Category: विचार

मीडिया में हिंदी का बढ़ता वर्चस्व

-डॉ. पवन सिंह मलिक 30 मई ‘हिंदी पत्रकारिता दिवस’ देश के लिए एक गौरव का दिन है। आज विश्व में हिंदी के बढ़ते वर्चस्व व सम्मान में हिंदी पत्रकारिता का…

एक ईंट क्या गिरी मेरे मकान की……… लोगों ने कांग्रेस से जाने का रास्ता बना लिया

-कमलेश भारतीय कांग्रेस के उदयपुर में लगाये तीन दिवसीय नव संकल्प शिविर से संभवतः पार्टी में जोश का संचार तो नहीं हुआ लेकिन इसे छोड़कर जाने का रास्ता जरूर दिख…

डर लगने वाले को हार्दिक आभार

-कमलेश भारतीय आखिरकार गुजरात के पाटीदार नेता व कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष हार्दिक पटेल ने कांग्रेस को पंजाब के सुनील जाखड़ की तरह गुड बाॅय कह दी है । उदयपुर…

भगवान या धार्मिक प्रतीकों पर फूहड़ बातें लिख कर आप समाज में कैसे जागरूकता या बदलाव लायेंगे !

परपीड़ा अफीम की लत लग चुकी ये नशा उतरते उतरते इनका और इनकी अगली दो जेनेरेशन का भविष्य सुनिश्चित रूप से बर्बाद हो चुका होगा सौ साल से नहीं पूजे…

कांग्रेस चिंतन शिविर : एक परिवार , एक टिकट लेकिन ,,,,

–कमलेश भारतीय काग्रेस चिंतन शिविर शुरू और कुछ प्रस्ताव बाहर । यानी एक परिवार , एक टिकट , महिलाओं की एक तिहाई भागादारी , पेंशनभोगी मानसिकता वाले नेताओं से मुक्ति…

ताजमहल को प्रेम का प्रतीक ही रहने दो …………

प्यार को प्यार ही रहने दो कोई नाम न दो…………….. –कमलेश भारतीय पता नहीं प्रतिदिन कितने लोग आगरा स्थित ताजमहल को देखने आते हैं और पत्नियां वैसा ही महल बनवाने…

बैडरूम में सौतन और संतानोत्पति में बाधक बनते मोबाइल और लैपटॉप

-प्रियंका ‘सौरभ’ बैडरूम में देर रात तक मोबाइल फ़ोन और लैपटॉप पर कार्य करने से पति-पत्नी के बीच विवाद बढ़ रहें है. आधुनिक युग के दम्पति साइको सेक्स डिसऑर्डर के…

जोधपुर दंगा विशेष……सांप्रदायिकता एक राजनीतिक हथियार बनी हुई है !

-सत्यवान ‘सौरभ’……….. रिसर्च स्कॉलर, कवि,स्वतंत्र पत्रकार एवं स्तंभकार, आकाशवाणी एवं टीवी पेनालिस्ट, रोजमर्रा की भाषा में, ‘सांप्रदायिकता’ शब्द धार्मिक पहचान की रूढ़िवादिता को दर्शाता है। ये अपने आप में एक…

धर्म दिमाग पर चढ़ जाए तो ज़हर बन जाता है

प्रियंका ‘सौरभ’………..रिसर्च स्कॉलर इन पोलिटिकल साइंस,कवयित्री, स्वतंत्र पत्रकार एवं स्तंभकार, आये रोज आपने हनुमान चालीसा मंदिरों, घरों और यहां तक कि मन में भी पढ़ी होगी। जय हनुमान ज्ञान गुन…

घर का वित्त प्रबंधन करने वाली महिलाएं देश की अर्थव्यवस्था में क्यों नहीं ?

–प्रियंका ‘सौरभ’……….रिसर्च स्कॉलर, कवयित्री, स्वतंत्र पत्रकार एवं स्तंभकार, देश में नौकरी पाने की आकांक्षा के बजाय अब स्टार्ट-अप और रोज़गार सृजन की ओर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। युवा…

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