Category: विचार

राजनीति : सिद्धांत या महत्त्वाकांक्षा की ?

-कमलेश भारतीय राजनीति सिद्धांत की या महत्त्वाकांक्षा की ? कैसी राजनीति होनी चाहिए ? यह बात खुद नितिन गडकरी की कही हुई है कि मैं सिद्धांतों की राजनीति करता हूं…

कमी कानून में है या गलतियां कपड़ों में ?

आपने पहले भी स्त्रियों के साथ होने वाले यौन उत्पीड़न तथा अन्य ज्यादतियों के मामले में उल्टे उसी को कुलटा या चरित्रहीन बता देने का प्रसंग तो सुना ही होगा,…

महोत्सव के बाद अमृत बनाये रखने की चुनौती

रोजगार विहीन विकास किसी भी अर्थव्यवस्था के लिए सुरक्षित दांव नहीं है। बेरोजगारी न केवल हमारे मानव संसाधनों के इष्टतम उपयोग की अनुमति देती है बल्कि सामाजिक कलह और विभाजनकारी…

15 अगस्त तथा 26 जनवरी के दिन हमें पता चलता है कि हम अपने देश से कितना प्रेम करते हैं

देशभक्ति देश के लिए भक्ति होती है, न कि किसी पार्टी या राजनेता के लिए महिला सम्मान की बात तब करता है जब भरपूर नारी अपमान कर चुका होता है…

अमृत महोत्सव के बीच और बाद क्या ?

-कमलेश भारतीय एक वर्ष तक चले अमृत महोत्सव बीच क्या हुआ और इसके बाद क्या होगा ? कोविड के बीच थाली बजाओ , मोमबत्ती जलाओ के बाद कोरोना ने देशवासियों…

जातिवाद का मटका कब फूटकर बिखरेगा?

इस देश में दो मराठी महापुरुष आये। दोनों ने देश पर इतना उपकार किया कि ये देश उनका उपकार नहीं भुला सकता। एक ने धर्म कि रक्षा कि छत्रपति शिवाजी…

हर घर तिरंगा” के नाम पर राष्ट्रीय ध्वज का जो अपमान हो रहा है वह इस माह के अंत तक होगा !

तिरंगा अभियान से उपजी विसंगतियों और अपमान पर ध्यान दे सरकार चलाये जा रहे इस प्रोपेगैंडा का हिस्सा बनना नागरिकों की मजबूरी 26 जनवरी आयी लेकिन कोई विशेष उत्साह कहीं…

लोकतंत्र व तिरंगे की दुहाई तो दी जाती है, पर वास्तव में उसका मान-सम्मान नही किया जाता : विद्रोही

आजादी के 75 साल बाद एक बार फिर लोकतंत्र संविधान, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता व संवैद्यानिक संस्थाओं पर फासीजम का गंभीर खतरा मंडरा रहा है। विद्रोही शहीदों की तस्वीरों के नाम…

आरएसएस के तिरंगे को डीपी बनाने की घटना को मामूली मत समझिये यह राहुल गाँधी की जीत है 

अमृत महोत्सव का जश्न हर घर तिरंगा की बजाय हर घर आजादी का लड्डू भी खिलाया जा सकता था हर गांव की पंचायत पर पूरे गांव के साथ एक खादी…