अशोक कुमार कौशिक

 सीडीएस विपिन रावत जिस एमआई.17वी5 में सवार थे, उस हेलीकॉप्टर की अधिकतम रफ्तार की बात करें तो इसकी रफ्तार 250 किमी प्रति घंटा है। इसके साथ यह 6000 मीटर की अधिकतम उंचाई तक उड़ान भरने में सक्षम है। एक बार में यह 580 किमी की दूरी तय कर सकता है।

एमआई.17वी5 कई तरह से हथियारों से लैस है। हथियारों की बात करें तो इसमें .5 मिसाइल्स, एस.8 रॉकेट, एक 23 मिमी मशीन गन, पीकेटी मशीन गन्स के साथ 8 फायरिंग पोस्ट्स भी हैं। इस हेलीकॉप्टर के पास ऐसी तकनीक है कि ये रात में भी आसानी से अपना कमाल दिखा सकता है। *जब ये घनघोर रात में उड़ सकता है तो खराब मौसम में कैसे नहीं उड़ सकता ?* 

इस हेलीकॉप्टर को सबसे आधुनिक हेलीकॉप्टरों में से एक माना जाता है। सुरक्षा के लिहाज से भी इसे अहम दर्जा हासिल है , *राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री भी इसी  हैलिकॉप्टर का प्रयोग करते हैं ।*  इस हेलीकॉप्टर की तैनाती सेना और आर्म्स ट्रांसपोर्ट में भी की जाती है। 

ऑपरेशनों, पेट्रोलिंग, राहत एवं बचाव अभियानों में भी एमआई.17वी5 हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल किया जाता है, और अभी तक भारत की तमाम सर्जिकल स्ट्राइक्स में इस हैलिकॉप्टर की सबसे विश्वसनीय भूमिका रही है ।

 हर उड़ान से पहले इसकी गहन जांच होती है, सबकुछ ओके होने के बाद ही टेकआफ होता है ।  

ये सवाल का एक  कोना भर है, सवाल बहुत हैं किन्तु जबाब  देने वाला कोई नहीं  ।  

लिहाजा  गोदी मीडिया से इतर  खुद  पढिये खोजिये और समझिये ।

जनरल हू टॉक़्ड टू मच…!! 

जनरल विपिन रावत उस दौर में सेंटर स्टेज में आये, जब मैं टीवी देखना छोड़ चुका था। यह दौर, सेना के राजनीतिकरण औऱ विपिन रावत दोनों का रहा है। सेना टीवी पर छाई रहती है, चुनाव के वक्त भी, चुनाव के बाद भी। जनरल रावत, इस सरकार के मुट्ठी भर जाने पहचाने, चेहरों में से थे।  

याद करेंगे, तो पाएंगे कि सेना के जनरल और प्रवक्ता.. भारत के इतिहास में इतने दृश्यमान कभी नही रहे। सीमा पार के कोवर्ट ऑपरेशन, जिन्हें कूटनीतिक कारणों से टॉप सीक्रेट रखने की रवायत थी। एक सुबह प्रेस बुलाकर, हमले की सूचना देने, और उसकी भारत की सेना द्वारा “इतने मार दिये” की जिम्मेदारी लेने की रवायत, इस दौर की उपज है। 

यह जनरल रावत का दौर रहा है, जो उनकी लेगेसी में गिनी जाएगी। 
सीडीएस का पद, अगर राज्यसभा में सरकार के व्यक्तव्य का यकीन करें, तो मुख्यतः जिन बातों के लिए जिन कामों के लिए बना है, उसकी सूची लगा रहा हूँ। इसमे रक्षा सौदों की स्पीडनिंग, डिफेंस एक्वीजिशन प्लान, और सेना में कैपीटल इन्वेस्टमेंट की प्रमुख भूमिका है। 
सेना में इन्वेस्टमेंट के आंकड़े पब्लिक डोमेन में नही हैं। हालाकिं राफेल और एस 400 जैसे चमत्कारी वैपन खरीदने की खबरें जरूर हैं। इस दौर में सेना में डेढ़ लाख सैनिक कम करने का भी प्रस्ताव है। सेना की कई प्रॉपर्टीज, जमीनें, वर्कशाप आदि को बन्द करने, लिक्विडेट करने के प्रस्ताव भी खबरों में बने रहे।

एक नजरिये से देखें, तो देश की सिविल इकॉनमी में जो भी पॉलिसीज रही, रक्षा क्षेत्र में उसके विस्तार का जिम्मा किसी रूप में सीडीएस का प्रतीत होता है। स्वयं रावत, मुझे “डोभालिज्म” सिस्टम का एक्सटेंशन लगे। 

डोभालिज्म, याने एक गैर राजनीतिक टेक्नोक्रेट, जो केंद्रीय व्यक्तित्व के लिए पोलिटीकल चैलेंज नही है। अपने स्थान और अपने महत्व को बचाये रखने के लिए अपनी अटूट स्वामिभक्ति को मजबूर है। 

सचाई यही है, मौजूदा रेजीम में कोई पद, किसी “नॉन यस मैन”को नही मिल सकता। 

PVSM, UYSM, AVSM, VSM जैसे मेडल भारत की सेना में सिर्फ उच्च कोटि के बहादुर को मिल सकते हैं। आर्मी चीफ के पद पर आते तक पैंतीस साल वे एक बहादुर, निडर, देशभक्त और एनॉनिमस ऑफिसर थे। ये प्रोफेशनल पद होते हैं। 

लेकिन CDS पोलिटीकल नियुक्ति है। इस पर चयन, इस पर टिकना, बने रहना, खासतौर पर एक ताकतवर व्यक्तिकेन्द्रित रेजीम के इर्दगिर्द लम्बा वक्त गुजार पाना, एक शानदार सैन्य करियर की ढलान है, रपटन है। 

रावत साहब को याद करता हूँ, तो इस्लाम से लेकर करोना तक, उनके आउटस्पोकन बयान याद आते हैं।लेकिन बगैर लड़े, चीन के हाथों भूमि खोना, पुलवामा याद आता है। इस पर चुप्पी भी याद आती है। जीडी बक्शी जैसे गालीबाज एक्स अफसरों को छूट है जनरल (रि.) पनाग के लेखों पर, हाई रैंक से उठाए ओब्जेक्शन याद आते हैं। 

सीडीएस के नाते इसमे यकीनन उनकी, इसमे कोई भूमिका नही। पर जब जब वे चुप रहे, उस वक्त दूसरे गैरजरूरी मसलों पर उनका बोलना भी याद आता है। ए जनरल हू टॉक़्ड टू मच…!! 

ए जनरल, नाउ साइलेंस्ड बाई डेस्टिनी।नमन!!!

error: Content is protected !!