–कमलेश भारतीय महात्मा गांधी जी ने कहा था कि गीता उन्हें हर बार नयी खुशी और नये अर्थ देती है । जब कोई आशा नहीं होती तब मैं गीता की शरण में जाता हूं और नयी प्रेरणा पाता हूं । प्रसिद्ध मोटीवेटर व आईआईटी तक शिक्षित राधेश्याम शर्मा ने आज गुरु जम्भेश्वर विश्विद्यालय के युवा कल्याण निदेशालय द्वारा गीता जयंती महोत्सव के उपलक्ष्य में आयोजित एक कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में महात्मा गांधी के उदाहरण से शुरूआत की । उन्होंने कहा कि जो अर्जुन युद्ध छोड़ना चाहता था , उसे श्रीकृष्ण ने तनाव , निराशा और उद्विग्नता से हटा कर कर्म का संदेश दिया जो आज सभी के लिए और हर युग में प्रासंगिक है । मन के अंदर सदैव संकल्प और विकल्प चलते रहते हैं । जैसे पक्षी के दो पंख । इसी तरह हमारा मन डोलता रहता है । मन हमारे जीवन में बहुत बड़ी भूमिका निभाता है । हमारी इच्छायें पूरी नहीं होतीं तो क्रोध आता है जिससे बुद्धि का नाश हो जाता है । हमारे विचार ही हमारे कर्म का आधार बनते हैं और ये कर्म हमारी आदत और धीरे धीरे यही हमारा चरित्र बन जाता है । हम सब आदतों के वश में हो जाते हैं । जो हमारे जीवन के साथ चलती हैं । इस अवसर पर गुजवि के डीन अकेडेमिक अफेयर प्रो हरभजन बंसल थे और उन्होंने कहा कि गीता हमारे हृदय में सीधे प्रवेश करती है और बेहतर इंसान बनने के लिए प्रेरिख करती है । हम सब एक आत्मा हैं , शरीर मात्र नहीं । उन्होंने कहा कि ज्ञान के लिए जिज्ञासा जरूरी है । कर्म की महिमा का बखान है गीता में । प्रारम्भ में छात्र कल्याण अधिष्ठाता प्रो दीपा मंगला ने मुख्य वक्ता व मुख्यातिथि का स्वागत् करते कहा कि हमारी आंतरिक शक्ति का अहसास दिलाती है गीता । रश्मि व वंश ने संचालन किया । गुजवि के युवा कल्याण निदेशालय के निदेशक अजित सिंह ने सबका आभार व्यक्त किया और कहा कि गीता का कर्म का संदेश सारे विश्व को राह दिखा रहा है । कार्यक्रम में पोस्टर मेकिंग प्रतियोगिता के विजेताओं निमिषा सूर्यांशी , अंजलि जांगड़ा , भारत शर्मा व तनु को पुरस्कार प्रदान किये गये । Post navigation लघु कथा : तिलस्म नाटक से नये ‘मानुष’, नये व्यक्ति’ का जन्म होता है : विक्रमजीत सिंह