सोहना बाबू सिंगला शहीद उधम सिंह के जन्म दिवस पर श्रद्धांजलि अर्पित करते स्वतंत्रता संग्राम के महान सेनानी एवं क्रांतिकारी उधम सिंह की आज जयंती पर उनको नमन किया। उनके देश के लिए अपने प्राण न्यौछावर करने पर, शहीद उधम सिंह के बलिदान को याद किया गया। इस मौके पर दीपक मेहरोलिया प्रदेश महासचिव हरियाणा वाल्मीकि महसभा , राजपाल वाल्मीकी एससी मोर्चा मंडल अध्यक्ष सोहना बी जे पी पार्टी,अमित, सोनू नरेश, महेश अन्य गणमान्य लोग मौजूद रहे। दीपक मेहरोलिया , प्रदेश महासचिव हरियाणा वाल्मीकि महासभा ने शहीद उदम सिंह के जीवन पर प्रकाश डालते हुए बताया कि शहीद उधम सिंह का जन्म 26 दिसम्बर 1899 को पंजाब के संगरूर जिले के सुनाम गांव में हुआ था।सन 1901 में उधम सिंह की माता और 1907 में उनके पिता का निधन हो गया। उधम सिंह का बचपन का नाम शेर सिंह और उनके भाई का नाम मुक्ता सिंह था जिन्हें अनाथालय में क्रमश: उधम सिंह और साधु सिंह के रूप में नए नाम मिले. उधम सिंह ने जलियांवाला बाग नरसंहार को अंजाम देने वाले जनरल ओ डायर को उसके देश में घुसकर गोली मारी थी। 13 अप्रैल 1919 को बैसाखी के दिन जलियांवाला बाग में लोगों पर जनरल डायर ने गोलियां चलवाई थी, जिससे पूरे भारत में आक्रोश का माहौल था।इस घटना से उधम सिंह तिलमिला गए और उन्होंने जलियांवाला बाग की मिट्टी हाथ में लेकर माइकल ओ डायर को सबक सिखाने की प्रतिज्ञा ले ली।अपने मिशन को अंजाम देने के लिए उधम सिंह ने अफ्रीका, नैरोबी, ब्राजील और अमेरिका की यात्रा की।सन 1934 में उधम सिंह लंदन पहुंचे और वहां 9, एल्डर स्ट्रीट कमर्शियल रोड पर रहने लगे. वहां उन्होंने अपना मिशन पूरा करने के लिए एक रिवॉल्वर भी खरीद ली।अब उन्हें बस माइकल ओ डायर को ठिकाने लगाने के लिए सही समय का इंतजार था। और लंदन में ही एशियन सोसाइटी के कार्यक्रम से निकलते ही जनरल ओ डायर को गोली मार दी थी और 21 वर्ष बाद उदम सिंह ने बदला लिया। बाद में अदालत में मुकदमा चला और उधम सिंह को 31 जुलाई, 1940 को लंदन के पेंटनविल जेल में फांसी दे दी गई। अंग्रेजों ने उन्हें मोहम्मद सिंह आजाद समझा14 मार्च, 1940 को ही ‘द हल डेली मेल’ में खबर छपी, “मोहम्मद सिंह आजाद…37 साल का एक भारतीय आज लंदन के बो स्ट्रीट में नजर आया। उसपर सर माइकल ओ’ड्वायर की हत्या का आरोप है… जैसे ही वह बिल्डिंग में घुसा, आजाद मुस्कुरा रहा था और अपने साथ के अधिकारियों से बात कर रहा था।” शुरू में उधम सिंह के नाम और धर्म को लेकर अंग्रेज भ्रमित थे। मोहम्मद सिंह आजाद के नाम मुकदमा लिख दिया गया था, बाद में पता चला कि पासपोर्ट में उनका नाम उधम सिंह था। Post navigation नागरिक अस्पताल सोहना ने पहला व दूसरा टीकाकरण 100 प्रतिशत लगाने में सफलता प्राप्त की : एसएमओ ड्रग अधिनियम अवहेलना करने पर मेडिकल स्टोर की एक दुकान को किया सील