चण्डीगढ़, 12 दिसम्बर राज्यपाल श्री बंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि मानवता के लिए श्रीमदभगवद गीता प्रेरणादायक ग्रंथ है। यह ग्रंथ पूरी मानवता का मार्गदर्शन करता है। इसलिए हर व्यक्ति को गीता ज्ञान प्राप्त कर मानवता के उत्थान में अपना योगदान देना चाहिए।

राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय रविवार को कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड की तरफ से अन्तर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में आयोजित संत सम्मेलन में बोल रहे थे। इससे पहले राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय, गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद, गुरु शरणानंद कासनी महाराज, योग गुरु स्वामी रामदेव, स्वामी अवधेशानंद, हरिचेतनानंद, ईमाम मोहम्मद ईलयासी, बाबा उपेन्द्र सिंह, आचार्य लोकेश मुनि, साक्षी गोपाल दास, स्वामी दयानंद सरस्वती, ज्ञानेश्वरी, साध्वी देवी प्रिय, संजीव कृष्ण ठाकुर, स्वामी परमानंद, स्वामी सम्पूर्णानंद, जमनपुर ज्ञानेश्वरी, देव प्रिय, भद्रकाली पीठ अध्यक्ष सतपाल महाराज, परमानंद हंस, संपूर्णानंद महाराज, हरिओम परिव्राजक, सांसद रतनलाल कटारिया, सांसद नायब सिंह सैनी, विधायक सुभाष सुधा ने दीप प्रज्जवलित करने के उपरांत गीता पूजन कर विधिवत रूप से संत सम्मेलन का शुभारंभ किया।

इस सम्मेलन देश के कई प्रबुद्घ संतों एवं सन्यासियों ने श्रीमद भागवद गीता पर अपने विचार प्रस्तुत कर धर्म नगरी कुरुक्षेत्र में गीता ज्ञान की धारा का प्रवाह किया।

राज्यपाल श्री बंडारु दतात्रेय ने कहा कि जब-जब धरती पर धर्म की हानि हुई है तब-तब भगवान ने धरती पर अवतार लेकर धर्म की रक्षा की है। कभी-भी व्यक्ति को कठिन परिस्थितियों से धबराना नहीं चाहिए बल्कि इसका डट कर सामना करना चाहिए और जब कभी उलझन की स्थिति पैदा हो तब प्राप्त गीता के ज्ञान पर अपने विवेक से आगे बढ़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा गीता को जन-जन तक पहुंचाने के लिए सराहनीय कार्य किए जा रहे हैं। भारत को पुनः विश्व गुरु बनाना है तो हर व्यक्ति को एक दूसरे की मदद करते हुए आगे बढना होगा और हर व्यक्ति को गीता का ज्ञान प्राप्त करना होगा। आज दुनिया के अनेक देशों में गीता महोत्सव मनाया जा रहा है और गीता ज्ञान प्राप्त कर रहे हैं। गीता एक मजहब विशेष के लिए नहीं बल्कि समस्त प्राणियों की वैश्विक प्रेरणा है। कुरुक्षेत्र भारत की पावन भूमि है। यहां के जल, थल व वायु से मुक्ति प्राप्त होती है। भारत युगों-युगों से संस्कृति और सभ्यता में विश्व गुरु के रूप में पहचान रखता है। गीता जहां भारत की धरोहर है वहीं विश्व के लिए आदर्श भी है।

गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद ने सभी संतों का परिचय करवाते हुए कहा कि पवित्र ग्रंथ गीता राष्ट्र ही नहीं पूरी मानवता का गौरव है। इस धरा से विश्व के कोने-कोने तक पवित्र ग्रंथ गीता का उपदेश पहुंचे।

संत सम्मेलन में योग गुरु बाबा रामदेव ने कहा कि योग, कर्म व धर्म जीवन का सार है। जिस व्यक्ति ने गीता पढ ली समझो उसने योग भी कर लिया। भारतवासी कर्म को ही धर्म मानते हैं इसलिए हम दुनिया के अन्य देशों से काफी आगे हैं। उन्होंने कहा कि स्वामी ज्ञानानंद महाराज जियो गीता के जरिए गीता को घर-घर पहुंचाने का काम कर रहे है और हम सभी को इसे जन आंदोलन का रूप देकर हर घर गीता पहुंचाने का काम करना है।

गुरु शरणानंद महाराज ने गीता उपदेश के वृतांत से प्रारम्भ किया। उन्होंने कहा कि गीता उपदेश दो घनिष्ठ मित्रों के बीच हुई गुफ्तगू है जो पूरी मानवता के लिए प्रेरणादायक है। भगवान श्रीकृष्ण हर जीव का सखा है जरूरत है तो बस जीव को भगवान को सखा मानने की।
स्वामी अवधेशानंद ने कहा कि श्रीमद भागवत गीता का प्रकाश तेजी से फैल रहा है जिसकी बदौलत दुनिया भारत को बदलते हुए देख रही है। इसके लिए उन्होंने राज्यपाल श्री बंडारू दत्तात्रेय तथा मुख्यमंत्री मनोहर लाल के प्रयासों को श्रेय दिया। ईमाम मोहम्मद ईलयासी ने कहा कि मैंने सच मुच गीता को नहीं पढ़ा है लेकिन संतों के साथ रहकर गीता के ज्ञान को अवश्य ग्रहण किया है और इस ग्रंथ को समझा है। उन्होंने कहा कि मंदिर, मस्जिद, गिरजा, गुरुद्वारा सब प्रेम के घर है।

हरि चेतना महाराज ने कहा कि गीता ही एक ग्रंथ है जिसकी जंयती मनाई जाती है। हर-हर गीता, घर-घर गीता अभियान से सभी को गीता के ज्ञान से रुबरु करवाना है।

इस अवसर पर विधायक सुभाष सुधा ने सभी संत महात्माओं का स्वागत करते हुए कुरुक्षेत्र की धरा पर भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को निमित बनाकर समस्त मानव जाति के लिए गीता का संदेश प्रतिपादित किया था। उन्होंने कहा कि मानव कल्याण के उद्देश्य को लेकर सरकार द्वारा गीता जयंती कार्यक्रम को अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव का स्वरुप प्रदान किया गया है जिससे हर व्यक्ति का जीवन सहज बन रहा है। इसके प्रचार-प्रसार के लिए हर व्यक्ति को आगे आना चाहिए।

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