हरियाणा के 22 जिलों और 33 उप-मंडलों में चौथी राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया गया

चंडीगढ़, 11 दिसंबर- हरियाणा राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा न्यायमूर्ति श्री ऑगस्टीन जॉर्ज मसीहन्यायाधीशपंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय तथा कार्यकारी अध्यक्षहरियाणा राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के मार्गदर्शन में हरियाणा के 22 जिलों और 33 उप-मंडलों में चौथी राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया गया। इनमें 122456 केसों में से सभी ऐ.डी.आर. केन्द्रों में कार्यरत स्थायी लोक अदालतों (सार्वजनिक उपयोगिता सेवाओं) के मामलों सहित सिविलआपराधिकवैवाहिकबैंक-वसूली आदि से संबंधित 49324 मामलों का निपटारा किया गया। राष्ट्रीय लोक अदालत आयोजित करने का उद्देश्य वादकारियों को अपने विवादों को सौहार्दपूर्ण ढंग से निपटाने के लिए एक मंच प्रदान करना है।

राष्ट्रीय लोक अदालत के दिन न्यायमूर्ति श्री ऑगस्टीन जॉर्ज मसीहन्यायाधीशपंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय तथा कार्यकारी अध्यक्षहरियाणा राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण ने राष्ट्रीय लोक अदालतों की कार्यवाही का आयोजन करते हुए जिला पंचकुला एवं उप-मण्डल कालका के न्यायालयों का भौतिक निरीक्षण किया। उन्होंने कोर्ट के पीठासीन अधिकारियोंपक्षकारों और वादकारियों से भी बातचीत की। उन्होंने हरियाणा में वीडियो कॉन्फ्रेन्सिंग के माध्यम से लोक अदालतों की निगरानी भी की।

न्यायमूर्ति श्री ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह ने राष्ट्रीय लोक अदालत की सफलता के लिए अपनी शुभकामनाएं दी हैं और सभी अदालतों को आज की राष्ट्रीय लोक अदालत के लिए अधिक से अधिक मामलों का निपटान करने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करने के लिए बधाई दी है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि लोक अदालत बिना किसी अतिरिक्त लागत या शुल्क के वादकारियों के मामलों का शीघ्र निपटान सुनिश्चित करने के लिए एक प्रभावी वैकल्पिक विवाद समाधान विधि है।

न्यायमूर्ति ने अधिक से अधिक मामलों को निपटाने का आह्वान किया। लोक अदालत वैकल्पिक विवाद समाधान की एक प्रणाली है जो भारत में बदलते समय के साथ एक प्रणाली के रूप में स्थापित हुई है। लोक अदालतें न केवल लंबित विवाद या पार्टियों के बीच उत्पन्न होने वाले विवादों को सुलझाती हैंबल्कि यह सामाजिक सद्भाव को भी सुनिश्चित करती है क्योंकि विवाद करने वाले पक्ष अपने मामलों को अपनी पूर्ण संतुष्टि के साथ सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझाते हैं। यह अदालतों में भीड़भाड़ भी कम करती है क्योंकि अपील और संशोधन के रूप में आगे की मुकदमेबाजी को भी समाप्त कर पक्षों की सहमति से मामलों को सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझाया जाता है। इससे न्यायालयों के पास उपलब्ध सीमित संसाधनों को राहत दी जाती है और त्वरित और प्रभावी तरीके से न्याय दिलाने के लिए उन्हें उपलब्ध कराया जाता है। विवाद के निपटारे के अलावापक्षकारों को मामलों के योजित के समय उनके द्वारा भुगतान की गई अदालती फीस की वापसी से लाभ होता है।

हरियाणा राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण ने मौजूदा स्थिति को ध्यान में रखते हुए स्थानीय आवश्यकताओं के अनुसार राज्य भर में भौतिक रूप से या वस्तुतः लोक अदालतों का संचालन करने का निर्देश दिया। कोविड-19 से बचाव के लिए स्वास्थ्य प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन करने जैसे मास्क पहननाहाथों को सेनेटाइज करनासोशल डिस्टेंसिंग आदि के लिए आवश्यक निर्देश भी जारी किए गए।

पिछले सालकोविड-19 महामारी के कारणहरियाणा राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण ने 18 सितंबर, 2020 को हरियाणा राज्य में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अपनी पहली ई-लोक अदालत का आयोजन कियाजिसका उद्देश्य एक प्रभावी तंत्र के माध्यम से पक्षकारों के मामलों/विवादों को हल करना था। ई-लोक अदालत के सफल आयोजन के बादहालसा ने हरियाणा में दैनिक ई-लोक अदालत की ओर अपना कदम बढ़ायाजिसका उद्देश्य विवादों के सौहार्दपूर्ण समाधान के लिए वादिकारियों की मदद करना है।

प्रायोगिक आधार पर सबसे पहले एक जिले में दैनिक लोक अदालतें शुरू की गईं। उत्साहजनक परिणाम आने के बाद शेष जिलों में भी दैनिक लोक अदालतें शुरू की गईं। वर्तमान मेंहरियाणा के सभी 22 जिलों में दैनिक लोक अदालतें आयोजित की जा रही हैं। वर्ष 2021 में 45,747 दैनिक लोक अदालतें आयोजित की गईं और 67,617 मामलों को निर्णित किया गया तथा कुल 23,37,49,776 रुपये की राशि का निपटान किया गया।

इससे पहले वर्ष 2021 में 10 अप्रैल और 11 सितंबर को राष्ट्रीय लोक अदालतें आयोजित की गईंजिसमें 74,019 मामलों का निर्णय किया गया और 2,13,88,45,984 रुपये की राशि का निपटारा किया गया।

आज की राष्ट्रीय लोक अदालत में, 25962 मामलों को लिया गया और 9888 पूर्व-मुकदमेंबाजी चरण स्तर के मामलों का निपटारा किया गया तथा 378282935 रुपये  की कुल राशि का निपटान किया गया। इसके अलावा, 96494 लंबित मामलों को लिया गया और 39436 मामलों को निर्णित किया गया तथा 1339040604 रुपये की कुल राशि का निपटान किया गया। पूर्व मुकदमेबाजी और लंबित दोनों चरणों में 49324 मामलों की कुल संख्या का निपटारा किया गयाजिससे पक्षकारों के बीच 1717323539 रुपये की कुल राशि का निपटारा हुआ।

You May Have Missed