पांच दिवसीय प्राकृतिक चिकित्सा शिविर एवं योग सत्र का हुआ समापन. मधुमेह के उपचार मे होम्योपैथिक दवाईयां बहुत ही असरदार-लाभकारी फतह सिंह उजाला पटौदी। प्राकृतिक चिकित्सा के दृष्टिगत जीवन में योग एंव प्राकृतिक चिकित्सा के तौैर पर पांच दिवसीय आयोजन सरकारी सीनियर सेकन्डरी स्कूल जाटौली एंव सरकारी सेकेन्डरी स्कूल हेलीमण्डी मे किया गया। इस दौरान प्रतिभागियों ने योग अभ्यास किया। योग शिक्षक कुलवंत ने मधुमेह के लिए प्राणायम, कपालभाती, अलोम-विलोम, भ्रामरी आदि आसन के अलावा एक्यूप्रेशेर के बारे मे भी विस्तार से जानकारी दी। सरकारी होम्योपैथिक डा. जयिता चौधरी की देखरेख मे आयोजित इस शिविर में चिकित्सकों ने शिविर मे पहुचें लोगो से कहा कि बिमारियों पर काबू पाने के लिए योग प्रक्रिया एक आसान तरीका है । खासकर मधुमेह जैसी घातक बिमारी पर काफी हद तक काबू किया जा सकता है। उन्होने बताया कि प्रत्येक तहसील, ब्लाक स्तर, जिला स्तर पर 50 से 100 व्यक्तियों का निःशुल्क योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा शिविर का आयोजन अलग से है। इस दौरान अखिल भारतीय होम्योपैथिक सत्र एंव युवा संघ के डा. किगसुक ने बताया कि मधुमेह के उपचार मे होम्योपैथिक दवाईया काफी असरदार है। इसी मौके पर होम्योपैथिक मंडिकल आफिसर डा जयिता चौधरी ने बताया कि इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन सर्वे के 10वें संस्करण के अनुसार, 10 में से 1 व्यक्ति मधुमेह से पीड़ित है,। 2019 में अंतिम आइडीएफ अनुमान के बाद से 16 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव ने मानव स्वास्थ्य को बढ़ावा देने और सुधारने और उपचार और स्वास्थ्य देखभाल शिक्षा तक पहुंच प्रदान करने के लिए बहुपक्षीय प्रयासों को आगे बढ़ाने की तत्काल आवश्यकताष् को मान्यता दी। डब्ल्यूएचओ और भागीदारों ने इंसुलिन की खोज की 100 वीं वर्षगांठ के अवसर का उपयोग उन लोगों के बीच भारी अंतर को उजागर करने के लिए किया है, जिन्हें अपने मधुमेह को नियंत्रित करने के लिए इंसुलिन की आवश्यकता है, साथ ही साथ आवश्यक तकनीकों जैसे रक्त ग्लूकोज मीटर और टेस्ट स्ट्रिप्स और जो लोग वास्तव में पहुंच है। मधुमेह देखभाल अभी नहीं, तो कबहोम्योपैथिक मंडिकल आफिसर डा जयिता चौधरी ने बताया , किफायती इंसुलिन तक पहुंच , स्कूल आधारित दृष्टिकोण, मधुमेह, एक चयापचय विकार, में हृदय संबंधी समस्याओं, स्ट्रोक, गुर्दे की परेशानी, निचले पैर के विच्छेदन, अंधापन आदि जैसी कई बीमारियों के जोखिम से बचाने के लिए प्रभावी ढंग से उपचार करने की आवश्यकता है। दवा के अलावा, रोगियों को वजन कम करने की सलाह दी जाती है, अपने आहार में जीआई खाद्य पदार्थों को शामिल करके अपनी आहार संबंधी आदतों को संशोधित करें, रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित रखने के लिए योग और अन्य व्यायाम करें। निवारक और देखभाल में, जटिलताओं को कम करने और जीवन की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए प्रत्येक रोगी को व्यक्तिगत, आहार और होम्योपैथिक दोनों देखभाल करनी पड़ती है। टाइप 2 मधुमेह को जीवनशैली में बदलाव करके रोका जा सकता है। उन्होंने बताया कि अधिक भोजन का सेवन करने के बजाय नियमित रूप से हर 2-3 घंटे में कम भोजन करें। सब्जियों को तलने के बजाय भाप में पकाना पसंद करें। अपने आहार में चीनी, शराब और वसायुक्त खाद्य पदार्थों का सेवन कम करें। फाइबर युक्त खाद्य पदार्थ जैसे साबुत अनाज, दालें खाएं और तेल का सेवन कम करें। तली हुई चीजों से परहेज करें। जीवनशैली में बदलाव जो हर कोई कर सकता है, वह है कम से कम आधे घंटे का नियमित व्यायाम। जब तक कोई दिल की बीमारी न हो, लिफ्ट या एस्केलेटर का उपयोग करने के बजाय सीढ़ियाँ चढ़ना पसंद करें। अपने कार्यस्थलों पर अधिक समय तक एक ही स्थिति में बैठने से बचें। छोटे ब्रेक लें। घर पर योग का अभ्यास करें, अगर बाहर जाना और घर के कामों में शामिल होना संभव नहीं है, तो आप खुद को सक्रिय और चुस्त-दुरुस्त रख सकते हैं। Post navigation भाजपा के त्रिदेव अब मजबूत बनाएंगे प्रत्येक बुथ: जरावता ताबड़तोड़ डंडे, फाड़े कपड़े, दी गालियां और जान से मारने की धमकी