ऐलनाबाद उपचुनाव 2021 पर विशेष श्रृंखला

-अमित नेहरा

ऐलनाबाद से लखीमपुर खीरी की दूरी 750 किलोमीटर है और अगर यहाँ तक कार से जाना हो तो लगभग 15 घण्टे का समय लगता है वहीं पैदल यात्रा करके ये समय 136 घण्टे का हो जाता है। लेकिन आज संचार के युग में भौगोलिक दूरी कोई मायने नहीं रखती। रविवार 3 अक्टूबर 2021 को केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा के पुत्र की गाड़ी ने लखीमपुर खीरी के तिकुनिया इलाके में विरोध प्रदर्शन करके लौट रहे 4 किसानों को पीछे से रौंद कर मार डाला। इस लोमहर्षक हत्याकांड की खबर जैसे ही देश-विदेश में फैली तो जनता गुस्से में उबल पड़ी।
750 किलोमीटर दूर ऐलनाबाद विधानसभा क्षेत्र भी इस घटना से अछूता नहीं रहा। यहाँ 30 अक्टूबर को उपचुनाव होने हैं अतः सत्तारूढ़ बीजेपी-जेजेपी गठबंधन को इस वीभत्स हत्याकांड की आँच सबसे ज्यादा महसूस हो रही है।

तुर्रा यह रहा कि उसी दिन यानी 3 अक्टूबर 2021 को हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल का एक वीडियो वायरल हो गया जिसमें वो अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं को आंदोलनकारी किसानों से गैरकानूनी तरीकों का प्रयोग करके निपटने के गुर समझा रहे थे।

बीजेपी के किसान मोर्चा के कार्यक्रम में मनोहर लाल ने कहा कि दक्षिण हरियाणा में ज्यादा समस्या नहीं है और यह राज्य के उत्तरी और पश्चिमी जिलों तक सीमित है। उन्होंने कहा कि 500, 700, 1000 किसानों के समूह बना लो और उन्हें वॉलंटियर बना लो। फिर हर जगह सठे साठयम समाचरेत (जैसे को तैसा), उठा लो डंडे। फिर उन्होंने कहा, चिंता मत करो, जब आप एक महीना, तीन महीना या छह महीने तक जेल में रहोगे तो आप बड़े नेता बन जाओगे। आपका नाम इतिहास में दर्ज हो जाएगा।

जाहिर है कि संवैधानिक पद पर आसीन एक व्यक्ति पार्टी कार्यकर्ताओं को गैरकानूनी तरीकों को अपनाने का आह्वान कर रहा था।
लखीमपुर खीरी और मनोहर लाल के वीडियो ने ऐलनाबाद उपचुनाव में बीजेपी-जेजेपी उम्मीदवार की राह और ज्यादा मुश्किल कर दी।

ऐलनाबाद विधानसभा क्षेत्र सिरसा जिले में पड़ता है। इस घटना के अगले ही दिन सिरसा के नजदीक हिसार जिले के रेस्ट हाउस में किसानों की बैठक चल रही थी। बैठक की जानकारी ना होने के चलते हिसार विधानसभा से बीजेपी के विधायक कमल गुप्ता रेस्ट हाउस पहुंच गए। बीजेपी विधायक को देखते ही गुस्साए किसानों ने विरोध शुरू कर दिया और उन्हें बंधक बना लिया, हाथापाई की और उनके कपड़े भी फाड़ दिए। करीब 20 मिनट तक बंधक रहने के बाद पुलिस ने रेस्ट हाउस पहुंचकर वहां से विधायक को निकलवाया। उसी दिन शाम को हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल के पूर्व मीडिया सलाहकार एवं पूर्व कैबिनेट मंत्री रहीं कविता जैन के पति राजीव जैन हिसार के उकलाना में किसानों के निशाने पर आ गए। किसानों ने उन्हें घेर लिया और उनकी गाड़ी के शीशे तोड़ दिए। वहाँ मौजूद लोगों ने बीच बचाव करके उनको किसी तरह वहाँ से भगाया।

इस तरह की घटनाओं से बीजेपी-जेजेपी को ऐलनाबाद उपचुनाव में अपने उम्मीदवार के बारे में और ज्यादा सोचने के लिए मजबूर कर दिया। ऐलनाबाद में भी किसान आंदोलन का काफी प्रभाव है और मुख्यमंत्री के उठा लो डंडे वाला बयान हर किसी के जेहन में है।

इससे पहले 28 अगस्त 2021 को करनाल में पुलिस ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल का विरोध कर रहे किसानों पर जमकर लाठीचार्ज किया था। इस दौरान 10 किसानों को चोट आईं थी और किसानों ने आरोप लगाया था कि एक किसान की चोटों के कारण मौत हो गई। इसी दौरान, करनाल एसडीएम आयुष सिन्हा का सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो गया, जिसमें वह पुलिसकर्मियों से विरोध प्रदर्शन करने वालों का सिर फोड़ने की हिदायत दे रहे थे। वीडियो में एसडीएम ड्यूटी मजिस्ट्रेट के तौर पर पुलिस कर्मचारियों को कह रहे थे कि ‘मैं ड्यूटी मजिस्ट्रेट हूँ। ये नाका किसी भी हालात में पार न हो, जो निकलने लगे उसे लठ्ठ मारना…।’ 

यहां से कोई आगे नहीं जाना चाहिए। स्पष्ट कर रहा हूँ जो जाए उसका सिर फोड़ दो, मैं ड्यूटी मजिस्ट्रेट हूँ। लिख कर दे रहा हूँ। सीधे लट्ठ मारना, कोई डाउट। मारोगे…?

पुलिस वालों का जवाब: जी सर

एसडीएम: कोई डाउट नहीं है। कोई डायरेक्शन की जरूरत नहीं है। क्लीयर है। ये नाका किसी भी हालत में हम पार नहीं होने देंगे। हमारे पास पर्याप्त मात्रा में 100 की फोर्स पीछे है। कोई इश्यू नहीं है। ठीक है। हेलमेट पहन लो। हम पूरी रात नहीं सोए हैं। दो दिन से ड्यूटी कर रहे हैं। यहां से एक बंदा नहीं जाना चाहिए। जो जाए तो उसका सिर फूटा होना चाहिए।

इस कांड की भी पूरे देश में व्यापक निंदा हुई लेकिन पहले तो हरियाणा सरकार इसमें अपनी गलती मानने को तैयार ही नहीं हुई पर जब किसानों ने एल्टीमेटम देकर करनाल लघु सचिवालय पर विशाल धरना शुरू किया तो बैकफुट पर आ गई। आरोपी एसडीएम को जबरिया छुट्टी भेजा गया, घटना की जाँच हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज से करवाने की घोषणा हुई। मृतक किसान के 2 परिजनों को सरकारी नौकरी और मुआवजे की बात भी मांगी गई। सरकार घायलों को भी मुआवजा देने पर सहमत हो गई।

ये सभी घटनाएं ऐलनाबाद उपचुनाव पर सीधा असर डालेंगी। क्योंकि ये उपचुनाव तो हुआ ही किसान आंदोलन के कारण है। चुनाव प्रचार में भड़काऊ भाषण देने वाले भी आएंगे और शांति का संदेश देने वाले भी। सत्तापक्ष, विपक्ष, किसानों और मतदाताओं से बस इतना आग्रह है कि कि इस चुनाव में हथियार केवल मुद्दों को ही बनाएं, मुख्यमंत्री के उठा लो डंडे वाले वीडियो से प्रेरणा न लेकर पूरी तरह शांति बनाए रखें।
 चलते-चलते

ऐलनाबाद सीट पर चौटाला परिवार का दबदबा रहा है। इस सीट पर हुए कुल 15 चुनावों में 10 बार चौटाला परिवार, इनेलो या लोकदल ने ही जीत हासिल की है।

क्रमशः

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार, राजनीतिक विश्लेषक, लेखक, समीक्षक और ब्लॉगर हैं)