‘राज’ खुलने से पहले ही चलाई – ‘‘घोटाले दबाओ, घोटालेबाज बचाओ’’ योजना!

‘‘अटैची कांड’’ को भी 2018 के ‘कैश फ़ॉर जॉब स्कैम’ की तरह दबाया जा रहा है!

खट्टर सरकार की एक ‘कला’ मशहूर है – कितने ही घोटाले हों या नौकरियां बिकें, मुख्यमंत्री जी के ‘तीन जुमले‘ कायम हैं – पारदर्शिता, मैरिट और ‘बिना पर्ची, बिना खर्ची’। 7 साल में 32 पेपर लीक हुए। भर्ती घोटाले उघड़े। लेकिन, 7 साल में कोई जाँच परिणाम तक नहीं पहुंची, न ही किसी अपराधी की सज़ा हुई। 

खट्टर सरकार हर नौकरी भर्ती घोटाले को इतनी सफाई से दबाती है कि इनके कमीशन के ‘चेयरमैन’, ‘मेम्बर्स’ और सरकार में बैठे ‘सफेदपोश’ साफ बच निकलते हैं। अदालतें फटकार लगाती रहती हैं लेकिन, खट्टर सरकार की पुलिस जानबूझकर कोर्ट में सबूत ही पेश नहीं करती और आरोपी छूट जाते हैं।

महाव्यापम घोटाले या ‘‘अटैची दो- नौकरी लो’’ कांड में भी खट्टर सरकार व उसके पुलिस विजिलैंस विभाग ने पूरा मामला रफा-दफा करने की तैयारी कर ली है। एक बार फिर HPSC के चेयरमैन व मैंबर्स, HSSC के चेयरमैन व मैंबर्स, सरकार में बैठे बड़े-बड़े सफेदपोश तथा रिश्वत देकर नौकरी लगने वाले सभी लोग जाँच के दायरे से ही बाहर रख साफ बचा दिए गए हैं। एक बार फिर अगर ठगे जाएंगे, तो हरियाणा के युवा। यह बात तथ्यों से साबित होती है। मुख्यमंत्री, श्री मनोहर लाल खट्टर हरियाणा के युवाओं को इस ‘‘ऑपरेशन अटैची कांड कवरअप’’ का जवाब दें:-

1.         एप्लीकेशन पोर्टल-स्कैनिंग-पेपर चेकिंग करने वाली ‘हटाई गई कंपनी’ को HPSC की भर्ती का ठेका क्यों व कैसे दिया? FIR-रिमांड एप्लीकेशंस में नामज़द आरोपियों की जाँच-गिरफ्तारी-कार्रवाई क्यों नहीं?

अटैची रिश्वत कांड की FIR दिनांक 17.11.2021 (संलग्न A1) में फर्जी OMR शीट भरने तथा रिश्वत का पैसा लेने का सीधा इल्ज़ाम जसबीर सिंह भलारा व उसकी कंपनी मैसर्स सेफडॉट ई-सॉल्यूशन प्राईवेट लिमिटेड व आरोपी नवीन पर लगा है। 

विजिलैंस की जाँच में तथा अदालत के सामने पेश की गई रिमांड एप्लीकेशन में अश्विनी शर्मा; अनिल नागर, डिप्टी सेक्रेटरी, HPSC व विजय भलारा, कर्मचारी, मै. सेफडॉट ई-सॉल्यूशंस प्राईवेट लिमिटेड का नाम स्पष्ट तौर से आरोपी के तौर पर सामने आया है।  

जानकारी के मुताबिक पूर्व HPSC के चेयरमैन के समय साल 2020 में जसबीर सिंह की कंपनी को ‘‘हटा दिया’’ गया था। मौजूदा HPSC चेयरमैन, श्री आलोक वर्मा के कार्यभार सम्हालने के बाद HPSC की भर्तियों का काम एक बार फिर जसबीर सिंह की कंपनी को दे दिया गया।

सवाल यह है कि एक ‘हटाई गई’ कंपनी को क्यों, किस कारण, किस हालात व किसके कहने से HPSC की इतनी महत्वपूर्ण भर्तियों का काम दिया गया? इस बारे HPSC के चेयरमैन व सदस्यों से विजिलैंस द्वारा पूछताछ क्यों नहीं की गई?

सवाल यह भी है कि जब FIR व विजिलैंस की रिमांड एप्लीकेशंस में साफ तौर से जसबीर सिंह भलारा, मालिक, मैसर्स सेफडॉट ई-सॉल्यूशंस प्राईवेट लिमिटेड व उसके कर्मचारी विजय भलारा का नाम आरोपी के तौर पर आया है, तो विजिलैंस विभाग ने उनकी जाँच, गिरफ्तारी व कार्यवाही क्यों नहीं की? क्या मुख्य आरोपी होने के बावजूद कृपादृष्टि इसलिए क्योंकि सत्ता में बैठे सफेदपोशों का आशीर्वाद इनके साथ है?    

2.         क्या विजिलैंस विभाग अनिल नागर, अश्विनी शर्मा और नवीन की जाँच के नाम पर ढकोसला कर पूरा मामला रफा-दफा कर रहा है?

खट्टर साहब मीडिया में दोषियों को न बख्शने की छाती ठोंकते हैं, और ऐसा लगता है कि दूसरी ओर ‘‘विशेष आदेशों’’ के चलते विजिलैंस विभाग अनिल नागर, अश्विनी शर्मा और नवीन को मौज करवा रहे हैं और जाँच का ‘ढकोसला’ कर रहे हैं। 

यह विजिलैंस विभाग द्वारा अदालत में पेश किए गए कागजातों से साफ है, जिनके मुताबिक आरोपियों से उनके द्वारा स्वीकारे हुए तथाकथित साक्ष्यों की ‘‘जीरो रिकवरी’’ हुई है। यही नहीं, विजिलैंस विभाग द्वारा 18 नवंबर से 23 नवंबर, यानि 6 दिनों में दी गई अलग-अलग दरख्वास्तों में एक ही आरोपी से साक्ष्यों की रिकवरी की जगह भी अलग-अलग बताई गई है। पर रिकवरी फिर भी नहीं हुई। यह ढोल की पोल देखें:-

(क) आरोपी नवीन

(i)    रिमांड दरख्वास्त 18.11.2021  – विजिलैंस द्वारा नवीन कुमार से गांव कोंड, जिला भिवानी से रोल नंबर, ओएमआर शीट्स आदि साक्ष्यों की रिकवरी की दरख्वास्त दी गई। 

(ii)    रिमांड एप्लीकेशन 22.11.2021  – विजिलैंस द्वारा नवीन कुमार से सोलन, हिमाचल प्रदेश से रोल नंबर व ओएमआर शीट्स आदि साक्ष्यों की रिकवरी की दरख्वास्त दी गई।

(iii)   रिमांड एप्लीकेशन 23.11.2021 – विजिलैंस द्वारा नवीन कुमार से शिव कॉलोनी, सोनीपत से Roll No., OMR शीट्स आदि साक्ष्यों की रिकवरी की दरख्वास्त दी गई।

(ख) आरोपी अश्विनी शर्मा

(i)    रिमांड एप्लीकेशन 19.11.2021  – विजिलैंस द्वारा अश्विनी शर्मा से भिवानी, नोएडा व UP के अन्य ठिकानों से Roll No., OMR शीट्स व साक्ष्यों की रिकवरी की दरख्वास्त दी गई।

(ii)    रिमांड एप्लीकेशन 22.11.2021  – विजिलैंस द्वारा आरोपी अश्विनी शर्मा से HPSC ऑफिस, पंचकुला से Roll No., OMR शीट्स व अन्य साक्ष्यों की रिकवरी की दरख्वास्त दी गई।

(iii)   रिमांड एप्लीकेशन 23.11.2021  – विजिलैंस द्वारा आरोपी अश्विनी शर्मा से शिव कॉलोनी, सोनीपत से Roll No., OMRशीट्स व अन्य साक्ष्यों की रिकवरी की दरख्वास्त दी गई।

(ग) आरोपी अनिल नागर

(i)    रिमांड एप्लीकेशन 19.11.2021  – विजिलैंस द्वारा आरोपी अनिल नागर से उसके निवास, रोहतक से Roll No., OMR शीट्स व अन्य साक्ष्यों की रिकवरी की दरख्वास्त दी गई।

(ii)    रिमांड एप्लीकेशन 23.11.2021  – विजिलैंस द्वारा आरोपी अनिल नागर से उसके मामा के निवास गांव रिठाल, रोहतक से Roll No., OMR शीट्स व अन्य साक्ष्यों की रिकवरी की दरख्वास्त दी गई।

क्या सिर्फ छः दिन के अंतराल में विजिलैंस विभाग द्वारा फाईल की गई रिमांड दरख्वास्तों (A2 से A6) से साफ नहीं कि विजिलैंस विभाग आरोपियों के खिलाफ खुद के केस को कमजोर करने पर लगा है? 

क्या यह सही है कि यह इसलिए किया जा रहा है कि विजिलैंस जाँच के दौरान अनिल नागर द्वारा एक तथाकथित वीडियो पेश किया गया, जिससे फर्जी OMR शीट भरने के रैकेट का जुड़ाव सत्ता में बैठे बड़े मठाधीशों से साबित हो जाता है? क्या इसीलिए घबराकर जाँच को रफा-दफा किया जा रहा है? 

3.         आरोपी अनिल नागर, अश्विनी शर्मा व नवीन से जाँच क्यों नहीं की जा रही? 

तीनों आरोपियों – अनिल नागर, अश्विनी शर्मा व नवीन के विजलैंस रिमांड का समय पूरा हो गया। पर क्या खट्टर साहब व उनकी विजिलैंस जवाब देंगे कि इन सबके बावजूद भी:-

o   अनिल नागर को उसके रोहतक के ठिकानों पर दस्तावेजों की बरामदगी हेतु क्यों नहीं ले जाया गया? 

o   अनिल नागर को दस्तावेजों की बरामदगी हेतु उसके मामा के घर रिठाल, रोहतक क्यों नहीं ले गए?

o   नवीन को दस्तावेजों की बरामदगी हेतु (i) कोंड, जिला भिवानी (ii) सोलन, हिमाचल प्रदेश व (iii) शिव कॉलोनी, सोनीपत क्यों नहीं ले जाया गया?

o   अश्विनी शर्मा को दस्तावेजों की बरामदगी हेतु (i) भिवानी, (ii) नोएडा, (iii) यूपी के ठिकानों, व (iv) शिव कॉलोनी, सोनीपत क्यों नहीं ले जाया गया?

o   HCS Preliminary व डेंटल सर्जन की भर्ती के उन उम्मीदवारों को शामिल तफ्तीश कर पूछताछ क्यों नहीं की गई, जिनके रोल नंबर व ओएमआर शीट्स अनिल नागर के HPSC कार्यालय से मिले हैं?

4.         विजिलैंस विभाग ने अदालत को क्यों बरगलाया?

आरोपी अनिल नागर-अश्विनी शर्मा-नवीन के पुलिस रिमांड को खारिज करने वाला अदालत का आदेश तिथि 23.11.2021 (संलग्न A7) जाँच के नाम पर विजिलैंस द्वारा किए जा रहे ढकोसले को उजागर करता है।  

o   क्या कारण है कि विजिलैंस विभाग की एसआईटी ने अदालत को अनिल नागर, अश्विनी शर्मा व नवीन से हुई दस्तावेजों की बरामदगी बारे कोई भी तिथि या सबूत देने से इंकार कर दिया? 

o   क्या कारण है कि विजिलैंस विभाग के एसआईटी प्रमुख ने अदालत में यह स्वीकार लिया कि उसे आरोपियों की जाँच और दस्तावेज बरामदगी बारे कोई जानकारी नहीं? 

o   क्या इसी वजह से अदालत ने मजबूरन विजिलैंस विभाग के रवैये के बारे में टिप्पणी की कि वह आरोपियों से दस्तावेजों की रिकवरी बारे गंभीर नहीं? 

5.         खट्टर सरकार व विजिलैंस विभाग ने आरोपियों का रिमांड खारिज होने के खिलाफ अपील क्यों नहीं की?

क्रिमिनल प्रोसीज़र कोड की धारा 167 के मुताबिक आरोपी के अदालत के पेश होने के 15 दिन तक साक्ष्य एकत्रित करने के लिए पुलिस रिमांड दिया जा सकता है। साफ है कि आरोपी अनिल नागर, अश्विनी शर्मा व नवीन से नागर के रोहतक निवास, नागर के मामा के गांव, रिठाल, जिला रोहतक, नवीन के निवास गांव, कोंड, जिला भिवानी;सोलन, हिमाचल प्रदेश व शिव कॉलोनी, सोनीपत तथा अश्विनी शर्मा से इसी प्रकार नोएडा, भिवानी, उत्तर प्रदेश के ठिकानों व शिव कॉलोनी, सोनीपत से रिकवरी होनी है। 

सवाल यह है कि अगर मजिस्ट्रेट ने रिमांड खारिज भी कर दिया, तो खट्टर सरकार व विजिलैंस विभाग ने जिला एवं सेशन जज की अदालत में रिवीज़न-अपील क्यों नहीं की? क्या इसलिए ताकि पुलिस हिरासत में आरोपियों से तफ्तीश करनी ही न पड़े और सारा मामला रफा-दफा हो जाए? 

6.         क्या ‘‘अटैची कांड’’ को भी 2018 के ‘‘कैश फॉर जॉब’’ स्कैम की तरह निपटाने की तैयारी है?

साल 2018 में भी HSSC के ‘कैश फॉर जॉब स्कैम’ में भी CM Flying Squad की तथाकथित कार्रवाई के बाद असिस्टैंट लेवल व ठेका कर्मचारियों सहित सिर्फ 9 लोगों को ही अभियुक्त बनाया गया व चेयरमैन, मैंबर्स तथा सफेदपोश साफ बच निकले। SIT ने अदालत को बताया कि इन छोटी मछलियों को भी कॉल डिटेल्स के आधार पर गिरफ्तार किया गया और उनके कॉल डिटेल में 2000 चयनित कैंडिडेट्स की डिटेल्स मिलीं। लेकिन एक भी चयनित कैंडिडेट को तफ्तीश के लिए नहीं बुलाया और न ही इंटरव्यू में नंबर लगाने वाले HSSC के चेयरमैन और मेंबर को। 

4 दिसंबर, 2018 को इस न के बराबर हुई जाँच पर अदालत ने तीखी और तल्ख़ टिप्पणियां कीं तथा साफ तौर से असली आरोपियों को बचाने की कोशिश बताते हुए खट्टर सरकार को सप्लीमेंटरी चार्जशीट पेश करने का आदेश दिया। पर आज तक न सप्लीमेंटरी चार्जशीट आई और न ही कोई और आरोपी। यही खट्टर सरकार का असली ट्रैक रिकॉर्ड है। 

कल मुख्यमंत्री, श्री मनोहर लाल खट्टर ने प्रेसवार्ता में एक बार फिर झूठ बोला कि 48 लोग पकड़े गए हैं, जबकि सप्लीमेंटरी चार्जशीट आई ही नहीं और छोटी-छोटी मछलियों सहित केवल 9 अभियुक्त हैं।

सवाल यह है कि क्या मौजूदा ‘अटैची कांड’ भी ‘कैश फॉर जॉब स्कैम’ की तरह एक जुमला बनकर रह जाएगा।

सरकार और भर्ती आयोगों में बैठे नौकरियों के दलाल जान लें कि प्रदेश के युवाओं की आवाज कांग्रेस पार्टी दबने नहीं देगी।

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