कुरुक्षेत्र की पावन धरा से संसार को मिला धर्म और कर्म का संदेश : धनखड़

— प्रदेश भाजपा अध्यक्ष औम प्रकाश धनखड़ ने कुरुक्षेत्र में आयोजित अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव में बतौर विशिष्ट अतिथि दिया संबोधन
— भारतीय धर्म ,संस्कृति और संस्कार दुनिया में सर्वश्रेष्ठ- बोले धनखड़

सोनू धनखड़

कुरुक्षेत्र, 14 दिसंबर :- हरियाणा भाजपा के अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ ने कुरुक्षेत्र में आयोजित अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव में बतौर विशिष्ट अपना संबोधन देते हुए कहा कि कुरुक्षेत्र की पावन धरा से संसार को लगभग साढ़े पांच हजार वर्ष पूर्व धर्म और कर्म का ऐसा संदेश मिला, जिसकी प्रासंगिकता कम नहीं हुई बल्कि पीढ़ी दर पीढ़ी बढ़ रही है। कुरुक्षेत्र की युद्ध भूमि में भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को संदेश देते हुए यही कहा कि इंसान के जीवन में आचरण, ज्ञान व आस्था का उचित संतुलन ही धर्म है और आपका कर्म है।

श्री धनखड़ ने कहा कि भारतीय धर्म संस्कृति में ज्ञान और धर्म एक साथ चलते हैं जोकि दुनिया की किसी संस्कृति या धर्म में देखने को नहीं मिलती। गीता में कर्म करने के साथ-साथ आचरण, ज्ञान व आस्था के उचित संतुलन की बात कही है। भारतीय परंपरा में इन सभी के संतुलन के साथ जीवन में निरंतर कर्म करने के साथ-साथ आगे बढऩे की बात कही गई है। चरैवति-चरैवति की परंपरा में अपने विवेक के साथ आगे बढऩे का श्रेष्ठ ज्ञान भारतीय धर्म-संस्कृति में ही निहित है। गीता के ज्ञान में भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को यही ज्ञान दिया कि उठ और युद्ध कर। आज हर कोई अपने क्षेत्र में अर्जुन है और कब कौन सा व्यवहार करना है इस बात का जिक्र गीता में मिलता है।

प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि जिस काम के लिए जो बना है उसे वह अपना श्रेष्ठï देते हुए करना चाहिए। जीवन में बड़ा ध्येय रखते हुए हमें किसी स्तर पर रूकना नहीं चाहिए। उन्होंने कहा कि हरियाणा में हमारी सरकार बनने के उपरांत अंतर्राष्ट्रीय व जिला स्तरीय गीता महोत्सव की परंपरा सबसे अच्छा कार्य है। इस कार्यक्रम के जरिए कर्म पर फोकस करने की सीख मिलती है अगर कर्म अच्छा होगा तो स्वत: परिणाम भी अच्छा मिलेगा। उन्होंने संत कबीर, गुरू गोविंद सिंह व महात्मा बुद्ध का उदाहरण रखते हुए भारतीय धर्मदर्शन के सौंदर्य से कार्यक्रम में उपस्थित जनसमूह को अवगत कराया।

धनखड़ ने कहा कि गीता को समझना है तो श्री कृष्ण के जीवन दर्शन को समझना होगा। उन्होंने कहा कि अपने हरियाणा और देश को महान बनाने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठï दें। धर्म, संस्कार, संस्कृति के विकास के लिए सभी को अपना विराट अवतार धारण करना होगा ताकि हम अपने- अपने क्षेत्र को नई ऊ चाईंयों पर लेकर जा सकें। अपना लक्ष्य तय कर जीवन में आगे बढ़ें , सफलता निश्चित रूप से मिलेगी।

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