साढ़े आठ हजार से ऊपर किसान हैं जो पिछले पांच साल से कृषि विभाग से लेकर प्रशासन के आला अफसरों के ऑफिसों के चक्कर काट-काट कर बुरी तरह से थक चुके हैं
मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को इस बात का जरा भी अहसास नहीं है कि किसान कितनी मुश्किल से कर्जा लेकर और अपना खून पसीना बहाकर फसलों की बिजाई करता है और इस उम्मीद में रहता है कि जब फसल पक जाएगी तो उसे अच्छे दामों में बेचकर कर्जा उतारने से लेकर बच्चों की पढ़ाई और उनके शादी-ब्याह करेगा
कमेटियों की लचर और किसान विरोधी कार्यप्रणाली का इस बात से पता लगता है कि इनके पास पिछले पांच साल में साढ़े ग्यारह हजार के लगभग ऐसे केस आए हैं जिनमें से सिर्फ तीन हजार केसों का ही निपटारा किया गया है
अन्नदाता की इस प्रदेश में कैसे बेकद्री और दुर्गती की जा रही है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि कैसे बैंक, बीमा कंपनी और कृषि विभाग किसानों का जमकर उत्पीडऩ करते हैं

चंडीगढ़, 13 दिसंबर: इनेलो के प्रधान महासचिव एवं ऐलनाबाद के विधायक अभय सिंह चौटाला ने भाजपा गठबंधन सरकार पर फसल बीमा के नाम पर किसानों का उत्पीडऩ करने के गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि प्रदेश के साढ़े आठ हजार से ऊपर किसान हैं जो पिछले पांच साल से कृषि विभाग से लेकर प्रशासन के आला अफसरों के ऑफिसों के चक्कर काट-काट कर बुरी तरह से थक चुके हैं, लेकिन उनको अब तक खराब हुई फसल की बीमा राशि नहीं मिली है जो करीब सौलह करोड़ के लगभग बनता है। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार किसानों को फसल की बीमा राशि तुरंत दे।

अभय सिंह चौैटाला ने कहा कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को इस बात का जरा भी अहसास नहीं है कि किसान कितनी मुश्किल से कर्जा लेकर और अपना खून-पसीना बहाकर अपनी फसलों की बिजाई करता है और इस उम्मीद में रहता है कि जब फसल पक जाएगी तो उसे अच्छे दामों में बेचकर कर्जा उतारने से लेकर बच्चों के शादी-ब्याह करेगा। लेकिन किन्ही कारणों से अगर किसान की फसल खराब हो जाती है तो वह आत्महत्या तक करने पर मजबूर हो जाता है। आज प्रदेश की भाजपा गठबंधन सरकार में किसानों की पीड़ा समझने वाला कोई नहीं है।
भाजपा गठबंधन सरकार ने फसल बीमा के तहत मिलने वाली राश्ीि के केसों के निपटारे के लिए जिला व स्टेट लेवल की कमेटी बना रखी है। इन कमेटियों की लचर और किसान विरोधी कार्यप्रणाली का इस बात से पता लगता है कि इनके पास पिछले पांच साल में साढे ग्यारह हजार के लगभग ऐसे केस आए हैं जिनमें से सिर्फ तीन हजार केसों का ही निपटारा किया गया है।

अन्नदाता की इस प्रदेश में कैसे बेकद्री और दुर्गती की जा रही है इसका इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि कैसे बैंक, बीमा कंपनी और कृषि विभाग किसानों का जमकर उत्पीडऩ करते हैं। किसान जब फसल की बीमा राशि लेने के लिए बैंकों में जाते हैं तो वहां से जवाब मिलता है कि उनकी फसल का मुआवजा संबंधित बीमा कंपनी ही देगी और जब बीमा कंपनी के पास जाते है तो वो कहते हैं कि  उनकी राशि बैंक देंगे वहीं किसान जब कृषि विभाग के ऑफिसों में जाते हैं तो जवाब मिलता है कि राशि या तो बीमा कंपनी देगी या बैंक देगा। यह प्रदेश की विडंबना है कि लुटेरों के गठबंधन की ऐसी नकारा सरकार जनता को मिली है जो सिर्फ जनता को लूटने में लगी है।

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