तरविंदर सैनी (माईकल ) आम आदमी पार्टी नेता की ओर से भी मुबारकबाद रमा राठी को ।

गुरूग्राम।भाजपा प्रत्याशी रमा राठी की जीत से गद-गद पार्टी फूले नहीं समा रही है यूँ कहें कि समूची भाजपा जश्न में डूबी हुई है तथा डूबना भी चाहिए चूँकि जनता का आर्शीवाद जो प्राप्त हुआ है अब खुशी का क्षण है तो बधाईयों का दौर तो चलेगा ही क्योंकि यह उपचुनाव कई रिकॉर्ड बना चुका है सबसे अधिक 2742 वोटों के अंतर से जीत दर्ज करने के साथ भारी-भरकम खर्च और अंधाधुंध प्रचार सामग्री के उपयोग व सरकारी मशीनरी के इस्तेमाल करने का ।

दूसरी ओर कई बड़े सवाल भी सवाल भी खड़े करता है वार्ड में करीब बत्तीस हजार वोटों के लिए 30 बूथ बनाए गए सभी बूथों पर कार्यकर्ता तो मौजूद थे परन्तु वोटर नदारद रहे सुबह दस बजे तक महज 4.5%ही मतदान हो पाया क्यों ?

वोटरों की संख्या से कहीं अधिक भाजपा के कार्यकर्ता पदाधिकारियों ने घर घर जाकर प्रचार किया यहाँ तक कि भाजपा प्रदेश कार्यकरिणी तथा उनके विधायकों तक ने पूरा जोर लगाया मगर फिर भी कुल मतदान 30.27% ही हो पाया क्या कारण रहा क्या वार्ड के उपचुनाव में अरुचि ही वजह रही या भाजपा के अत्यधिक कार्यकर्ताओं के कारण वहाँ किसी प्रकार का भय का वातावरण बन गया था क्या जिस कारण मतदाता मतदान केंद्रों तक नहीं पहुंच सके ?

प्रत्याशी व उनके दलों के इलावे मतदाता जागरूकता अभियान सरकार ने भी चलाया होगा और उनका कर्तव्य भी बनता था फिर भी सबसे कम मतदान का रिकॉर्ड बनकर इस उपचुनाव में सामने आया कयों , क्या उन अधिकारियों की जवाबदेही नहीं बनती ?

तमाम प्रयास और शाम-दाम-दंड-भेद नीतियों को अपनाया गया , सभी को दायित्व भी सौंपे गए हजारों कार्यकर्ताओ की ड्यूटियां लगाई मगर जनता निकलकर नहीं आई वजह कहीं वोटरों को रिझाने की बजाय उन्हें रोका तो नहीं गया , आखिरकार कर क्या रहे थे भाजपा नेता कार्यकर्ता वहां – क्या मेला देखने गए थे या सेल्फियां लेने तक ही सीमित रहे ?

मेरे ख्याल से जश्न मनाने के साथ समीक्षा बैठक भी कर लेनी चाहिए भाजपा को क्योंकि इतनी संख्या कार्यकर्ताओ की विधानसभा चुनावों के लिए पर्याप्त होती है जितनी इस उपचुनाव में रही मगर वोट प्रतिशत म के बराबर और यह हाल तो तब था जब कोई राजनैतिक दल इस उपचुनाव में भागीदार नहीं बना ।

अब जैसी लोगों में चर्चा है और लगता भी है कि यह जो 5339 वोटें रमा रानी राठी को प्राप्त हुई हैं और 2742 वोटों के अंतर की जीत मिली है वो उनकी पारंपरिक वोट से मिली है या इनके मरहूम पती की व्यवहारिक रसूख वाली वोट थी , यदि यही समझा जाए तो सवाल फिर खड़ा होता है कि भाजपा की वोट कहां थी , क्या पार्टी की अंदरूनी खींच-तान के चलते कार्यकर्ता वोटरों को लाने की बजाय रोक रहे थे और यदि नहीं तो उन्हें बताना चाहिए कि वो क्या कर रहे थे ?

बकौल माईकल सैनी इतिहास में दर्ज हुआ यह बहुत कम प्रतिशत मतदान शर्मसार कर देने वाला है सरकार के लिए भी शर्म की बात होनी चाहिए , साथ ही साथ प्रजातांत्रिक प्रणाली के लिए भी नुकसानदेह है फिर चाहें इस सरकार की कुनीतियों के कारण ही भय और भृस्टाचार के वातावरण में उपजी स्तिथियों की वजह से ही क्यों न रहा हो ।

चुनाव आयोग भी ऐसी योजना बनाए कि जो लोग मतदान के दिन को छुट्टी समझ पिकनिक मनाने चले जाते हैं अर्थात वोटिंग करने नहीं आते है उनका वोटर लिस्ट से नाम हटा दिया जाए ।।

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