धर्मपाल ने शपथ पत्र भी सौंपा।

वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक

कुरुक्षेत्र :- रविदास कॉलोनी निवासी धर्मपाल ने श्रीकृष्णा आयुष विश्वविद्यालय की खबर देहदान पढ़कर स्वेच्छा से शरीर दान का फैसला लिया है। जो समाज में नजीर बनेगी। मूल निवासी अभिमन्युपुर के धर्मपाल की उम्र 50 वर्ष से ऊपर है। उनका 2018 में देहदान का मन बना था। जो संकल्प सोमवार को पूरा हुआ। उन्होंने श्रीकृष्णा आयुष विश्वविद्यालय में पहुंचकर कुलपति डॉ. बलदेव कुमार को शपथ पत्र सौंपा। कुलपति ने धर्मपाल का उनके इस नेक कार्य के ले अभिवादन किया।

धर्मपाल ने बताया कि वह मजदूरी करता था। उसकी शरीर दान की इच्छा 2018 में बनी। इसके लिए एक संस्था के माध्यम से फार्म भी भरा। मगर कुछ कारणवश नाम कटवा दिया। पिछले दिनों अखबार में आयुष विश्वविद्यालय की देहदान पर छपी खबर पढ़ी और किसी प्रकार देवीदयाल झांगड़ा से संपर्क साधा। शरीर दान करने के लिए क्या-क्या कागज चाहिए होते हैं इसकी जानकारी प्राप्त की। उन्होंने कहा कि पुराने बुजुर्ग कहा करते थे ये शरीर नश्वर है। आत्मा अजर-अमर है। जैसे हम पुराने कपड़े उतारकर नए वस्त्र पहन लेते हैं। वैसे ही ये आत्मा है। शरीर किसी के काम आ जाए। इससे बड़ा धरती का स्वर्ग ओर कुछ भी नहीं हो सकता।

कड़कड़ाती ठंड में पहुंचे विश्वविद्यालय
धर्मपाल की उम्र 50 वर्ष से ऊपर है। लेकिन उनका देहदान के लिए जज्बा काबिले तारीफ है। इस कड़कड़ाती ठंड में भी वे अपने सारे प्रमाण पत्र साथ लेकर आयुष विश्वविद्यालय पहुंचे। उन्होंने बताया कि पूरे परिवार की सहमति से देहदान कर रहा हूं। मेरी अपील है समाज के अन्य नागरिकों से आगे बढ़कर अंगदान और देहदान करें। ताकि किसी जरूरतमंद की समय रहते जान बचाई जा सके।

कुलपति प्रो. डॉ. बलदेव कुमार ने कहा कि शरीर दान महादान है। अपने देश में प्राचीन काल से दान की परंपरा रही है। मगर अंग दान करना मानव और समाज के लिए बहुत बड़ा उपकार है। अंग दान से जीवनदान मिलता है। इसलिए यह सभी दानों में सर्वोपरि है। उन्होंने कहा कि समाज में अंग दान के लिए जागरूकता की कमी है। आगामी दिनों में विश्वविद्यालय द्वारा शरीर के अंग दान और देहदान के लिए कैंप लगाया जाएगा। जिससे लोगों को देहदान के लिए प्रेरित करने के साथ-साथ इसकी उपयोगिता के बारे में बताया जाएगा। इस अवसर पर कुलचिव डॉ. नरेश कुमार, शारीर रचना विभाग के सहायक प्रो. डॉ. आशीष भी उपस्थित रहे।

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