हेलीमंडी पालिका क्षेत्र में सीवरेज सिस्टम बन चुका है सांप और सीढ़ी के जैसा.

9 अगस्त को इंद्रजीत ने किया 16 करोड़ के कार्यों का शिलान्यास और उद्घाटन

इसी में ही शामिल है रामपुर गेट पर बनाया गया 50 लाख़ का बनाया सीसी रोड

खबर प्रकशित होने पर अब इसी सीसी रोड को उखाड़ने का काम कर दिया शुरू

फतह सिंह उजाला

पटौदी । बीते दिनों गुरु ग्राम पहुंचे हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के द्वारा प्रमुखता से कहा गया था की हेलीमंडी नगर पालिका में करवाए गए तमाम कार्यों स्पेशल जांच करवाई जाएगी और यह जांच भी वर्ष 1990 से लेकर जारी समय तक के कार्यों को दायरे में रखकर होगी । लेकिन लगता है शायद सीएम खट्टर संबंधित अधिकारियों या फिर किसी एजेंसी को जांच के निर्देश देना भूल गए हैं ? हेली मंडी नगर पालिका क्षेत्र में विकास कार्य चाहे हेलीमंडी पालिका प्रशासन के द्वारा करवाए गए हो या फिर जन स्वास्थ्य विभाग या अन्य कोई महकमा हो , अक्सर आरटीआई के माध्यम से मांगी गई जानकारी में चौकाने वाले खुलासे नियमित अंतराल पर होते हुए मीडिया में भी चर्चा का केंद्र बने रहे हैं ।

लोगों के द्वारा विकास कार्यों को लेकर इनकी जांच के लिए भी शिकायत की जाती रही है । वही बीते 1 वर्ष के दौरान हेलीमंडी नगरपालिका के चुने हुए जनप्रतिनिधियों सहित अधिकारियों के खिलाफ भी कथित रूप से पुलिस में शिकायत सहित मुकदमे भी दर्ज किए जा चुके हैं । इन मुकदमों कि किस प्रकार से और किस अधिकारी के द्वारा जांच की गई , यह भी एक अबूझ पहेली बन कर रह गया है ?

अब सीधी बात करते हैं एशिया में विख्यात अनाज मंडी के नाम से पहचान बनाए हुए हेलीमंडी अनाज मंडी सहित संपूर्ण हेलीमंडी नगर पालिका क्षेत्र की । हेली मंडी नगर पालिका इलाके से गंदा पानी निकासी के लिए सीवरेज की समस्या बढ़ते-बढ़ते अब एक प्रकार से सांप और सीढ़ी के खेल जैसा रूप ले चुकी है। जन स्वास्थ्य एवं अभियांत्रिकी विभाग के द्वारा हेलीमंडी नगर पालिका प्रशासन के द्वारा उपलब्ध करवाई गई जमीन पर राजकीय कालेज जाटोली के बराबर में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाकर आरंभ भी किया जा चुका है । लेकिन हैरानी की बात यह है कि हेली मंडी नगर पालिका क्षेत्र के विभिन्न इलाकों में जहां अधिक जलभराव होता है , वहां से पानी निकासी के लिए सीवरेज पाइप लाइन कथित रूप से जानबूझकर ही नहीं डाले गए । अब इसका ताजा परिणाम यह सामने आया है कि करीब 50 लाख रुपए की लागत से बनाए गए सीसी रोड के उद्घाटन के 90 दिन बाद ही इस सीसी रोड को जेसीबी की ड्रिल से उजड़ने का काम भी सोमवार को आरंभ कर दिया गया है ।

इसका मुख्य कारण करीब 50 मीटर से अधिक क्षेत्र में सीवरेज के नए पाइप नहीं डालना बताया गया है। स्थानीय निवासियों और दुकानदारों के द्वारा जिस समय यहां सीसी रोड बनाया जा रहा था, उसी समय पटौदी के स्थानीय अधिकारियों के साथ-साथ वरिष्ठ अधिकारियों को भी बारंबार कहा गया कि यहां पर सीवरेज पाइप लाइन डालना बहुत जरूरी है। अन्यथा बाद में समस्या पहले के जैसे ही बनी रहेगी और हो भी ऐसा ही रहा है । एक दिन पहले ही नवनिर्मित 50 लाख रुपए की लागत वाले सीसी रोड और यहां पर ओवरफ्लो सीवरेज की खबर को प्रमुखता के साथ स्थानीय दुकानदारों और लोगों की परेशानियों को साझा करते हुए शासन प्रशासन के सामने लाया गया । संभवत इसी का ही परिणाम है कि सोमवार को हेली मंडी के मुख्य मार्ग पर बीचो बीच में सीवरेज को जेसीबी की ड्रिल से तोड़ने के साथ नया सीवरेज पाइप लाइन डालने के लिए रोड को भी उधड़ने का काम शुरू कर दिया गया। विभागीय सूत्रों के मुताबिक करीब 6 लाख की लागत से संबंधित स्थान पर जहां भी सीवरेज पूरी तरह से गंभीर समस्या बने हैं , वहां नई सीवरेज पाइप लाइन डाले जाने हैं ।

ऐसी भी चर्चा है कि जो काम राव इंद्रजीत के द्वारा उद्घाटन के 90 दिन के बाद में किया जा रहा है, यही कार्य बहुत पहले किया जाने की योजना बना ली गई थी । लेकिन नियम और शर्तों के मुताबिक नए सीसी रोड बनने के कम से कम 6 माह तक ऐसे सड़क मार्ग पर किसी भी प्रकार की तोड़फोड़ या उखाड़ने का काम नहीं किया जा सकता । अब जब सीवरेज ओवरफ्लो होकर मल मूत्र युक्त गंदा पानी यहां आस-पास के दुकानदारों सहित निवासियों की सेहत के लिए बदलते मौसम में गंभीर खतरा बनता दिखाई दिया तो जन स्वास्थ्य एवं अभियांत्रिकी विभाग को भी समस्या का समाधान करने के लिए मजबूर होना ही पड़ गया।

स्थानीय लोगों सहित दुकानदारों का और अन्य गणमान्य लोगों के द्वारा व्यंगात्मक रूप से कहना है कि हेली मंडी नगर पालिका इलाके को विभिन्न विभागों के अधिकारियों के द्वारा कथित रूप से कमीशन खोरी के रूप में अपनी कमाई का एक अड्डा बना लिया गया है ।

जहां तक सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट की बात है , यह प्लांट भी कथित रूप से आधा अधूरा ही है । क्योंकि इस प्लांट से ट्रीटमेंट होने वाले पानी को आगे किसी अन्य स्थान पर निकालने के लिए या डालने के लिए इसके उद्घाटन के 2 वर्ष बाद भी कोई ठोस व्यवस्था नहीं की जा सकी है। जिसका खामियाजा सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट के बगल में ही किसानी करने वाले छोटे काश्तकारों अथवा किसानों को भुगतना पड़ रहा है। जिसका कारण है सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट की चारदीवारी में से गंदा पानी ट्यूबवेल की तरह खेतों में भरना। इतना ही नहीं सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट के गंदे पानी के कारण मुख्य सड़क मार्ग के साथ में भी गंदा पानी भरा हुआ है । वही राजकीय कालेज जाटोली में दर्जनों हरे भरे पेड़ भी पूरी तरह से नष्ट हो चुके हैं तथा कॉलेज की दीवार भी सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट परिसर में पानी भरने के कारण गिर कर धराशाई भी हो चुकी है । बहर हाल लोगों की प्रतिक्रिया भी यही है कि 50 लाख रुपए की लागत से बने सीसी रोड को उखाड़ने के बाद इस रोड की हालत और मजबूती पहले जैसी नहीं रह सकेगी । फिर भी ओवरफ्लो होने वाले सीवर के गंदे पानी से ही स्थानीय निवासियों और दुकानदारों के साथ-साथ आसपास के गांवों से आने वाले लोगों को राहत मिल जाए, यही बहुत बड़ी राहत भी साबित होगी।

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