पुलिस अधीक्षक डा. अंशु सिंगला ने किया चित्रकला शिविर का समापन

कला कीर्ति भवन में हुआ चित्रकला शिविर सम्पन्न।18 राज्यों के कलाकारो ने कैनवस पर उकेरे मन के भाव।
कलाकार की साधना कभी सम्पन्न नहीं होती। डा. अंशु सिंगला।
वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक

कुरुक्षेत्र :- कला एवं सांस्कृतिक कार्य विभाग, हरियाणा की ओर से अंतर्राष्ट्रीय गीता जयंती महोत्सव में 3 दिवसीय चित्रकला शिविर का गत दिवस कला कीर्ति भवन में भव्य समापन हुआ, जिसमें कुरुक्षेत्र पुलिस अधीक्षक डा. अंशु सिंगला बतौर मुख्यअतिथि उपस्थित रही।

2 दिसम्बर से प्रारम्भ हुए चित्रकला शिविर के समापन समारोह में पहुंचने पर हरियाणा कला परिषद के निदेशक व सांस्कृतिक आयोजनों के नोडल अधिकारी संजय भसीन ने डा. अंशु सिंगला का स्वागत किया। इस अवसर पर हरियाणा कला परिषद के अतिरिक्त निदेशक नागेंद्र शर्मा, कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड के मानद सचिव मदन मोहन छाबड़ा तथा कला एवं सांस्कृतिक विभाग से कला अधिकारी चित्रकला रेनू हुड्डा उपस्थित रही।

18 प्रदेशों से आए 75 प्रतिभागियों को सम्मानित करने से पूर्व मुख्यअतिथि डा. अंशु सिंगला ने सभी चित्रकारों द्वारा तैयार किए गए चित्रों की प्रदर्शनी का अवलोकन किया तथा सभी चित्रकारों से उनके अनुभव की जानकारी हासिल की। सम्मान समरोह में मंच संचालन हरियाणा कला परिषद के मीडिया प्रभारी विकास शर्मा ने किया। प्रतिभागियो को सम्मानित करने से पूर्व संजय भसीन ने स्वागत करते हुए बताया कि कला एवं सांस्कृतिक कार्य विभाग, हरियाणा द्वारा आजादी का अमृतमहोत्सव तथा गीता जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित 3 दिवसीय शिविर में महाराष्ट्र, आसाम, उड़ीसा, छत्तीसगढ़, पंजाब, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, तेलंगाना, झारखण्ड, बिहार सहित 18 प्रदेशों के चित्रकारों ने हिस्सा लेकर गीता और आजादी के अमृतमहोत्सव को अपने रंगों और तूलिका के माध्यम से कैनवास पर उतारा। वहीं डा. अंशु सिंगला ने भी चित्रकारों को बधाई देते हुए कहा कि किसी भी चित्रकार द्वारा बनाए गए चित्र सिर्फ कला के प्रति उसके हुनर का प्रदर्शन ही नहीं करते हैं बल्कि उसके चित्र रंगों के माध्यम से समाज में फैली बुराइयों पर कटाक्ष भी करते हैं। वहीं गीता जयंती महोत्सव के दौरान देश के विभिन्न हिस्सों से आए कलाकारों द्वारा अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर गीता के ज्ञान और आजादी के महत्व को कैनवस पर उतारना वास्तव में अतुलनीय कार्य है। डा. सिंगला ने सभी की सराहना करते हुए कहा कि कलाकार की साधना कभी समाप्त नहीं होती, प्रत्येक कलाकार सम्भावनाओं में अपने रास्ते ढूंढकर समाज को नई दिशा देने के साथ-साथ कला और संस्कृति के पुरोधा के रुप में कार्य करता है। डा. अंशु सिंगला ने सभी प्रतिभागियों तथा सहयोगगियों को प्रशस्ति पत्र भेंटकर सम्मानित किया।

अंत में संजय भसीन तथा अन्य गणमान्य अतिथियों ने डा. अंशु सिंगला को स्मृति चिन्ह भेंटकर आभार जताया।

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