Category: विचार

जीवन की आपाधापी में क्या जी रहे हैं हम?

जब हम अपने जीवन की शुरुआत करते हैं तो हमारा मन सब कुछ पाने को लालायित रहता है। हमें पैसे के साथ-साथ नाम कमाने की भी चाह होती है। ये…

बुजुर्ग दिवस विशेष ……… घर की दहलीज से दूर होते बुजुर्ग

बदलते परिवेश में एकल परिवार बुजुर्गों को घर की दहलीज से दूर कर रहें है। बच्चों को दादी- नानी की कहानी की बजाय पबजी अच्छा लगने लगा है, बुजुर्ग अपने…

कब तक ‘रैगिंग की आंधी’ में बुझेंगे सपनों के दीप ?

रैगिंग के नाम पर मैत्रीपूर्ण परिचय से जो शुरू होता है उसे घृणित और विकृत रूप धारण करने में देर नहीं लगती। रैगिंग की एक अप्रिय घटना पीड़ित के मन…

कम नियमों से ही होगा ……… ‘विश्वास-आधारित शासन’

बिल का उद्देश्य है कि कुछ अपराधों में मिलने वाली जेल की सजा को या तो पूरी तरह से खत्म कर दिया जाए या फिर जुर्माना लगाकर छोड़ दिया जाए।…

भारतीय मध्यम वर्ग का संघर्ष कभी खत्म क्यों नहीं होता ?

मध्यम वर्ग के लोगों की चिंताओं का कोई अंत नहीं होता। क्योंकि ये बच्चों को लायक बनाने में अपना पूरा जीवन निकाल देते हैं। फिर उस अनुरूप बच्चों का विवाह…

ताली से थाली का संघर्ष करता मध्यम वर्ग

मध्यम वर्ग के लोगों की चिंताओं का कोई अंत नहीं होता। क्योंकि ये बच्चों को लायक बनाने में अपना पूरा जीवन निकाल देते हैं। फिर उस अनुरूप बच्चों का विवाह…

छुआछूत की बीमारी की तरह फैलती है हिंसा ……..

हिंसा के शिकार लोगों को समझाना जरुरी है। बदला लेने की मानसिकता नुक़सान करवाती है, ताकि वो फिर उसी हिंसक दुष्चक्र में न फंस जाएं। कोई शराबी है या ड्रग…

सांसदों और विधायकों के लिए ‘नो वर्क- नो पे’ की नीति लागू की जाए

केवल राजनेताओं को ही मजा क्यों लेना चाहिए? हम संसद में गतिरोध, व्यवधान देख रहे हैं और यह चलन बढ़ रहा है। राजनेता हमारे पैसे पर सवार हैं, अपना कर्तव्य…

मेवात-मणिपुर सांप्रदायिक हिंसा विशेष :

कब गीता ने ये कहा, बोली कहां कुरान। करो धर्म के नाम पर, धरती लहूलुहान।। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़े बताते हैं कि सांप्रदायिक हिंसा, झड़पों में बीते साल…

क्या भ्रष्टाचार से निपटने में कारगर होगी बेसिक आय ?

वर्तमान में, 1000 से अधिक केंद्र और राज्य सरकार की योजनाएं मौजूद हैं, जिनमें से अधिकांश भ्रष्टाचार से भरी हुई हैं। वर्तमान योजनाओं में लीकेज का स्तर अत्यधिक उच्च है…

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