रिश्वतखोरी से भर्ती हुई नौकरियां कैंसल क्यों नहीं की जा रहीं!

खट्टर सरकार को अनिल नागर के खिलाफ जाँच से डर क्यों लगता है!

श्री रणदीप सिंह सुरजेवाला, महासचिव, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस व श्रीमती किरण चौधरी, विधायक का बयान

सात साल से नौकरियों की मंडी लगा बेचने और पूरे ‘नौकरी बिक्री घोटाले’ के रंगे हाथों पकड़े जाने के बाद खट्टर सरकार ‘‘ऑपरेशन अटैची कांड कवरअप’’ में जुटी है।

सत्ता में बैठे सफेदपोशों, HPSC व HSSC के ‘चेयरमैन’, ‘मेंबर्स’ तथा सत्ता के गलियारे से जुड़े ‘नौकरी के दलालों’ को बचाने का जुगाड़ बिठाया जा रहा है।

कल हरियाणा के राज्यपाल द्वारा आरोपी अनिल नागर की बर्खास्तगी के आदेश (संलग्नक A1) से इस ‘‘घोटाला दबाओ-असली घोटालेबाज बचाओ’’ योजना का पूरी तरह पर्दाफाश हो गया है। 

हरियाणा के युवाओं के भविष्य को बोली लगाकर दलालों के हाथ बेचने के कुकर्मों से भाजपा-जजपा सरकार नहीं बच सकती। अनिल नागर की बर्खास्तगी के बाद उठे महत्वपूर्ण सवालों का जवाब देना होगाः-

1.         जब नौकरियों के पेपर व अन्य सारे रिकॉर्ड में फर्जीवाड़ा स्वीकार कर लिया, तो फिर रिश्वतखोरी से लगाई नौकरियां कैंसल क्यों नहीं की जा रहीं?

अनिल नागर के बर्खास्तगी आदेश के पैरा 10 में गवर्नर महोदय ने स्वीकार किया है कि – (i) नौकरी भर्ती का सारा रिकॉर्ड अनिल नागर की ‘कस्टडी’ यानि देखरेख में था; (ii) नौकरी भर्ती के पेपर सहित इस सारे रिकॉर्ड की कोई वैधता नहीं बची। हरियाणा के आदेश के पैरा 10 का संबंधित हिस्सा इस प्रकार है –

“10—– Shri Anil Nagar was the custodian of all relevant records and there is no surety of the sanctity of the record kept by him. —” 

ऐसे में जब HCS (Preliminary), Dental Surgeon व अनिल नागर की ‘कस्टडी‘ में रखे सभी नौकरी भर्ती पूरी तरह से अवैध हैं, तो खट्टर सरकार इन सारी नौकरियों को सिरे से खारिज क्यों नहीं कर रही? मुख्यमंत्री, श्री मनोहर लाल खट्टर अब भी चुप क्यों हैं?

2.         HSSC की स्टाफ नर्स – ANM-VLDA की भर्तियां खारिज क्यों नहीं कर रही खट्टर सरकार

FIR नंबर 4, दिनांक 17 नवंबर, 2021 (संलग्नक A2) तथा विजिलैंस द्वारा दी गई 23 नवंबर, 2021 की रिमांड दरख्वास्त (संलग्नक A3) के मुताबिक भी HSSC की VLDA, स्टॉफ नर्स, ANM व अन्य भर्तियों में भी इसी गिरोह के द्वारा रिश्वत लेकर नौकरी लगाने का धंधा जोरो-शोरों से किया जा रहा था। HSSC में भर्ती कराने वाले इसी गिरोह के सब व्यक्तियों यानि अश्विनी शर्मा इत्यादि का नाम गवर्नर, हरियाणा के 7 दिसंबर के आदेश में भी उल्लिखित है। 

तो फिर HSSC की इन सारी भर्तियों को खट्टर सरकार खारिज क्यों नहीं कर रही? क्या छिपाने और किसको बचाने की साजिश की जा रही है?  

3.         नामज़द मुख्य आरोपियों को क्यों बचा रही खट्टर सरकार

FIR (संलग्नक A2) तथा रिमांड एप्लीकेशन (संलग्नक A3) में मुख्य अभियुक्त, जसबीर सिंह भलारा, मालिक, मेसर्स सेफडॉट ई-सॉल्यूशंस प्राईवेट लिमिटेड तथा उसके कर्मचारी, विजय भलारा को इस पूरे नौकरी भर्ती घोटाले का ‘‘किंगपिन’’ बताया है, जिसके माध्यम से यह नौकरी भर्ती घोटाला पिछले सात साल से चलाया जा रहा था। 

FIR और विजलैंस विभाग द्वारा दी गई रिमांड दरख्वास्तों में जसबीर सिंह भलारा, मालिक, मेसर्स सेफडॉट ई-सॉल्यूशंस प्राईवेट लिमिटेड व उसके कर्मचारी, विजय भलारा की स्पष्ट भूमिका होने के बावजूद आज तक न तो उन्हें जाँच के लिए बुलाया गया, न गिरफ्तार किया गया और न ही सेफडॉट ई-सॉल्यूशंस प्राईवेट लिमिटेड को रेड किया गया। खट्टर सरकार मुख्य आरोपियों को क्यों बचा रही हैक्या यह सब इसलिए है कि घोटाले के सारे राज न पकड़े जाएं?

गवर्नर, हरियाणा की 7 दिसंबर के अनिल नागर की बर्खास्तगी के आदेश से तो जसबीर सिंह भलारा, सेफडॉट ई-सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड व विजय भलारा का नाम तथा भूमिका पूरी तरह से हटा दी गई। क्या यह साजिश इसलिए की जा रही है, ताकि असली सफेदपोशों और घोटालेबाजों के चेहरे कभी भी उजागर न हों?

4.         खट्टर सरकार अनिल नागर की जाँच से क्यों डरती है? 

गवर्नर हरियाणा के 7 दिसंबर के आदेश में यह लिखा है कि अनिल नागर के खिलाफ जाँच करना संभव नहीं। गवर्नर, हरियाणा ने यह तथ्य HPSC द्वारा दी गई सलाह के अनुरूप किया है (पैरा 9, A1)

अनिल नागर न तो उग्रवादी है, न नक्सलवादी है। अनिल नागर की जाँच से न तो राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा है और न ही दंगे होने का अंदेशा है। तो ऐसे में उसकी जाँच क्यों नहीं की जा रही? HPSC के चेयरमैन व मेंबर स्वयं मिलकर गवर्नर, हरियाणा को अनिल नागर द्वारा किए गए भर्ती घोटाले की जाँच न करने की सलाह क्यों दे रहे हैं? क्या यह सब इसलिए नहीं किया जा रहा, ताकि जाँच के मध्यम से पूरा घोटाला न खुल पाए और घोटाले में संलिप्त HPSC के लोगों, सरकार में बैठे सफेदपोशों तथा दलालों के नाम सामने न आएं?

5.         खट्टर सरकार HPSC-HSSC के चेयरमैन व मेंबरों तथा रिश्वत देकर नौकरी लगे अभ्यर्थियों की जाँच क्यों नहीं कर रही?

खट्टर सरकार व विजिलैंस विभाग ने आज तक न तो HPSC या HSSC के चेयरमैन व मेंबरों से पूछताछ की, उनकी संलिप्तता व भागीदारी की जाँच की और न ही रिश्वत देकर नौकरी लगे अभ्यर्थियों से कोई पूछताछ की। ऐसा होता, तो सारा घोटाला, उसके राजदार व साजिशकर्ता सामने आ जाते। ऐसा न करके खट्टर सरकार किसे बचा रही है और क्यों बचा रही है?

6.         खट्टर सरकार ने अनिल नागर, अश्विनी शर्मा व नवीन का रिमांड क्यों नहीं लिया और अपील क्यों नहीं दायर की?

विजिलैंस विभाग के मुताबिक अनिल नागर ने नौकरी घोटाले से जुड़े कागजात अपने रोहतक शहर स्थित निवास तथा गांव रिठाल, जिला रोहतक में अपने मामा के घर एक अलमारी में छिपा रखे थे। विजिलैंस विभाग के मुताबिक ही आरोपी अश्विनी शर्मा ने नौकरी भर्ती घोटोले से जुड़े कागज भिवानी, नोएडा, यूपी के ठिकानों तथा शिव कॉलोनी, सोनीपत में छिपा रखे थे। विजिलैंस विभाग के मुताबिक आरोपी नवीन कुमार ने नौकरी भर्ती घोटाले से जुड़े कागज गांव कोंड, जिला भिवानी; सोलन, हिमाचल प्रदेश; व शिव कॉलोनी, सोनीपत में छिपा रखे थे। 

पर खट्टर सरकार और विजिलैंस विभाग आरोपियों को इनमें से किसी स्थान पर न लेकर गया और न ही कोई बरामदगी की। ऐसा क्यों?

यही नहीं जब इन तीनों आरोपियों का पुलिस रिमांड खारिज हो गया, तो खट्टर सरकार ने जानबूझकर मजिस्ट्रेट के आदेश के खिलाफ न तो अपील दायर की और न ही मजिस्ट्रेट की अदालत में दोबारा दरख्वास्त दे पुलिस रिमांड मांगा। ऐसा क्यों?

क्या साफ नहीं कि खट्टर सरकार पूरे घोटाले पर ही पर्दा डालना चाहती है।

हर रोज नए होते साजिश के पर्दाफाशों से अब साफ है कि अनिल नागर, अश्विनी शर्मा व नवीन तो मात्र मोहरे हैं और असल आरोपी सत्ता के गलियारों में बड़े-बड़े स्थानों पर बैठे हैं तथा पूरे मामले को रफा-दफा करने का षडयंत्र कर रहे हैं। इसीलिए पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता में बनी SIT ही इस नौकरी घोटाले का पर्दाफाश कर पाएगी।

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