पंचकुला— देश मे जिस प्रकार से चल रहे आंदोलन हत्या का रूप ले रहा है यह मानवता व मानव अधिकारों को शर्मसार करता दिखाई देता है । यह बात अंतरराष्ट्रीय मानव अधिकार ऑब्जर्वर्स के वर्ल्ड निदेशक यतीश शर्मा ने एक प्रेसविज्ञप्ति जारी करते हुए कही ।

उन्होंने कहा कि करीब पिछले एक वर्ष से देश मे चल रहा किसान आंदोलन अब एक खूनी मोड़ ले चुका है और देश की सत्ताधारी सरकार इस आंदोलन को विपक्ष की राजनीति व कुछ देशद्रोही ताकतों का नाम लेकर अपना पला झाड़ती नजर आ रही है । लेकिन सत्ताधारी सरकार व विपक्ष इस ओर बिल्कुल ध्यान नही दे रहा कि इस आंदोलन के नाम पर जो किसान या इस आंदोलन में शामिल लोग पुलिस की लाठियों घायल हो अपना खून बहा रहे हैं ओर आम नागरिक को जो परेशानी हो रही है । उसका जिम्मेदार कौन है ? सत्ताधारी सरकार , विपक्ष , किसान या किसानों के भेष में छुपी देशद्रोही ताकते । यह बात कोन बतायेगा ?

यतीश शर्मा ने कहा कि यह किसान आंदोलन पूरे भारत वर्ष में चल रहा है लेकिन इस आंदोलन की आग ज्यादातर हरियाणा , पँजाब , राजस्थान , यू पी,दिल्ली में फैली हुई है । पिछले दिनों यू पी प्रदेश के लखीमपुर में चार किसान आंदोलन कारियों को वहाँ के गृहमंत्री के बेटे द्वारा कार से कुचल कर मार डालने का मामला सुर्खियों में आया जिसमे किसानों पर भी भाजपा कार्यकर्ताओं को मारने का आरोप लगा है जानकार सूत्रों के मुताबिक इस घटनाक्रम में गृहमंत्री उसके बेटे व 20 अन्य लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है । क्या यह किसान आंदोलन है या एक खूनी सँघर्ष जिसका जवाब भी राजनेतिक द्वन्द्ध ही बताया जाता है ।

उन्होंने कहा कि जहाँ किसान आंदोलन केन्द्र सरकार की सत्ताधारी सरकार की हठ बताई जाने का आरोप बतलाया जा रहा है तो जिन प्रदेशों में सत्ताधारी केंद्र सरकार की विपक्षी पार्टियों की सत्ताधारी सरकार बनी हुई है वहां पर हो रहे किसान आंदोलन पर पुलिस की लाठियां क्यूँ खूनी खेल खेल रही है । शायद इसका जवाब किसी के पास नहीं । इस राजनेतिक द्वन्द्ध में अगर शर्मसार हो रही है तो सिर्फ मानवता । हनन हो रहा है तो सिर्फ मानव अधिकारों का । महंगाई की मार झेल रही भारत की आवाम ।

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