ रहा है।

जिला उपायुक्त ने बृजपाल परमार की शिकायत पर जिला परिषद के कार्यकारी अधिकारी को जांच सौंप दी। जांच अधिकारी जिला परिषद के कार्यकारी अधिकारी ने इस प्रकरण में दोनों पक्षों के बयान दर्ज किए। टीजीटी रवीन्द्र कुमार ने जांच अधिकारी के समक्ष अपने जवाब में बताया था कि उसने पंजाब सिविल सर्विस रूल पार्ट टू में अपेंडक्स 23 के भाग आठ के तहत अनुमति ली थी। लेकिन जांच अधिकारी ने तथ्यों और सबूतों के अलावा विभाग के नियमों का अवलोकन उपरांत उसके इस दावे को भी खारिज कर दिया। जिसके बाद जांच अधिकारी ने पत्रकारिता करते हुए चैनल के विडियो रिपोर्टर व आई कार्ड में रवि जांगड़ा के नाम से पत्रकारिता करते हुए तथ्यों का भी रवि जांगड़ा से व्यक्तिगत पेशी के दौरान मिलान किया। जांच अधिकारी ने इस मामले में टीजीटी रवीन्द्र कुमार को हरियाणा सिविल सर्विस सरकारी कर्मचारी आचरण नियमों की उल्लंघना का दोषी पाया और अपनी जांच रिपोर्ट आगामी कार्रवाई के लिए उपायुक्त के समक्ष भेज दी। 

सरकारी कर्मचारी के आचरण ही नहीं, पत्रकारिता के आचरण पर भी लगाया दाग: बृजपाल

बृजपाल सिंह परमार ने टीजीटी रवीन्द्र कुमार द्वारा रवि जांगड़ा के नाम से पत्रकारिता करने के मामले में आरोप लगाया है कि सरकारी कर्मचारी के आचरण का ही उल्लंघन नहीं बल्कि पत्रकारिता के आचरण को भी दाग लगाया है। एक सरकारी कर्मचारी किसी भी सूरत में पत्रकारिता नहीं कर सकता है। विभाग भी किसी भी सरकारी कर्मचारी को सर्विस रूल के तहत पत्रकारिता की कोई अनुमति नहीं दे सकता है। जबकि रवि जांगड़ा के नाम से टीजीटी रवीन्द्र कुमार ने इंडिया न्यूज चैनल में न केवल खुद पत्रकार के तौर पर इंटरव्यू लेते हुए दिखाई दे रहा है, बल्कि खुद ही हाथ में चैनल का माइक उठाकर पत्रकारिता के सभी नियमों को भी ताक पर रख रहा है। 

शिक्षा निदेशालय ने आरटीआई के जवाब में भी किया किसी कर्मचारी के पत्रकार होने से स्पष्ट मना

बृजपाल सिंह परमार ने हरियाणा शिक्षा निदेशालय से आरटीआई के तहत सूचना मांगी थी। जिसमें यह पूछा गया था कि शिक्षा विभाग में तैनात क्लर्क, टीचर व अन्य कर्मचारी पत्रकारिता कर रहे हैं। अगर विभाग ने किसी को कोई अनुमति दी है तो उसकी जानकारी भी दी जाए। मगर आरटीआई के जवाब में शिक्षा निदेशालय ने स्पष्ट तौर पर ऐसी किसी भी अनुमति से मना कर दिया और यह भी बताया कि अगर संगठन की जानकारी में ऐसा कोई मामला है तो वह भी बताया जाए, जिस पर निदेशालय नियमों के तहत कार्रवाई करेगा। बृजपाल सिंह परमार ने कहा कि निदेशालय के इस जवाब से स्पष्ट हो जाता है कि शिक्षा विभाग के कुछ अधिकारियों से मिलीभगत कर टीजीटी रवीन्द्र कुमार ने फर्जी अनुमति होने की बात कहकर भी जांच अधिकारी को गुमराह करने का प्रयास किया था। मगर विभाग में ऐसा कोई प्रावधान ही नहीं है कि पत्रकारिता का कोई भी शिक्षा अधिकारी किसी कर्मचारी को अनुमति का प्रमाण पत्र थमा डाले। 

डीपीआरओ विभाग के रिकार्ड में भी दर्ज है फर्जी नाम से पत्रकार

बृजपाल सिंह परमार ने बताया कि जिला लोक संपर्क विभाग से भी आरटीआई के तहत रजिस्टर्ड पत्रकारों की जानकारी मांगी गई थी। आरटीआई के जवाब में डीपीआरओ ने टीजीटी रवीन्द्र कुमार को रवि जांगड़ा के फर्जी नाम से रजिस्टर्ड पत्रकार होने की पुष्टि की है। एक सरकारी कर्मचारी होने के बावजूद जिला लोक संपर्क विभाग द्वारा पत्रकार होने की मान्यता देना भी नियमों के खिलाफ है। एक सरकारी विभाग होने के बावजूद सरकारी कर्मचारी को पत्रकार के तौर पर पेश कर सरकार को गुमराह करने का प्रयास भी किया जा रहा है। एक पत्रकार संगठन ने भी रवि जांगड़ा के नाम से रवीन्द्र कुमार को आईकार्ड जारी किया है, जो नियम के अनुसार भी गैर कानूनी दायरे में आता है। इस संबंध में भी संगठन तथ्यों के साथ आरोपी के खिलाफ विभागीय और कानूनी कार्रवाई कराने के लिए कदम उठाएगा।