माईकल सैनी

भारत रत्न’ पूर्व प्रधानमंत्री स्व.श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी आपकी जयंती पर समस्त देशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं और शत शत नमन है तरविंदर सैनी (माईकल)आम आदमी पार्टी गुरुग्राम की ओर से !

आज अटल जी की जयंती को मौजूदा सरकार ने सुशाशन दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया है और सरकारी तंत्र एवं भाजपा मिलकर अपनी उपलब्धियों को गिनाने के लिए विभिन्न स्थानों पर अपने ही समर्थकों के बीच अपनी ही पीठ थपथपाने में लगी हुई हैं निजी प्रचार एवं मीडिया के माध्यम से जनता को गुमराह कर वाह – वाहियां लूटने की नीयत रखकर चल रही हैं मगर धरातल पर कुछ भी नहीं , वास्तविक स्थिति क्या हो चली है लोगों के जीवन की यह बात कोई समर्थक अथवा नेता नहीं बताएंगा – कारण इस समयखंड के नेतागण आपके आदर्शों से विपरीत दिशा में चल जनहितैषी कार्यो से परे हटकर केवल एक दल विशेष का गुणगान करने तक ही सीमित हो गए हैं नैतिकता नाम की चीज नहीं दिखती है उनमें जनता से भी उनका कोई सरोकार नहीं लगता मानों सब अपने निजी हितों की पूर्ति करने में ही जुटे हुए हैं और समर्थकों की तो बात ही क्या करें उनकी तुलना तो उस रट्टू तोते के समान हो चली हैं जिसे जो सिखाया जाए वही उच्चारण वह करता रहता है ! खैर…..

शैक्षणिक संस्थानों पर ताले जड़े हुए हैं , गरीब बच्चों को निजी स्कूलों में शिक्षा दिलाने के नाम पर जो मजाक हुआ वह नियम 134-ए है उन नियमों की धज्जियाँ निजी स्कूलों द्वारा सरेआम उड़ा दी गई और अधिकारियों से लेकर सरकार तक मौन और मजबूर दिखाई दिए !

अस्पतालों में चिंतित करने वाली लंबी-लंबी कतारें लगी हुई हैं , अव्यवस्थाओं का बोल-बाला है , हालात दयनीय दशा में पहुँच चुकी हैं और जो किसी से छिपी नहीं है और दवाई क्या सफाई तक नहीं शौचालय सड़े पड़े , वातावरण प्रदूषित हो चुका है जिधर देखो कचरे के ढ़ेर लगे हुए हैं !
गुरुग्राम शहर भी कचरे-कचरे हो गया है जीसके निष्पादन के लिए जिन एजेंसियां से करार किया गया वह अपना कार्य अन्य लोगों से करा भृस्टाचार और गुंदातत्वों को जन्म दे रही है अर्थात कोई प्रसाशनिक कार्यवाही नहीं , किसी की कोई जिम्मेदारी तय नहीं मानों धक्काशाही चल रही है ।

दूसरी ओर सफाई कर्मचारियों की मांगे नहीं मानी जा रही हैं ठेकेदारों द्वारा उनकी हालत खराब कर दी जा रही है , दूसरी ओर आशा वर्कर-आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और सड़कों पर धरना प्रदर्शन कर रही हैं अपनी मांगों को लेकर चीख-चिल्ला रही हैं जिनकी कोई बात सुनने को तैयार नहीं हो रही जो सरकार वह सुशाशन दिवस मना रही है वह भी अटल जी की जयंती के शुभावसर को भुनाने के लिए तो पीड़ा होना फिर लाजमी हो जाता है !

वर्षभर से जहां पीड़ित पीटीआई टीचर्स धरनारत हैं , जहाँ लाखों युवा बेरोजगारी की मार झेल रहे हैं लाख दावों के बावजूद भर्तियों में घोटाले थमनें का नाम नहीं ले रहे , पर्ची-खर्ची के विरुद्ध होने का दम भरने वाली खट्टर सरकार भृष्ट अधिकारियों पर नकेल कसने में नाकाम रही जिसकारण अनेकों भर्ती घोटाले सामने आ रहे हैं , स्थानीय नोकरियों में 75%आरक्षण वाला कानून भी मजाक ही साबित हो रहा हो वहां सुशाशन कैसे माना जाए ?

सभी सरकारी संस्थानों को निजी क्षेत्र के हवाले किया गया यहां तक कि बैंकों को भी निजी क्षेत्र के हवाले करने की योजना बन चुकी है , फॉरेन इन्वेस्टमेंट कोई आई नहीं , कोई बड़ा उद्योग स्थापित नहीं हो पाया ,यहाँ तक कि किए गए करार भी विफल साबित हो गए , उद्योगीक इकाइयां निरंतर पलायन करने को मजबूर हो रही हैं , अनेकों कम्पनियों पर ताले लटक गए , जो रोजगार पर थे वह भी बेरोजगार हुए भटक रहे हैं सरकार की अकुशल नीतियों के चलते रोजगार मिलने के स्थान पर छीने जा रहे हैं जिस सरकार द्वारा वह अटल जी की जयंती को भुनाकर अपने नकारापन को ढकने का प्रयास करे सहन कैसे करे जनता ?

तरविंदर सैनी (माईकल) का सवाल उठाना मकसद नहीं मजबूरी बन गया है कि यदि ऐसी गूँगी-बहरी, दमनकारी , चापलूसों से भरी, भृस्टाचारियों की खैरगवा भारतीय जनता पार्टी की सरकार के शासन को सुशासन कहेंगे तो फिर कुशासन किसे कहा जाए ?

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