प्रधानमंत्री मोदी जी के समक्ष सम्मेलन के आयोजक राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने बार-बार किया एचएयू का जिक्रएचएयू के कुलपति सहित अन्य अधिकारियों, वैज्ञानिकों, कर्मचारियों व विद्यार्थियों ने लिया हिस्सा हिसार : 16 दिसंबर – गुजरात सरकार द्वारा आनंद जिले में ऑनलाइन व ऑफलाइन माध्यम से प्राकृतिक खेती को लेकर शिखर सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस सम्मेलन में प्राकृतिक खेती के माध्यम से किसानों को मिलने वाले लाभों को लेकर विस्तारपूर्वक चर्चा की गई। सम्मेलन में माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने वर्चुअल माध्यम से प्राकृतिक खेती को अपनाने पर जोर दिया और किसानों से आत्मनिर्भर भारत बनाने के लिए भी प्राकृतिक खेती अपनाने को लेकर आह्वान किया। इस कार्यक्रम में देशभर के कोने-कोने से किसान ऑनलाइन माध्यम से जुड़े हुए थे। प्रधानमंत्री जी ने कहा कि प्राकृतिक खेती के लिए जो जरूरी सामान की जरूरत है वो बहुत ही सरल व साधारण शब्दों में राज्यपाल आचार्य देवव्रत द्वारा समझाया गया जो किसानों के लिए बहुत ही फायदेमंद साबित होगा। यह सम्मेलन गुजरात में भले ही हो लेकिन इसका फायदा देश के हर किसान को मिलेगा। कृषि के अलग-अलग आयाम और प्राकृतिक खेती 21वीं सदी में भारतीय कृषि की कायाकल्प में सहयोगी होंगे। रसायनिक प्रयोगशाला से प्राकृतिक प्रयोगशाला की ओर जाना होगा उन्होंने कहा कि रसायन की प्रयोगशाला से निकालकर प्रकृति की प्रयोगशाला से हमारी खेती को जोडऩा होगा तभी कम लागत में अधिक मुनाफा होगा। खाद्य प्रसंस्करण को लेकर नई संभावनाएं किसानों के लिए लाभदायक होंगी। उन्होंने कहा कि तकनीकी व प्राकृतिक खेती में जो प्रयोग किए गए वे बहुत ही सफल हुए हैं। देश के किसानों को प्राकृतिक खेती के बारे में आचार्य देवव्रत जी ने सरल शब्दों में स्व अनुभवों के आधार पर बताया जिसका किसान अनुसरण करेंगे। एचएयू वैज्ञानिकों की जमकर हुई तारीफ, बार-बार किया सम्मेलन मेें जिक्र इस सम्मेलन में राज्यपाल आचार्य देवव्रत जी ने अपने अनुभवों को साझा करते हुए प्राकृतिक खेती को लेकर चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार के वैज्ञानिकों द्वारा दिए गए सहयोग की जमकर तारीफ की। उन्होंने इस सम्मेलन में कई बार एचएयू वैज्ञानिकों का जिक्र किया और मार्गदर्शन के लिए धन्यवाद किया। उन्होंने कुरूक्षेत्र गुरूकुल में उनके द्वारा अपनाए गए प्राकृतिक खेती मॉडल का भी जिक्र किया। इस अवसर सम्मेलन में एचएयू के कुलपति प्रोफेसर बी.आर. काम्बोज, ओएसडी डॉ. अतुल ढींगड़ा सहित विश्वविद्यालय के सभी अधिष्ठाता, निदेशक, विभागाध्यक्ष, कर्मचारी व विद्यार्थियों ने सम्मेलन में जुडक़र प्राकृतिक खेती के बारे में जाना। Post navigation क्या गले की फांस बनेगा लखीमपुर खीरी कांड,,,? राजीव भाटिया ने किया शाॅर्ट फिल्म का मुहूर्त