जीरी/कपास किसानों को मिले कम से कम 30,000 रुपए प्रति एकड़ मुआवजामंडियों में खरीद न होने से हुए नुकसान की पूरी भरपाई करे खट्टर सरकार, नमी में छूट देकर सारी उपज खरीदी जाएडीएपी खाद की कमी से किसान परेशान, प्रदेश में हो रही डीएपी की कालाबाजारी चंडीगढ़ – धान व बाजरे की खरीद में देरी ने हरियाणा के किसान की कमर पहले ही तोड़ दी थी, अब लगातार हो रही बेमौसमी बारिश व जल भराव से जहाँ एक तरफ प्रदेश के धान, कपास व बाजरे की खेत में खड़ी फसलों को भारी नुकसान हुआ है, वहीं कटाई के बाद मंडियों में सरकार द्वारा समय पर खरीद न होने के कारण पड़ी फसल भीगने के कारण किसान पूरी तरह बर्बादी के कगार पर पहुंच गया है, इसलिए हमारी मांग है कि खट्टर-चौटाला सरकार सभी प्रभावित किसानों को राहत देते हुए कम से कम 30,000 रुपए प्रति एकड़ तुरंत मुआवजा देने की घोषणा करे।जब से केंद्र और प्रदेश में भाजपा सरकार आई है तभी से हमारे मेहनतकश किसानों पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा है। पिछले 7 वर्ष से ज्यादा के समय से किसान लगातार इस सरकार की मार झेल रहे हैं, बाजरे और जीरी की खरीद नहीं की जा रही जिसकी वजह से किसानों को अपनी फसल औने-पौने दामों पर बेचने पर मजबूर होना पड़ रहा है। बेमौसमी बरसात की मार पूरे प्रदेश के किसानों पर पड़ी है। बरसात का पानी खेतों में खड़ा होने के कारण और जलनिकासी न होने पर किसानों की नरमा, कपास, धान, बाजरा, मूंग, मूंगफली व सब्जियों तथा अन्य फसलों को भारी नुकसान हुआ है, जिससे महंगाई और भाजपा सरकार की किसान विरोधी नीतियों की दोहरी मार झेल रहा हरियाणा का किसान बर्बादी के कगार पर पहुंच गया है। अन्नदाता की मेहनत ज़मीन में बिछी पड़ी है और बारिश ने चारों ओर तबाही मचा दी है, इसलिए सरकार को बिना बीमे वाले किसानों को भी आर्थिक राहत और सहायता देनी चाहिए। पिछले दिनों हुई बारिश के बाद हमारी मांग पर सरकार ने स्पेशल गिरदावरी कराने की घोषणा तो कर दी थी, लेकिन किसानों को अभी तक कोई राहत नहीं पहुंची है। सरकार की ग़लत नीतियों के चलते अधिकतर किसानों ने बीमा नहीं करवाया है, इसलिए सरकार को बिना बीमे वाले किसानों को भी आर्थिक राहत और सहायता देनी चाहिए। हरियाणा में डीएपी खाद की कमी से सभी किसान बहुत परेशान हैं पर घमंडी खट्टर-चौटाला सरकार किसानों की तकलीफ से बिलकुल बेपरवाह हो झूठे दावे कर रहे हैं लेकिन खाद की कमी को दूर नहीं कर रही है। जब प्रदेश सरकार द्वारा पर्याप्त खाद उपलब्ध होने के बड़े-बड़े दावे हर रोज़ किये जा रहे है, तो डीएपी की किल्लत के कारण, किसानों को थाने में खाद के टोकन क्यों बांटे जा रहे हैं। यदि खाद पूरी है, तो किसान को खाद क्यों नहीं दी जा रही है, उसे सरकार परेशान क्यों कर रही है? सरकार को झूठे दावे करने के स्थान पर पर्याप्त खाद की व्यवस्था करनी चाहिए। प्रदेश का किसान पहले ही इस मोदी, खट्टर-चौटाला सरकार की जोड़ी की जनविरोधी नीतियों की मार झेल रहा है, ऐसे समय में कुदरत की यह नई मार किसानों के लिए बिल्कुल ही असहनीय है, जिसे दूर करने के लिए सरकार द्वारा तत्काल प्रभाव से प्रभावी कदम उठाए जाने की बेहद ही आवश्यकता है। हमारी माँग है कि सरकार तुरंत प्रभाव से फसलों की विशेष गिरदावरी करवाकर सभी प्रभावित किसानों को कम से कम 30,000 रुपए प्रति एकड़ का मुआवजा दे, ताकि किसान अपनी अगली फसल की बुआई करके देश की जनता का पेट भर सके। Post navigation किसके सिर पर बंधेगा ऐलनाबाद का ताज ? डिप्रेशन का शिकार है राहुल गांधी, उन्हें हर तरफ अंधेरा नजर आता है : गृह मंत्री अनिल विज